🕒 Published 4 weeks ago (11:03 AM)
नई दिल्ली, 21 मई 2025 , सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर चर्चा में आए अशोका यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर और जाने-माने विचारक डॉ. अली खान महमूदाबाद को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सोशल मीडिया पर डाली गई पोस्ट को लेकर गिरफ्तार किए गए प्रोफेसर को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम ज़मानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। प्रोफेसर खान को सोशल मीडिया पोस्ट के लिए 18 मई को गिरफ्तार किया गया था।
शब्दों के चयन में सावधानी बरतनी चाहिए
सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा: “आप एक पढे लिखे व्यक्ति हैं आपको शब्दों के चयन में सावधानी बरतनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि जब पूरा देश एकजुट होकर संकट का सामना कर रहा हो तब क्या ऐसे शब्दों की आवश्यकता थी जो समाज को बांट सकते हैं?” साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रोफेसर की पोस्ट में युद्ध विरोध का संदेश अवश्य छिपा था, लेकिन उनके शब्दों के दोहरे अर्थ निकल सकते हैं, जो सार्वजनिक भावना को ठेस पहुँचा सकते हैं। हालांकि सभी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है, लेकिन जब देश में आपरेशन सिंदूर के दौरान जब अभी ऐसी टिप्पणी क्यों की गई?
निष्पक्ष जांच के लिए 3 सदस्यीय SIT गठित करने का आदेश
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने प्रोफेसर की तरफ से पक्ष रखते हुए कहा: “यह सिर्फ एक सोशल मीडिया पोस्ट है, जो युद्ध के दुष्परिणामों पर आधारित है। यह गिरफ्तारी गैर-ज़रूरी और असंवेदनशील है।” कोर्ट ने मामले की निष्पक्ष जांच के लिए 3 सदस्यीय SIT गठित करने का आदेश दिया है, जिसमें एक महिला अधिकारी और हरियाणा राज्य से बाहर के अधिकारी शामिल होंगे। टीम का नेतृत्व IG रैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी करेंगे।
सोशल मीडिया पर पोस्ट को लेकर किया गया था गिरफ्तार
बता दें कि प्रोफेसर अली खान ने हाल ही में “ऑपरेशन सिंदूर” को लेकर एक पोस्ट सोशल मीडिया पर डाली थी जिसमें उन्होंने युद्ध और उसके मानवीय पहलुओं पर होने वाले प्रभावों को लेकर चिंता जताई थी। इस पोस्ट में उन्होंने महिला अधिकारी कर्नल कुरैशी और विंग कमाडंर व्योमिका सिंह की मीडिया ब्रीफिंग को “प्रतीकात्मक” बताते हुए पोस्ट में लिखा कि अगर यह जमीनी स्तर पर बदलाव नहीं लाएगी, तो यह केवल “दिखावा” होगा। हालांकि, कुछ वर्गों ने इस पोस्ट को राजनीतिक और भड़काऊ बताया। इस पोस्ट पर हरियाणा राज्य महिला आयोग ने प्रोफेसर को नोटिस भेजा था और 14 मई को पेश होने के लिए बुलाया गया था। लेकिन प्रोफेसर महिला आयोग के समक्ष उपस्थित नहीं हुए, सिर्फ लिखित जवाब भेजा। बाद में इस मामले में सोनीपत में प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद के खिलाफ दो केस दर्ज हुए. और उन्हें 18 मई रविवार को गिरफ्तार कर लिया गया।
राहत के लिए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंचेअली खान
सोशल मीडिया पर पोस्ट के मामले में अपनी गिरफ्तारी को गलत बताते हुए प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद राहत के लिए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। अली खान ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर गिरफ्तारी को चुनौती दी थी और मामले पर जल्द सुनवाई की गुहार लगाई गई थी । सोमवार को वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और आगस्टिन जार्ज मसीह की पीठ के समक्ष याचिका का जिक्र किया। सिब्बल ने कहा था कि उन्हें देशभक्ति वाले बयान के लिए गिरफ्तार किया गया है। जिस पर कोर्ट ने केस सुनवाई के लिए जल्द ही सूचीबद्ध करने का भरोसा दिलाया था। बता दें कि इससे पहले, मंगलवार को प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की दो दिन की रिमांड खत्म होने पर सोनीपत जिला कोर्ट ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट आजाद सिंह की कोर्ट ने 27 मई तक 7 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेजा था।
खरगे ने गिरफ्तारी को बताया था दुर्भाग्यपूर्ण
‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर पोस्ट करने को लेकर गिरफ्तार किए गए अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद के मामले में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अली खान महमूदाबाद की गिरफ्तारी को लेकर भाजपा से सवाल किया है। उन्होंने कहा कि प्रोफेसर अली खान की गिरफ्तारी दिखाती है कि भाजपा किसी भी ऐसी राय से कितना डरती है, जो उन्हें पसंद नहीं। खरगे ने भी प्रोफेसर की गिरफ्तारी को दुर्भाग्यपूर्ण बताया था।