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सुप्रीम कोर्ट में SIR मामले में चुनाव आयोग का बड़ा आरोप

सुप्रीम कोर्ट में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) मामले की सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने एक गंभीर आरोप लगाया है। आयोग ने कहा कि कुछ राजनीतिक दल और एजेंसियां चुनाव प्रक्रिया में सहयोग करने के बजाय जनता की धारणा गढ़ने में लगे हैं। चुनाव आयोग ने साफ कहा कि ये दल और समूह ‘केवल एक कहानी गढ़ने’ पर ध्यान दे रहे हैं, जबकि वे मतदाता सूची में पारदर्शिता और सटीकता सुनिश्चित करने में मदद नहीं कर रहे हैं।

आयोग के पुनरीक्षण में पर्याप्त सुरक्षा उपाय नहीं

आयोग की यह टिप्पणी बिहार में आगामी चुनावों से पहले मतदाता सूची संशोधन और सत्यापन के बीच आई है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि आयोग के पुनरीक्षण में पर्याप्त सुरक्षा उपाय नहीं हैं, जिससे मतदाताओं के नाम मनमाने तरीके से हटाए जा सकते हैं। इसका असर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव पर पड़ सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने मांगी थी जानकारी

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को चुनाव आयोग से बिहार की विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया के बाद बाहर किए गए 3.66 लाख मतदाताओं का पूरा विवरण मांगा था। चुनाव आयोग ने न्यायालय को सूचित किया था कि जोड़े गए अधिकांश नाम नए वोटरों के हैं। इसके बादअब तक सूची से बाहर किये गए किसी भी मतदाता ने कोई शिकायत या अपील दायर नहीं की है।

चुनाव आयोग ने बताया कि अधिकांश हटाए गए नाम नए मतदाताओं के हैं और अब तक इस संबंध में कोई शिकायत या अपील नहीं मिली है।जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा है कि चुनाव आयोग को बाहर रखे गए मतदाताओं की जानकारी आज (9 अक्टूबर) तक अदालत में पेश करनी होगी।चुनाव आयोग ने बिहार में चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी है। राज्य में चुनाव दो चरणों में होंगे — 6 और 11 नवंबर को 243 सीटों पर वोटिंग होगी, जबकि मतगणना 14 नवंबर को होगी।

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