25 मिनट में 9 आतंकी ठिकाने तबाह, कर्नल सोफिया और विंग कमांडर व्योमिका ने बताया पूरा प्लान

By Hindustan Uday

🕒 Published 3 months ago (1:59 PM)

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का भारतीय सेना ने कड़ा जवाब दिया है। भारत की तीनों सेनाओं द्वारा मिलकर चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में पाकिस्तान और पीओके स्थित 9 आतंकी ठिकानों को मात्र 25 मिनट में तबाह कर दिया गया। इस कार्रवाई में करीब 90 आतंकियों के मारे जाने की पुष्टि हुई है।

भारतीय सेना की ओर से आयोजित संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में पहली बार सेना और एयरफोर्स से दो महिला अधिकारी—कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह—ने पूरे ऑपरेशन की मिनट-दर-मिनट जानकारी साझा की। कॉन्फ्रेंस की शुरुआत एक वीडियो से हुई जिसमें एयरस्ट्राइक की झलक दिखाई गई।

ऑपरेशन की शुरुआत रात 1:05 बजे से 1:30 बजे के बीच हुई, जिसमें पहलगाम हमले के दोषियों और आतंकी ढांचे को निशाना बनाया गया। सेना ने बताया कि लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद के ट्रेनिंग कैंप, लॉन्चपैड और हथियार अड्डे ऑपरेशन के तहत पूरी तरह खत्म कर दिए गए।

कर्नल सोफिया ने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर को उन मासूम पर्यटकों और जवानों को न्याय दिलाने के लिए शुरू किया गया, जो आतंकवाद का शिकार हुए।” उन्होंने स्पष्ट किया कि कार्रवाई के दौरान निर्दोष नागरिकों को नुकसान न पहुंचे, इसका खास ध्यान रखा गया

प्रमुख टारगेट्स में शामिल रहे:

  • सवाई नाला, मुजफ्फराबाद: लश्कर का ट्रेनिंग सेंटर
  • मरकज सुभानअल्लाह: जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय
  • कोटली गुरपुर और बरनाला कैंप: हथियार और आत्मघाती हमलावरों की ट्रेनिंग
  • अब्बास कैंप, कोटली: फिदायीन तैयार करने का अड्डा

विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने बताया कि ये आतंकी ठिकाने वर्षों से भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों में सक्रिय थे। इन जगहों से ही सोनमर्ग, गुलमर्ग, पहलगाम और पुंछ में हुए हमलों के लिए आतंकी तैयार किए गए थे।

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पहलगाम हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन टीआरएफ (The Resistance Front) ने ली है और हमले का सीधा संबंध पाकिस्तान से है। उन्होंने कहा, “हमारे पास पुख्ता खुफिया जानकारी थी कि इन ठिकानों से और हमले हो सकते हैं, जिसे रोकने के लिए हमने यह जवाबी कार्रवाई की।”

उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई संयमित, सटीक और ज़िम्मेदाराना थी, जिसका उद्देश्य आतंक के इन्फ्रास्ट्रक्चर को जड़ से खत्म करना था।

संयुक्त राष्ट्र ने भी इस बात को स्वीकारा है कि आतंकवादियों को जवाबदेह ठहराना आवश्यक है, और भारत ने इसी सिद्धांत पर अमल करते हुए यह कार्रवाई की है।

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