उत्तर प्रदेश में विस्थापित परिवारों को मिलेगा भूमि स्वामित्व: CM योगी का बड़ा निर्णय

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By Hindustan Uday

🕒 Published 2 weeks ago (2:10 PM)

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने बांग्लादेश (पूर्वी पाकिस्तान) से विस्थापित होकर प्रदेश के विभिन्न जिलों में बसाए गए परिवारों को जमीन का मालिकाना हक देने की प्रक्रिया तेज कर दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को एक उच्चस्तरीय बैठक में स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि यह सिर्फ भूमि के अधिकार का मामला नहीं है, बल्कि उन परिवारों को सम्मान देने का प्रयास है जो दशकों से अपने पुनर्वास का इंतजार कर रहे हैं।

विस्थापितों को मिलेगा सम्मान
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि इन परिवारों के साथ संवेदनशीलता और सम्मान का व्यवहार किया जाना चाहिए। उन्होंने इस फैसले को शासन की नैतिक जिम्मेदारी बताते हुए कहा कि यह उन लोगों के संघर्ष को पहचानने का मौका है, जो सीमाओं के पार से भारत आए और यहां जीवन की नई शुरुआत की।

1960 से 1975 के बीच हुआ था विस्थापन
विभाजन के बाद 1960 से 1975 के बीच पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से हजारों परिवार उत्तर प्रदेश के जिलों – पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बिजनौर और रामपुर – में लाकर बसाए गए थे। शुरुआत में इन लोगों को ट्रांजिट कैंपों के माध्यम से विभिन्न गांवों में भूमि आवंटित कर बसाया गया था, लेकिन दस्तावेज़ों में खामियों की वजह से आज तक उन्हें वैध भूस्वामित्व का अधिकार नहीं मिल सका है।

कानूनी अड़चनें बनी रुकावट
अधिकारियों ने बताया कि वर्षों पहले आवंटित की गई भूमि आज भी कहीं वन विभाग के नाम दर्ज है, तो कहीं नामांतरण लंबित है। कुछ मामलों में कब्जा तो है, लेकिन वैधानिक अधिकार नहीं हैं। इसके अलावा कुछ गांवों में आज वे परिवार ही नहीं बचे जिन्हें कभी बसाया गया था। कई लोगों ने बिना कानूनी प्रक्रिया अपनाए जमीन पर कब्जा कर लिया है, जिससे विवाद और प्रशासनिक उलझनें खड़ी हो गई हैं।

नया समाधान खोजने के निर्देश
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में जहां पहले ‘गर्वनमेंट ग्रांट एक्ट’ के तहत भूमि दी गई थी, वहां अब इस अधिनियम के 2018 में निरस्त होने के बाद नया वैध विकल्प तलाशा जाए। योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए ऐसे परिवारों को विधिसम्मत रूप से भूमि का अधिकार दिया जाए ताकि वे सम्मानजनक जीवन जी सकें।

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