National Herald Case: ED ने सोनिया, राहुल समेत कई कांग्रेस नेताओं के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की, 25 अप्रैल को कोर्ट में सुनवाई

By Hindustan Uday

🕒 Published 4 months ago (8:02 AM)

National Herald Case: नेशनल हेराल्ड और एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए पहली चार्जशीट दाखिल कर दी है। इस चार्जशीट में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, सांसद राहुल गांधी, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे के नाम शामिल हैं।

दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 25 अप्रैल को होगी। कोर्ट ने ED से केस की डायरी भी मांगी है।

कुर्क संपत्तियों की कार्रवाई

ED ने 12 अप्रैल को जांच के दौरान दिल्ली, लखनऊ और मुंबई में कुल 661 करोड़ रुपए की अचल संपत्तियों को कुर्क करने का नोटिस जारी किया था। इससे पहले मंगलवार को ही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा से भी गुरुग्राम के शिकोहपुर लैंड घोटाले में पूछताछ की गई।

कांग्रेस का पलटवार: ‘बदले की राजनीति’

कांग्रेस ने ED की इस कार्रवाई को राजनीतिक प्रतिशोध बताया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा, “नेशनल हेराल्ड की संपत्ति जब्त करना कानून के शासन का मुखौटा पहने राज्य प्रायोजित अपराध है। चार्जशीट दाखिल करना प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की ओर से बदले की राजनीति है। लेकिन कांग्रेस और उसका नेतृत्व चुप नहीं बैठेगा। सत्यमेव जयते।”

पूर्व की पूछताछ

इस केस में जून 2022 में राहुल गांधी से पांच दिनों में 50 घंटे से ज्यादा पूछताछ की गई थी। वहीं जुलाई 2022 में सोनिया गांधी से भी तीन दिन में 12 घंटे पूछताछ की गई थी और 100 से अधिक सवाल किए गए थे।

क्या है नेशनल हेराल्ड केस?

2012 में भाजपा नेता डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में याचिका दाखिल कर सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीज, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे पर आरोप लगाया था कि इन्होंने कांग्रेस से जुड़े ‘यंग इंडियन’ नाम की कंपनी बनाकर जानबूझकर घाटे में चल रहे ‘नेशनल हेराल्ड’ अखबार को अवैध रूप से अपने कब्जे में ले लिया।

स्वामी का आरोप था कि दिल्ली के बहादुर शाह ज़फ़र मार्ग स्थित 2,000 करोड़ रुपए मूल्य की ‘हेराल्ड हाउस’ बिल्डिंग समेत AJL की संपत्तियों को हड़पने के लिए यह पूरा खेल रचा गया था। उन्होंने कहा था कि महज़ 50 लाख रुपए में एक 2,000 करोड़ की कंपनी का अधिग्रहण किया गया, जो मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी का मामला बनता है।

जून 2014 में कोर्ट ने सभी आरोपियों को समन जारी किया था और दिसंबर 2015 में उन्हें जमानत दी गई थी। अगस्त 2014 में ED ने भी मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी।

अब 11 साल बाद इस मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी गई है और अगली सुनवाई 25 अप्रैल को होगी।

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