बरसाना में लट्ठमार होली की धूम, भक्तों में उमड़ा उल्लास!
बरसाना, उत्तर प्रदेश का एक छोटा सा गांव, हर साल होली के त्योहार के समय एक अद्वितीय और रंगीन दृश्य में तब्दील हो जाता है। यहां की लट्ठमार होली को देखने और इसमें भाग लेने के लिए देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु और पर्यटक जुटते हैं। बरसाना में लट्ठमार होली की धूम एक प्राचीन परंपरा है, जो ब्रजभूमि की सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत बनाती है।
होली का ऐतिहासिक महत्व
बरसाना में लट्ठमार होली की धूम का प्रारंभ द्वापर युग से माना जाता है, जब भगवान कृष्ण अपने सखाओं के साथ होली खेलने बरसाना पहुंचे थे। कृष्ण ने राधा और उनकी सखियों के साथ होली खेली, लेकिन यह होली विशेष थी क्योंकि इसमें न केवल रंगों का खेल होता है, बल्कि सखियां लट्ठों से कृष्ण और उनके सखाओं पर वार करती थीं। यही परंपरा आज तक जारी है, जिसे हम लट्ठमार होली के नाम से जानते हैं।
महाशिवरात्रि से शुरू होता है उत्सव
बरसाना में लट्ठमार होली की धूम महाशिवरात्रि के बाद से ही शुरू हो जाती है। इस समय से लेकर होली तक, हर दिन नए-नए आयोजन होते हैं। चौपाइयां गाई जाती हैं, ढोल-नगाड़ों की धुन सुनाई देती है और मंदिरों में भक्ति भाव का अद्भुत वातावरण रहता है। राधा रानी मंदिर में हर साल हजारों भक्त एकत्रित होते हैं और अबीर-गुलाल उड़ाकर होली की शुरुआत करते हैं।
राधा रानी मंदिर में भक्ति और रंगों का संगम
राधा रानी की जन्मस्थली बरसाना में स्थित श्री लाडली जी मंदिर इस पावन अवसर का केंद्र बिंदु बनता है। यहां के भक्त न केवल बरसाना में लट्ठमार होली की धूम को देखने आते हैं, बल्कि राधा-कृष्ण के भक्ति भाव में भी डूब जाते हैं। मंदिर परिसर में जब पहली चौपाई गाई जाती है, तो चारों ओर अबीर और गुलाल का रंगीन बादल छा जाता है। ढोल-नगाड़ों की धुन पर भक्त झूम उठते हैं और वातावरण भक्ति और उल्लास से भर जाता है।
लड्डू मार होली: मिठास और मस्ती का अनोखा संगम
बरसाना में लट्ठमार होली की धूम से पहले यहां की एक और खास होली होती है जिसे लड्डू मार होली कहते हैं। इस होली में लड्डू का खेल होता है, जिसमें भक्त लड्डू फेंककर अपनी मस्ती और भक्ति का इजहार करते हैं। यह परंपरा भी काफी प्राचीन है और इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। इस आयोजन में मिठास और मस्ती का अनोखा संगम देखने को मिलता है।
लट्ठमार होली: जब प्रेम और भक्ति बन जाती है शक्ति
बरसाना में लट्ठमार होली की धूम का मुख्य आकर्षण होता है लट्ठमार होली। इस होली में महिलाएं लाठियों से पुरुषों पर वार करती हैं और पुरुष ढाल लेकर खुद को बचाने की कोशिश करते हैं। यह खेल सिर्फ रंगों और लाठियों का ही नहीं, बल्कि प्रेम और भक्ति का भी प्रतीक है। यहां का हर भक्त यह मानता है कि यह परंपरा कृष्ण और राधा की लीला का हिस्सा है, जिसे आज भी जीवंत रखा गया है। लट्ठमार होली में राधा-कृष्ण के प्रेम और भक्ति की झलक हर रंग और हर लाठी में दिखाई देती है।
भक्तों में उमड़ा उल्लास और उत्साह
बरसाना में लट्ठमार होली की धूम के दौरान भक्तों में एक अनोखा उत्साह और उल्लास उमड़ता है। हर ओर रंगों की बौछार, ढोल-नगाड़ों की गूंज और भक्ति की लहरें बहती हैं। भक्त अपनी मस्ती और भक्ति में लीन होकर इस पर्व का आनंद लेते हैं। इस पर्व का मुख्य उद्देश्य भक्ति, प्रेम और आनंद का आदान-प्रदान है, जिसे हर कोई अपने जीवन का अनमोल हिस्सा मानता है।
विदेशियों की भी उमड़ती भीड़
बरसाना में लट्ठमार होली की धूम न केवल भारत, बल्कि विदेशों से आए पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। हर साल यहां हजारों विदेशी पर्यटक आते हैं जो इस अद्वितीय और सांस्कृतिक होली का अनुभव लेने के लिए उत्साहित रहते हैं। यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसे देखने वाले हर व्यक्ति के दिल में भारतीय संस्कृति की एक विशेष छाप छोड़ता है।
ब्रज की होली का सांस्कृतिक महत्व
ब्रज की होली न केवल रंगों का त्योहार है, बल्कि यह भक्ति, प्रेम और सामाजिक समरसता का प्रतीक भी है। बरसाना में लट्ठमार होली की धूम से लेकर नंदगांव और वृंदावन की होली तक, हर जगह भक्ति और प्रेम का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। यह त्योहार राधा-कृष्ण की अनूठी लीला को जीवंत करता है और हमें उनके प्रेम और भक्ति की गहराई का एहसास कराता है।
समापन विचार
बरसाना में लट्ठमार होली की धूम एक ऐसा अनुभव है, जिसे शब्दों में पूरी तरह से बयां करना मुश्किल है। यह पर्व हर साल हजारों भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है और उन्हें भक्ति और रंगों की दुनिया में ले जाता है। यह होली न केवल हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है, बल्कि यह हमें प्रेम, भक्ति और आनंद का सच्चा संदेश भी देती है।
हर साल बरसाना में लट्ठमार होली की धूम में भाग लेने वाले श्रद्धालु इसे अपने जीवन की सबसे यादगार होली बताते हैं, क्योंकि यहां की होली न केवल रंगों का खेल है, बल्कि यह प्रेम, भक्ति और उल्लास का संगम है।
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