G7 समिट 2025 से पीएम मोदी की दूरी संभव, भारत-कनाडा संबंधों में तनाव बरकरार

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By Sunita Singh

🕒 Published 2 months ago (3:31 PM)

नई दिल्ली: 15 से 17 जून को कनाडा में होने जा रहे 3 दिवसीय G7 समिट में  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शामिल होने की संभावना कम ही नजर आ रही है। छह साल में यह पहला मौका होगा जब 2019 से शुरू हुई उनकी उपस्थिति की परंपरा टूटेगी। कनाडा की मेज़बानी में अल्बर्टा में होने वाले इस वैश्विक मंच के लिए भारत को अब तक कोई औपचारिक आमंत्रण नहीं मिला है।

भारत के कनाडा के साथ राजनयिक संबंधों पर असर

बता दें कि भारत और कनाडा के बीच हाल के वर्षों में तनाव बढ़ा है। इस तनाव के कई कारण हैं जिनमें एक कनाडा में रह रहे अलगाववादी। भारत का मानना है कि कनाडा सरकार अलगाववादियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने में विफल रही है, जिससे भारत के कनाडा के साथ राजनयिक संबंधों पर असर पड़ा है।

निज्जर की हत्या के मामले में भारत पर आरोप

गौरतलब है कि साल 2023 में कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारत पर आरोप लगाने के बाद दोनों देशों के रिश्तों में  कड़वाहट आई थी। भारत ने इन आरोपों को आधारहीन बताया था साथ ही सबूतों की मांग की, लेकिन ट्रूडो सरकार इस बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं दी। इसके बाद दोनों देशों ने कार्रवाई करते हुए  एक-दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित किया, जिससे स्थिति और बिगड़ गई।

अलगाववादियों की मांग पीएम मोदी को G7 में आमंत्रित नहीं किया जाए

हालांकि कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने संबंध  सुधारने की बात कही है, लेकिन निज्जर मामले में उन्होंने अब तक कोई स्पष्ट रुख नहीं अपनाया है। अलगाववादी संगठनों ने भी हाल ही में पीएम मोदी को G7 में आमंत्रित न करने की मांग उठाई थी।जानकारी के अनुसार इस बार G7 समिट में ऑस्ट्रेलिया, यूक्रेन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के नेताओं को आमंत्रण भेजा गया है, लेकिन भारत का नाम अब तक सूची में शामिल नहीं है।

भारत को आमंत्रण पर संशय

भारत ने संकेत दिया है कि वह ओटावा के साथ “आत्मीयता और विश्वास” के साथ आगे बढ़ने को तैयार है, लेकिन इसके लिए कनाडा को भारत विरोधी गतिविधियों और चरमपंथी तत्वों पर नियंत्रण करना होगा। इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि अंतिम समय पर भारत को आमंत्रण भेजा जाएगा या नहीं, लेकिन लॉजिस्टिक तैयारियों और सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए इसकी संभावना कम ही मानी जा रही है।

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