🕒 Published 1 month ago (2:51 PM)
भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने मतदाता सूचियों को अधिक पारदर्शी और अद्यतन बनाने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। आयोग ने लगभग 20 वर्षों से चली आ रही समान मतदाता पहचान संख्या (EPIC) की समस्या को सफलतापूर्वक हल कर दिया है। यह समस्या तब शुरू हुई थी जब वर्ष 2005 से विभिन्न निर्वाचन रजिस्ट्रेशन अधिकारियों (ERO) द्वारा एक जैसी अल्फ़ान्यूमेरिक श्रृंखला का प्रयोग कर वास्तविक मतदाताओं को समान EPIC नंबर जारी कर दिए गए थे।
नए EPIC नंबर जारी, समस्या का व्यापक समाधान
ECI ने सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEO) और देशभर के 4123 विधानसभा क्षेत्रों में फैले 10.5 लाख मतदान केंद्रों की व्यापक जांच की। इस जांच में 99 करोड़ से अधिक मतदाताओं के चुनावी डेटा का गहन विश्लेषण किया गया। परिणामस्वरूप जिन मतदाताओं के EPIC नंबर समान पाए गए, उन्हें अब नए नंबरों के साथ नए मतदाता पहचान पत्र जारी कर दिए गए हैं।
पुष्टि हुई: मतदाता अलग-अलग क्षेत्रों के, कोई दोहराव नहीं
क्षेत्रीय सत्यापन के दौरान सामने आया कि समान EPIC नंबर रखने वाले मतदाता वास्तव में अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों और मतदान केंद्रों से थे। यानी वे सभी वास्तविक मतदाता थे, जिनके EPIC नंबरों में गलती हुई थी।
कैसे हुई थी गलती?
समस्या की शुरुआत 2005 में उस समय हुई जब राज्यवार निर्वाचन क्षेत्रों में अलग-अलग EPIC श्रृंखला का उपयोग विकेंद्रीकृत तरीके से किया गया। वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद जब श्रृंखलाएं बदली गईं, तब कुछ क्षेत्रों ने पुरानी श्रृंखला का उपयोग जारी रखा या टाइपिंग त्रुटियों के कारण गलत श्रृंखला का प्रयोग हो गया।
चुनावी नतीजों पर नहीं पड़ा कोई असर
ECI ने स्पष्ट किया कि EPIC नंबर की समानता के बावजूद, मतदाता केवल उसी केंद्र पर मतदान कर सकते थे जहाँ उनका नाम मतदाता सूची में दर्ज था। इसलिए, इस तकनीकी त्रुटि का किसी भी चुनाव के नतीजों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।