हिंदू धर्म में दिवाली एक अत्यंत शुभ और पवित्र पर्व माना जाता है। यह पर्व कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है, और इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की विशेष पूजा का विधान होता है। साल 2025 में दिवाली 20 अक्टूबर, सोमवार को मनाई जाएगी। मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से दरिद्रता दूर होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
दिवाली पूजन के साथ-साथ इस दिन एक खास पौराणिक कथा सुनने की भी परंपरा है, जो मां लक्ष्मी की कृपा और भक्त के विश्वास की प्रेरणादायक कहानी बताती है।
विषयसूची
साहूकार की बेटी और मां लक्ष्मी की भक्ति कथा
पुराने समय की बात है, एक नगर में एक धनी साहूकार रहता था। उसकी एक बेटी थी जो बहुत ही धार्मिक, विनम्र और सेवा-भाव से भरपूर थी। वह प्रतिदिन अपने घर के सामने लगे पीपल के पेड़ को जल अर्पित करती थी। उसी वृक्ष में मां लक्ष्मी का वास था। साहूकार की बेटी की निष्ठा और भक्ति से मां लक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न हो गईं।
लक्ष्मीजी का प्रस्ताव
एक दिन जब वह कन्या पीपल की पूजा कर रही थी, तभी मां लक्ष्मी प्रकट हुईं और बोलीं कि वे उससे बहुत प्रसन्न हैं और उसे अपनी सहेली बनाना चाहती हैं। बेटी ने अपनी माता-पिता से अनुमति लेने की विनती की। माता-पिता की सहमति के बाद वह प्रस्ताव स्वीकार कर लेती है। इसके बाद लक्ष्मीजी और उस कन्या के बीच सच्ची मित्रता हो जाती है।
लक्ष्मीजी के घर आमंत्रण
एक दिन लक्ष्मीजी ने उस कन्या को अपने घर भोजन के लिए बुलाया। वहां उसे सोने की चौकी पर बैठाकर सोने-चांदी के बर्तनों में स्वादिष्ट भोजन कराया गया और सुंदर वस्त्र भी पहनाए गए। विदा करते हुए लक्ष्मीजी ने कहा कि वे कुछ समय बाद उसके घर भी पधारेंगी।
कन्या की चिंता और चमत्कारी घटना
यह सुनकर कन्या चिंतित हो गई कि वह मां लक्ष्मी का स्वागत कैसे करेगी। उसके पिता ने कहा कि सच्चे मन और प्रेम से किया गया स्वागत ही सबसे बड़ा सत्कार होता है। घर को साफ-सुथरा रखें और श्रद्धा से भोजन बनाएं। तभी एक अद्भुत घटना घटी—एक चील उड़ती हुई आई और एक कीमती हार उनके आंगन में गिरा गई। उस हार को बेचकर उन्होंने पूरे घर को सजाया, सुंदर बर्तन खरीदे और स्वादिष्ट व्यंजन बनाए।
लक्ष्मीजी का स्वागत और आशीर्वाद
लक्ष्मीजी जब साहूकार के घर आईं, तो कन्या ने उन्हें सोने की चौकी पर बैठने को कहा। लेकिन लक्ष्मीजी ने सादगी का परिचय देते हुए भूमि पर आसन बिछाकर भोजन किया और परिवार के प्रेमपूर्ण सत्कार से प्रसन्न होकर उन्हें सुख, शांति और धन-धान्य का आशीर्वाद दिया।
कथा से शिक्षा
इस कथा से यह सीख मिलती है कि सच्चे मन से की गई पूजा और सेवा से मां लक्ष्मी अवश्य प्रसन्न होती हैं। वैभव से अधिक महत्वपूर्ण होता है श्रद्धा, प्रेम और भक्ति।
दिवाली के दिन यह कथा क्यों सुनें
दिवाली पर यह कथा सुनने से मन में सकारात्मक ऊर्जा आती है और जीवन में आशा, विश्वास और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है। मां लक्ष्मी की यह पौराणिक कथा हर व्यक्ति को सच्चे विश्वास की राह दिखाती है।
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