नई दिल्ली: विपक्ष द्वारा वोटर लिस्ट में गड़बड़ियों के आरोपों पर चुनाव आयोग ने स्पष्ट जवाब दिया है। आयोग का कहना है कि यदि राजनीतिक दलों ने सही समय पर आपत्तियां दर्ज कराई होतीं, तो गलतियों को आसानी से सुधारा जा सकता था। आयोग ने दावा किया कि वोटर लिस्ट की तैयारी की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी है और इसमें सभी राजनीतिक दलों को शामिल किया जाता है।
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वोटर लिस्ट कैसे तैयार होती है?
चुनाव आयोग ने बताया कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए वोटर लिस्ट तैयार करने का काम इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर्स (EROs) करते हैं, जिन्हें एसडीएम स्तर का अधिकारी नियुक्त किया जाता है।
इनकी मदद बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLOs) करते हैं। ये अधिकारी लिस्ट की सटीकता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी निभाते हैं।
ड्राफ्ट लिस्ट पर आपत्तियों का मौका
आयोग के अनुसार, वोटर लिस्ट का ड्राफ्ट तैयार होते ही उसकी कॉपी राजनीतिक दलों को दी जाती है और इसे वेबसाइट पर भी अपलोड किया जाता है।
इसके बाद लगभग एक महीने तक दावे और आपत्तियां दर्ज करने की प्रक्रिया चलती है। इस दौरान कोई भी व्यक्ति या पार्टी लिस्ट में गड़बड़ियों की शिकायत कर सकती है।
फाइनल लिस्ट और अपील का अधिकार
फाइनल वोटर लिस्ट प्रकाशित होने के बाद भी इसकी कॉपियां राजनीतिक दलों को दी जाती हैं। यदि किसी को आपत्ति होती है, तो वह दो स्तरों पर अपील कर सकता है:
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जिला मजिस्ट्रेट (DM) के पास
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मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) के पास
आयोग का विपक्ष को सीधा संदेश
आयोग ने कहा कि कई राजनीतिक दलों और उनके बूथ लेवल एजेंट्स (BLAs) ने ड्राफ्ट लिस्ट की समय पर जांच नहीं की।
यदि वे उस समय ध्यान दिलाते, तो गलतियों को सुधारा जा सकता था। अब पुरानी और नई वोटर लिस्ट में गड़बड़ियों की बात उठाई जा रही है, जबकि यह मुद्दा पहले उठाना चाहिए था।
पारदर्शिता पर जोर
चुनाव आयोग ने कहा कि वोटर लिस्ट बनाने में पूरी पारदर्शिता बरती जाती है। सभी दलों और मतदाताओं से अपील की गई है कि वे वोटर लिस्ट की जांच करें और यदि कोई गलती मिले तो तुरंत बताएं।
आयोग ने यह भी साफ किया कि वह वोटर लिस्ट को बेहतर बनाने के लिए हमेशा तैयार है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि सभी पक्ष समय पर अपनी जिम्मेदारी निभाएं।


