सिंघु और खनौरी बॉर्डर पर पंजाब सरकार के खिलाफ किसान आक्रोश, हरियाणा में हल्लाबोल का बिगुल!

By Pragati Tomer

🕒 Published 5 months ago (5:25 AM)

सिंघु और खनौरी बॉर्डर पर पंजाब सरकार के खिलाफ किसान आक्रोश, हरियाणा में हल्लाबोल का बिगुल!

पंजाब और हरियाणा में किसानों का आंदोलन एक बार फिर उफान पर है। सिंघु और खनौरी बॉर्डर पर पंजाब सरकार के खिलाफ किसान आक्रोश के बाद हरियाणा में किसानों ने हल्लाबोल का बिगुल बजा दिया है। पंजाब सरकार द्वारा किसानों के खिलाफ की गई कार्रवाई ने राज्य भर में किसानों के बीच भारी नाराजगी और असंतोष पैदा कर दिया है। हरियाणा और पंजाब के किसान इस एक्शन के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं और जोरदार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

क्यों भड़का किसानों का गुस्सा?

सिंघु और खनौरी बॉर्डर पर किसानों ने पिछले 13 महीनों से मोर्चा बांधा हुआ था। ये किसान सरकार से विभिन्न मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। उनकी प्रमुख मांगें एमएसपी की गारंटी, कृषि कानूनों के खिलाफ सुरक्षा, और किसानों की समस्याओं का स्थायी समाधान शामिल थीं। लेकिन पंजाब सरकार ने अचानक कार्रवाई करते हुए किसानों को वहां से हटा दिया, जिससे किसानों के बीच आक्रोश फैल गया। किसानों का कहना है कि इस कार्रवाई के पीछे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का दबाव था, जिसके चलते पंजाब पुलिस ने किसानों पर कड़ी कार्रवाई की।

सिंघु और खनौरी बॉर्डर पर पंजाब सरकार के खिलाफ किसान आक्रोश

हरियाणा में हल्लाबोल का ऐलान

सिंघु और खनौरी बॉर्डर पर पंजाब सरकार के खिलाफ किसान आक्रोश के चलते हरियाणा में भी किसानों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं। सोनीपत, हिसार और कुरुक्षेत्र जैसे शहरों में किसानों ने सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और विरोध जताया। किसानों का कहना है कि पंजाब सरकार ने किसानों के साथ विश्वासघात किया है और जबरन उन्हें धरना स्थल से हटाया गया है। इसके विरोध में किसानों ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान का पुतला फूंका और उनकी सरकार पर आरोप लगाए कि वह केंद्रीय दबाव में काम कर रही है।

पंजाब में पुलिस की सख्त कार्रवाई

सिंघु और खनौरी बॉर्डर पर पंजाब सरकार के खिलाफ किसान आक्रोश तब भड़का जब पुलिस ने धरने पर बैठे कई किसान नेताओं को गिरफ्तार कर लिया। इनमें प्रमुख किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल और सरवण सिंह पंधेर भी शामिल थे। पुलिस ने किसानों के तंबू और ट्रॉलियों को हटाकर हाईवे को खोल दिया, जिससे किसानों का गुस्सा और बढ़ गया। सरकार से सात बार हुई वार्ता विफल होने के बाद यह कार्रवाई की गई थी। इस दौरान मोगा, बठिंडा, मुक्तसर, फरीदकोट और अमृतसर में भी किसानों और पुलिस के बीच टकराव की स्थिति देखने को मिली।

किसानों की प्रमुख मांगें

किसानों की प्रमुख मांगें वही हैं जो उन्होंने पहले से सरकार के सामने रखी थीं। वे एमएसपी की गारंटी चाहते हैं और केंद्र सरकार से कृषि कानूनों के खिलाफ सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा, किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल समेत सभी गिरफ्तार किसानों की रिहाई की मांग कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होती, वे अपना आंदोलन जारी रखेंगे और सरकार को उनकी समस्याओं का समाधान करना ही होगा।

कांग्रेस का समर्थन और वॉकआउट

किसानों के आंदोलन को कांग्रेस का भी समर्थन मिल रहा है। पंजाब विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन कांग्रेस विधायकों ने किसानों की गिरफ्तारी के विरोध में वॉकआउट किया। कांग्रेस विधायकों ने अपने बाजुओं पर काले रंग की पट्टियां बांधकर विरोध जताया और पंजाब सरकार पर किसानों के खिलाफ तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाया।

शराब की बोतल के साथ सीएम का पुतला दहन

कुरुक्षेत्र में किसानों ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान का पुतला फूंका और उनके खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। किसानों ने पुतले पर शराब की बोतल लगाकर अपना विरोध दर्ज किया। उनका आरोप है कि मुख्यमंत्री ने किसानों के साथ विश्वासघात किया है और केंद्रीय गृह मंत्री के दबाव में आकर किसानों के खिलाफ कार्रवाई की है।

आंदोलन का भविष्य

सिंघु और खनौरी बॉर्डर पर पंजाब सरकार के खिलाफ किसान आक्रोश ने यह स्पष्ट कर दिया है कि किसान अपनी मांगों पर अडिग हैं। उन्होंने 26 मार्च को चंडीगढ़ कूच की घोषणा की है और कहा है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती, वे शांतिपूर्वक आंदोलन जारी रखेंगे। भारतीय किसान यूनियन के नेता जोगिंदर सिंह उगराहां ने भी पंजाब सरकार पर विश्वास न होने की बात कही है और किसानों से अपील की है कि वे सरकार की मीटिंग में न जाएं। उनका कहना है कि जब तक मुख्यमंत्री भगवंत मान खुद बैठक में नहीं आते, कोई भी निर्णय लेना संभव नहीं है।

सरकार की स्थिति

पंजाब सरकार का कहना है कि बॉर्डर बंद होने से राज्य को आर्थिक रूप से भारी नुकसान हो रहा था। यही कारण है कि सरकार को यह कदम उठाना पड़ा। हालांकि, सरकार यह भी कह रही है कि वह किसानों के हितों के लिए प्रतिबद्ध है और उनकी मांगों पर विचार करने के लिए तैयार है।

निष्कर्ष

सिंघु और खनौरी बॉर्डर पर पंजाब सरकार के खिलाफ किसान आक्रोश ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि किसानों का आंदोलन खत्म नहीं हुआ है। वे अपनी मांगों को लेकर अब भी दृढ़ हैं और सरकार से जवाबदेही चाहते हैं। हरियाणा और पंजाब में किसानों के विरोध प्रदर्शन से यह साफ है कि किसानों का यह संघर्ष अभी लंबा चल सकता है। सरकार को इस स्थिति का समाधान निकालना होगा, अन्यथा यह आंदोलन और भी व्यापक रूप ले सकता है।

सिंघु और खनौरी बॉर्डर पर पंजाब सरकार के खिलाफ किसान आक्रोश अब सिर्फ पंजाब तक सीमित नहीं रहा, बल्कि हरियाणा और अन्य राज्यों में भी फैलता जा रहा है। किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती, वे संघर्ष करते रहेंगे।

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