नई दिल्ली: भारत में ऊर्जा क्षेत्र तेजी से बदल रहा है। सरकार ने विदेशी तेल पर निर्भरता कम करने और पर्यावरण को साफ रखने के लिए इथेनॉल को पेट्रोल में मिलाने के कार्यक्रम को तेज किया है। 2025 में भारत ने 20% इथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल (E20) का लक्ष्य हासिल कर लिया। 13 अगस्त को सरकार ने प्रेस रिलीज जारी कर E20 से जुड़े कई भ्रम दूर किए और इसके पर्यावरण, किसानों और आर्थिक फायदे बताए।
इथेनॉल क्या है और क्यों जरूरी है
इथेनॉल एक प्रकार का अल्कोहल है, जो मुख्य रूप से गन्ना और मक्का जैसी फसलों से बनाया जाता है। यह पारंपरिक जीवाश्म ईंधनों का विकल्प हो सकता है और उत्पादन सस्ता व आसान है। भारत में अधिकतर इथेनॉल गन्ने की चाशनी से तैयार किया जाता है।
इथेनॉल बनाने की प्रक्रिया
कच्चा माल तैयार करना: मक्का को पीसकर पाउडर बनाया जाता है, जबकि गन्ने से रस निकालकर शक्कर हटाई जाती है और बची चाशनी का उपयोग होता है।
एंजाइम का प्रयोग: मक्का या चाशनी में विशेष एंजाइम मिलाकर स्टार्च को शक्कर में बदल दिया जाता है।
खमीर डालकर फर्मेंटेशन: इस मिश्रण में खमीर डालकर 2-3 दिन के लिए 30-35°C तापमान पर रखा जाता है। खमीर चीनी को खाकर इथेनॉल और कार्बन डाइऑक्साइड बनाता है।
डिस्टिलेशन: मिश्रण को गरम करके इथेनॉल को भाप में बदलकर अलग किया जाता है और फिर तरल रूप में लाकर 99% से अधिक शुद्धता प्राप्त की जाती है।
पेट्रोल में ब्लेंडिंग प्रक्रिया
डिनेचरेशन: शुद्ध इथेनॉल में कड़वे रसायन मिलाकर इसे पीने योग्य नहीं बनाया जाता।
ट्रांसपोर्टेशन: डिनेचर्ड इथेनॉल को तेल डिपो या ब्लेंडिंग टर्मिनल तक पहुंचाया जाता है, जो IOCL और BPCL जैसी कंपनियां करती हैं।
ब्लेंडिंग: टर्मिनल में पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिलाकर E20 बनाया जाता है।
गुणवत्ता जांच और वितरण: ब्लेंडेड पेट्रोल इंजन के लिए सुरक्षित है या नहीं, इसकी जांच के बाद इसे पेट्रोल पंपों पर भेजा जाता है।
E20 के फायदे
इथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल किसानों के लिए अतिरिक्त आय का साधन है, प्रदूषण कम करता है, आयातित तेल पर निर्भरता घटाता है और भारत की ऊर्जा सुरक्षा में योगदान देता है।


