🕒 Published 5 days ago (3:56 PM)
उत्तर प्रदेश की सियासत में एक बार फिर गर्मी लौट आई है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इस समय एक विवाद के चलते सवालों के घेरे में हैं। वजह है—उनकी पत्नी डिंपल यादव पर मौलाना साजिद रशीदी की आपत्तिजनक टिप्पणी और उस पर अखिलेश की चुप्पी। लखनऊ की सड़कों पर लगे पोस्टरों से लेकर सोशल मीडिया तक यही सवाल उठ रहा है कि आखिर अखिलेश यादव इस मसले पर बोलने से बच क्यों रहे हैं?
क्या लिखा है पोस्टरों में?
बीजेपी के एमएलसी और प्रदेश महामंत्री सुभाष यदुवंश द्वारा लगाए गए पोस्टरों में पूछा गया है—”पत्नी के अपमान पर चुप रहने वाले, प्रदेश की बहन-बेटियों की सुरक्षा कैसे करेंगे?” यह सवाल अखिलेश यादव की नेतृत्व क्षमता और राजनीतिक नैतिकता पर सीधा प्रहार करता है।
मौलाना ने क्या कहा था?
ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी ने डिंपल यादव के एक मस्जिद दौरे पर उनकी पोशाक को लेकर टिप्पणी की थी। उन्होंने इसे इस्लामिक मर्यादाओं के खिलाफ बताते हुए डिंपल की तस्वीरों पर आपत्ति जताई। इस बयान के बाद मौलाना के खिलाफ लखनऊ में एफआईआर दर्ज की गई और बीजेपी सांसदों ने संसद में इसका विरोध भी किया।
क्यों चुप हैं अखिलेश?
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि अखिलेश की चुप्पी रणनीतिक है। समाजवादी पार्टी का वोट बैंक मुस्लिम, यादव और पिछड़ा वर्ग माने जाते हैं। ऐसे में किसी मुस्लिम धार्मिक नेता के खिलाफ सीधी प्रतिक्रिया देने से मुस्लिम वोट बैंक पर असर पड़ सकता है। 2027 विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रही सपा के लिए यह जोखिम भरा हो सकता है।
क्या है राजनीतिक समीकरण?
2024 लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन के बाद सपा अब 2027 में सत्ता में वापसी की रणनीति बना रही है। अखिलेश फिलहाल विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A को मज़बूत करने और संगठन विस्तार पर ध्यान दे रहे हैं। ऐसे में मुस्लिम समुदाय के एक वर्ग को नाराज़ करना उनके लिए नुकसानदेह हो सकता है।
बीजेपी का वार तेज
बीजेपी ने अखिलेश की चुप्पी को उनके खिलाफ राजनीतिक हथियार बना लिया है। सांसद बांसुरी स्वराज और अन्य नेताओं ने सवाल उठाए कि अखिलेश पत्नी के सम्मान में आवाज़ क्यों नहीं उठा रहे। अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष ने मस्जिद दौरे को ‘सपा दफ्तर’ जैसा करार दिया।
डिंपल यादव की प्रतिक्रिया
डिंपल यादव ने मौलाना के बयान पर सीधे जवाब देने से बचते हुए बीजेपी को मणिपुर हिंसा का मुद्दा उठाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि महिला सम्मान की चिंता हो, तो मणिपुर पर भी संवेदना दिखाई जाए। हालांकि, राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि अखिलेश की खामोशी उनकी छवि को नुकसान पहुंचा सकती है।
उत्तर प्रदेश की राजनीति में अखिलेश यादव की चुप्पी एक बड़ी बहस का मुद्दा बन चुकी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वह आने वाले समय में कोई स्पष्ट रुख अपनाते हैं, या रणनीतिक खामोशी को ही अपनी मजबूती मानते हैं।