कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के विरोध के बाद सुर्खियों में आए पूर्व IAS अधिकारी कन्नन गोपीनाथन ने अब औपचारिक रूप से कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया है। गोपीनाथन को केसी वेणुगोपाल ने पार्टी की सदस्यता दिलाई। उनके कांग्रेस में शामिल होने को पार्टी के लिए एक बड़ा वैचारिक समर्थन माना जा रहा है, खासकर संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के संदर्भ में।
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कन्नन गोपीनाथन का इस्तीफा और पहचान
कन्नन गोपीनाथन ने 5 अगस्त 2019 को उस समय भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे दिया था, जब केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के साथ-साथ वहां कम्युनिकेशन बैन लागू किया था। उन्होंने कहा था कि सरकार को 370 हटाने का अधिकार है, लेकिन नागरिकों को अपनी राय और विरोध प्रकट करने की स्वतंत्रता भी होनी चाहिए।
दक्षिणपंथी समूहों ने कन्नन को “राष्ट्रविरोधी” करार दिया
उनका इस्तीफा लोकतांत्रिक मूल्यों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में देखा गया। इसके बाद वे देशभर में युवाओं और मानवाधिकार समर्थक संगठनों के बीच साहसी अफसर के रूप में पहचाने जाने लगे, जबकि दक्षिणपंथी समूहों ने उन्हें “राष्ट्रविरोधी” करार दिया।
लोकतंत्र की आवाज को बचाने के लिए कांग्रेस ही सबसे मजबूत प्लेटफॉर्म
कांग्रेस में शामिल होने के बाद कन्नन गोपीनाथन ने कहा, “मैंने 2019 में इस्तीफा इसलिए दिया क्योंकि मुझे लगा कि देश जिस दिशा में जा रहा है, वह सही नहीं है। तब मुझे एहसास हुआ कि अगर कोई पार्टी देश को सही दिशा में ले जा सकती है, तो वह सिर्फ कांग्रेस है। मैंने 80 से ज्यादा जिलों की यात्रा की, लोगों से मिला, और पाया कि लोकतंत्र की आवाज को बचाने के लिए कांग्रेस ही सबसे मजबूत प्लेटफॉर्म है।”
कन्नन गोपीनाथन की एंट्री से पार्टी का संदेश और मजबूत होगा
कांग्रेस को उम्मीद है कि कन्नन गोपीनाथन की एंट्री से पार्टी का संदेश और मजबूत होगा कि वह संविधान, लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए खड़ी है। साथ ही, उनके आने से पार्टी की केरल और कश्मीर में पकड़ और मजबूत हो सकती है।
कौन हैं कन्नन गोपीनाथन?
कन्नन गोपीनाथन 2012 बैच के IAS अधिकारी हैं, जिन्होंने AGMUT कैडर से सेवा शुरू की थी। उन्होंने दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव में बिजली और शहरी विकास जैसे विभागों में काम किया।
2019 में सेवा से इस्तीफा देने के बाद वे एक्टिविस्ट के रूप में सक्रिय हुए और नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) विरोधी प्रदर्शनों में एक प्रमुख चेहरा बने। उन्होंने देशभर में जाकर लोगों से संवाद किया और लोकतांत्रिक अधिकारों पर हो रहे हमलों के खिलाफ आवाज उठाई।
अप्रैल 2020 में केंद्र सरकार ने उन्हें ड्यूटी पर लौटने का आदेश दिया, लेकिन उन्होंने दोबारा नौकरी ज्वाइन नहीं की। तब से कन्नन गोपीनाथन लोकतंत्र, नागरिक अधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़े मुद्दों पर लगातार सक्रिय हैं।
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