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दिल्ली-NCR में ग्रीन पटाखों को मिली मंजूरी, जानिए क्या हैं ये ‘पर्यावरण मित्र’ पटाखे

नई दिल्ली – सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली के अवसर पर दिल्ली-एनसीआर में ग्रीन पटाखों के सीमित उपयोग की अनुमति दे दी है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि ये पटाखे 15 अक्टूबर से 21 अक्टूबर तक विशेष तौर पर चिन्हित स्थानों पर बेचे जा सकेंगे। इस निर्णय के तहत नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद और गुरुग्राम जैसे क्षेत्र भी शामिल होंगे।

वायु प्रदूषण के खतरे के बीच राहत का रास्ता

उत्तर भारत के राज्यों, विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और दिल्ली, में वायु गुणवत्ता चिंता का विषय बनी हुई है। दिवाली पर परंपरागत पटाखों से निकलने वाला धुआं समस्या को और बढ़ा सकता है। ऐसे में ग्रीन पटाखे एक संतुलनकारी विकल्प के रूप में सामने आए हैं, जो परंपरा और पर्यावरण दोनों को ध्यान में रखते हैं।


क्या होते हैं ग्रीन पटाखे?

ग्रीन पटाखे दरअसल ऐसे पटाखे हैं जिन्हें राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (NEERI) ने विकसित किया है। ये पटाखे दिखने और जलने में सामान्य पटाखों जैसे ही होते हैं, लेकिन इनमें से निकलने वाली हानिकारक गैसों की मात्रा 40-50% तक कम होती है।

NEERI की वैज्ञानिक डॉ. साधना रायलू के अनुसार, इन पटाखों में ऐसे रासायनिक फॉर्मूले इस्तेमाल किए जाते हैं जो नाइट्रोजन और सल्फर की मात्रा को कम करते हैं, जिससे वातावरण में कम प्रदूषण फैलता है।


ग्रीन पटाखों के प्रमुख प्रकार

NEERI ने ग्रीन पटाखों के चार प्रमुख प्रकार विकसित किए हैं:

  1. सेफ वाटर रिलीज़र – ये पटाखे जलने के बाद पानी के कण उत्पन्न करते हैं, जो सल्फर और नाइट्रोजन जैसी हानिकारक गैसों को सोख लेते हैं।
  2. स्टार क्रैकर (Safe Thermite Cracker) – इनमें ऑक्सिडाइजिंग एजेंट्स का प्रयोग होता है जिससे गैस उत्सर्जन कम होता है।
  3. SAFAL (Safe Minimal Aluminium) – इन पटाखों में सामान्य की तुलना में 50-60% कम एल्युमिनियम होता है।
  4. अरोमा क्रैकर्स – ये पटाखे न सिर्फ़ कम प्रदूषण करते हैं बल्कि इनमें से सुगंध भी निकलती है।

कहां से खरीदे जा सकते हैं?

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, इन पटाखों की बिक्री पुलिस और जिला प्रशासन द्वारा निर्धारित स्थानों पर ही की जा सकेगी। किसी भी अन्य प्रकार के या अवैध पटाखों की बिक्री पूरी तरह प्रतिबंधित होगी।

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