अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य टकराव ने पूरे दक्षिण एशिया में कूटनीतिक हलचल मचा दी है। अक्टूबर 2025 में पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के पक्तिका प्रांत में हवाई हमले किए, जिनमें कई निर्दोष नागरिकों और तीन अफगानी क्रिकेटर्स की मौत हुई। तालिबान सरकार ने इसे ‘सीधा नागरिकों पर हमला’ करार दिया और जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी। लेकिन इस घटनाक्रम के पीछे अमेरिका, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तानी आर्मी चीफ असीम मुनीर की संदिग्ध रणनीति को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं।
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डूरंड लाइन: पुराना विवाद, नई चिंगारी
डूरंड लाइन को लेकर पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव कोई नई बात नहीं है। 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद पाकिस्तान ने लगातार आरोप लगाया कि अफगानिस्तान, टीटीपी (तेहरिक-ए-तालिबान पाकिस्तान) के आतंकियों को संरक्षण दे रहा है। जवाब में पाकिस्तान समय-समय पर सीमावर्ती इलाकों में सैन्य कार्रवाई करता रहा है। हालांकि अक्टूबर 2025 का हमला पिछले हमलों से कहीं ज्यादा गंभीर माना जा रहा है, जिससे दोनों देशों के बीच हालात बेहद नाजुक हो गए हैं।
अमेरिका की भूमिका पर उठे सवाल
2021 में अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाओं की वापसी के बाद अब अमेरिका, खासतौर पर डोनाल्ड ट्रंप, फिर से बगराम एयरबेस को लेकर मुखर नजर आ रहे हैं। सितंबर 2025 में ट्रंप ने तालिबान को चेतावनी दी थी कि अगर बगराम एयरबेस को लेकर सहयोग नहीं किया गया तो गंभीर नतीजे भुगतने होंगे। इसके बाद ही पाकिस्तान ने अचानक हवाई हमलों को अंजाम दिया। विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका पाकिस्तान के जरिए तालिबान पर दबाव बनाने की रणनीति अपना रहा है।
ट्रंप और मुनीर की गुप्त रणनीति?
सितंबर 2025 में व्हाइट हाउस में ट्रंप और जनरल असीम मुनीर की मुलाकात के बाद यह अटकलें और तेज हो गईं कि पाकिस्तान की कार्रवाई में अमेरिकी इशारा भी शामिल है। कई रिपोर्ट्स के मुताबिक ट्रंप और मुनीर ने अफगानिस्तान में दबाव बनाने के लिए मिलकर एक ‘गोपनीय दांव’ चला है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका अफगानिस्तान में फिर से सैन्य पकड़ बनाना चाहता है, जिसके लिए वह पाकिस्तान को माध्यम बना रहा है।
ईरान या अफगानिस्तान? असली निशाना कौन?
कुछ सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान ने अमेरिका को ईरान के खिलाफ सैन्य अड्डा देने की पेशकश की है। हालांकि, जानकारों का कहना है कि इसका असली मकसद अफगानिस्तान में अमेरिकी प्रभाव को फिर से स्थापित करना है। एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर कई विश्लेषकों ने दावा किया है कि मुनीर के साथ मीटिंग के बाद ट्रंप ने पाकिस्तान को ग्रीन सिग्नल दिया था।
भारत-तालिबान संबंधों से क्यों परेशान हैं अमेरिका और पाकिस्तान?
भारत और तालिबान के बीच हालिया समय में रिश्तों में सुधार आया है। अक्टूबर 2025 में तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी की भारत यात्रा और काबुल दूतावास को फिर से खोलने की भारत की घोषणा, इस रिश्ते को एक नई दिशा देती है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारत और तालिबान का यह नया समीकरण पाकिस्तान और अमेरिका दोनों के लिए चिंता का विषय बन गया है। पाकिस्तान को डर है कि भारत अफगानिस्तान में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है, जिससे उसकी रणनीतिक पकड़ कमजोर पड़ सकती है।
ट्रंप-मुनीर गठजोड़: तालिबान को घेरने की चाल?
कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक ट्रंप और मुनीर ने भारत-तालिबान रिश्तों से चिंतित होकर तालिबान पर दबाव बनाने की योजना बनाई। ट्रंप ने बगराम एयरबेस वापस पाने की मांग की, लेकिन जब तालिबान ने सहयोग नहीं किया तो पाकिस्तान ने सीमा पार हमले शुरू कर दिए। इस पूरे घटनाक्रम को भारत के प्रभाव को सीमित करने की साजिश भी कहा जा रहा है।
क्या दक्षिण एशिया एक नए संकट की ओर बढ़ रहा है?
अफगानिस्तान, पाकिस्तान, अमेरिका और भारत—चारों देशों की भूमिकाएं इस पूरे घटनाक्रम में महत्वपूर्ण हैं। अमेरिका और पाकिस्तान का संभावित गठजोड़, तालिबान के साथ भारत की बढ़ती नजदीकी, और बगराम एयरबेस को लेकर ट्रंप की रणनीति—ये सभी संकेत करते हैं कि दक्षिण एशिया में कूटनीतिक और सैन्य समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। यह आने वाले समय में क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है।
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