🕒 Published 3 weeks ago (1:30 PM)
नई दिल्ली : Divine Story Sawan Somwar, भगवान भोलेनाथ का प्रिय महीना सावन शुरू हो गया है । कहते है इस पावन महीने में दिल से भगवान भोलेनाथ की भक्ति करनी चाहिए । यदि आपकी कोई मनोकामना पूरी नहीं हो रही हो, बार-बार मेहनत करने के बावजूद भी सफलता नहीं मिल रही हो, या फिर जीवन में कोई समस्या हो तो इस सावन सोमवार का व्रत जरूर करें और इस व्रत कथा को श्रद्धा से पढ़ें।
मान्यता है कि Divine Story Sawan Somwar इस व्रत को करने और इसकी कथा को सुनने से सभी कष्ट संकट और परेशानियां हो जाती हैं ।इसके अलावा पूरे सावन भगवान भोलेनाथ के षडाक्षरी मत्र “ॐ नमः शिवाय” का जाप जरूर करें । हर मनोकामना पूरी होगी ।
कैसे करें सावन सोमवार का व्रत
सावन सोमवार को ब्रहममुहूर्त में उठकर स्नान करें । फिर भगवान शिव का गंगाजल और दूध से अभिषेक करे । व्रत के दिन शरीर, मन और वचन की पवित्रता रखें । व्रत में हमेशा सात्विक भोजन ग्रहण करें । सोमवार का व्रत साधारणतया दिन के तीसरे पहर तक होता है। व्रत में फलाहार या परायण का कोई खास नियम नहीं है. लेकिन ये जरूरी है कि दिन रात में केवल एक समय भोजन करें । सोमवार के व्रत में शिवजी व पार्वती का पूजन करना चाहिए।
सोमवार का व्रत की कथा,Divine Story Sawan Somwar
सोमवार व्रत की कथा कुछ इस प्रकार है एक समय की बात है। एक नगर में एक साहूकार रहता था जो भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था । उसके पास धन-दौलत की कोई कमी नहीं थी, लेकिन उसके कोई संतान नहीं थी । जिसके कारण वह दुखी रहता था और हर रोज शिव मंदिर जाकर दीपक जलाकर संतान की कामना करता था।
भगवान शिव ने दिया पुत्र प्राप्ति का वरदान
माता पार्वती जिनसे किसी भी भक्त की पीड़ा देखी नहीं जाती तो उन्होंने उस सेठ की भक्ति देखकर भगवान शिव से कहा, “प्रभु, यह भक्त आपको इतना मानता है, फिर भी दुखी है आप इसकी परेशानी दूर कीजिए।” इस पर भगवान भोलेनाथ ने कहा कि पार्वती इस साहूकार की किस्मत में संतान सुख नहीं है और अगर इसे पुत्र मिलेगा भी, तो वह केवल 12 साल की आयु ही लेकर आएगा । लेकिन माता पार्वती भी जिद पर अड़ गई । तो भगवान शिव ने माता पार्वती की बात को मानकर साहूकार को पुत्र का वरदान दे दिया ।
इसके बाद कुछ समय बीता और साहूकार की पत्नी गर्भवती हो गई और नौ माह बाद एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया । पूरा परिवार खुश था लेकिन साहूकार शांत था क्योंकि वह जानता था कि उनका यह बेटा ज्यादा समय तक जिंदा नहीं रहेगा । लेकिन सेठ ने इस बात का जिक्र किसी को नहीं किया ।
जब राजकुमारी से हुई साहूकार के बेटे की शादी
साहूकार का बेटा जब 11 साल का हुआ, तो साहूकार ने उसे पढ़ाई के लिए काशी भेजने की योजना बनाई । उसने बेटे के मामा से कहा, “इसे काशी ले जाओ और रास्ते में जहाँ भी ठहरो, वहाँ यज्ञ करना और ब्राह्मणों को भोजन कराना।” जब लड़का मामा के साथ जा रहा था तो रास्ते में एक राजा की बेटी का विवाह था । जिस युवक से राजकुमारी का विवाह हो रहा था वह लड़का काना था ।
जब दुल्हे के पिता ने साहूकार के लड़के को देखा तो उसे एक युक्ति सूझी । दुल्हे के पिता ने लड़के के मामा से बात की कि वह अपने भांजे को फेरे होने तक दुल्हा बना दो । शादी तुम्हारे भांजे से होगी फिर दुल्हन को हम अपने घर ले जाएंगे और राजा को पता भी नहीं लगेगा कि राजकुमारी की शादी किसके साथ हुई है। इसके बदले में वह उन्हें बहुत सा धन देंगे । मामा इस बात के लिए राजी हो गया और साहूकार के बेटे को शादी के मंडप में बैठा दिया गया।
पुत्र की मृत्यु और शिव-पार्वती की कृपा
विवाह होने के बाद जाते समय साहूकार के बेटे ने दुल्हन की चुनरी में लिख दिया — तेरा विवाह तो मेरे साथ हुआ है, लेकिन जिस राजकुमार के साथ भेजेंगे वह तो एक आंख का काना है। इतना सब करने के बाद मामा और भांजा काशी के लिए रवाना हो गये । जब शादी की असलियत खुली तो राजकुमारी ने काणे राजकुमार के साथ जाने से मना कर दिया और बारात लौट गई।
काशी पहुँचने के कुछ समय बाद एक दिन यज्ञ के दौरान साहूकार के बेटे की मृत्यु हो गई । जिससे मामा बहुत दुखी हुए लेकिन उन्होंने पहले यज्ञ पूरा किया और फिर रोने लगे । उसी समय भगवान शिव और माता पार्वती दोनों वहाँ से गुजर रहे थे । माता पार्वती ने उनकी रोने की आवाज़ सुनी और जब पूरी बात जानी तो बोलीं, “हे प्रभु, यह तो आपके आशीर्वाद से जन्मा बालक है, इसे दोबारा जीवन दीजिए।”
जब साहूकार के बेटे को मिला जीवनदान,Divine Story Sawan Somwar
माता पार्वती को जवाब देते हुए भगवान शिव ने कहा, “इसकी आय पूरी हो चुकी है।” लेकिन माता के बार-बार आग्रह करने पर उन्होंने उस लड़के को फिर से जीवित कर दिया । लड़का “ॐ नम: शिवाय” कहते हुए उठ खड़ा हुआ। काशी पढ़ने के बाद वापसी में मामा भांजा उसी राज्य से गुजर रहे थे तो राजकुमारी ने अपने असली पति को पहचान लिया । राजा ने अपनी बेटी को उसके साथ विदा कर दिया।
Divine Story Sawan Somwar, भगवान भोलेनाथ हुए भक्ति से खुश
वहीं साहूकार और उसकी पत्नी ने व्रत ले लिया था कि अगर उनका बेटा सकुशल वापस नहीं आया, तो वे छत से कूदकर जान दे देंगे । तभी मामा ने आकर खबर दी और दोनों को विश्वास दिलाया । माता-पिता की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
उसी रात भगवान शिव ने सपने में आकर साहूकार से कहा, “मैं तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न हूँ। जो भी व्यक्ति श्रद्धा से इस कथा को पढ़ेगा या सुनेगा, उसकी हर मनोकामना पूरी होगी और सारे दुख दूर हो जाएंगे।”
इस सावन सोमवार पर शिवजी की पूजा करें, व्रत रखें, और इस पावन कथा को जरूर पढ़ें या सुनें ।