🕒 Published 5 months ago (9:47 AM)
दिल्ली शराब घोटाला: CAG रिपोर्ट के बड़े खुलासे, बढ़ी AAP की मुश्किलें?
दिल्ली में कथित शराब घोटाले की जांच और उस पर जारी सीएजी (महालेखाकार) की रिपोर्ट ने एक बार फिर दिल्ली की राजनीति में भूचाल ला दिया है। इस रिपोर्ट में कई ऐसे खुलासे हुए हैं जो आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं। दिल्ली शराब घोटाला अब केवल एक वित्तीय अनियमितता का मामला नहीं रहा, बल्कि इसे लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है।
क्या है दिल्ली शराब घोटाला?
दिल्ली शराब घोटाला, दिल्ली की नई शराब नीति से जुड़ा हुआ एक विवादित मामला है, जो पहली बार 2021 में प्रकाश में आया। इसमें आरोप है कि नई शराब नीति में जानबूझकर ऐसे बदलाव किए गए जिससे सरकार को भारी राजस्व नुकसान हुआ और निजी खिलाड़ियों को फायदा पहुंचाया गया। दिल्ली सरकार पर यह भी आरोप है कि उसने शराब नीति बनाते समय विशेषज्ञों की सलाह को नजरअंदाज किया और नियमों की अनदेखी की।
CAG रिपोर्ट के प्रमुख खुलासे
दिल्ली शराब घोटाला के सिलसिले में सीएजी की रिपोर्ट ने कई बड़े और चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, नई शराब नीति से दिल्ली सरकार को 2000 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ। इसके अलावा, कई ऐसे निर्णय लिए गए जो वित्तीय दृष्टिकोण से असंगत थे। आइए जानते हैं इस रिपोर्ट के प्रमुख बिंदुओं को:
2,026 करोड़ का नुकसान: सीएजी की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि दिल्ली की शराब नीति में बदलाव से सरकार को 2,026.91 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। यह घाटा राजस्व में कमी के कारण हुआ है, जिसका सीधा असर सरकारी खजाने पर पड़ा।
आवश्यक नियमों की अनदेखी:
नई शराब नीति के तहत दिल्ली आबकारी नियम 2010 के तहत बनाए गए नियमों का पालन नहीं किया गया। खासतौर पर नियम 35 की अनदेखी की गई, जिसके तहत शराब दुकानों और लाइसेंसिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाती है।दिवालिया कंपनियों को लाइसेंस:
सीएजी रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने वित्तीय रूप से कमजोर और दिवालिया कंपनियों को भी लाइसेंस जारी किए। यहां तक कि इन कंपनियों के वित्तीय विवरण, बिक्री डेटा, और आपराधिक पृष्ठभूमि की उचित जांच भी नहीं की गई।थोक विक्रेता मार्जिन में बढ़ोतरी:
नई नीति के तहत थोक विक्रेताओं के मार्जिन को 5% से बढ़ाकर 12% कर दिया गया, जिससे निजी कंपनियों को फायदा हुआ और सरकारी राजस्व को हानि हुई।लाइसेंसिंग में पारदर्शिता की कमी:
नई शराब नीति में पारदर्शिता का अभाव था। एक आवेदक को 54 शराब की दुकानों तक संचालित करने की अनुमति दी गई, जबकि पहले यह सीमा केवल 2 दुकानों तक थी।निर्माताओं पर थोपे गए प्रतिबंध:
सीएजी रिपोर्ट के अनुसार, नीति के तहत निर्माताओं को केवल एक ही थोक विक्रेता के साथ गठजोड़ करने के लिए मजबूर किया गया, जिससे व्यापार में प्रतिस्पर्धा की कमी हुई और कुछ थोक विक्रेताओं को भारी लाभ हुआ।थोक व्यापार में नियंत्रण:
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि तीन प्रमुख थोक विक्रेताओं (इंडोस्पिरिट, महादेव लिकर, और ब्रिडको) ने दिल्ली की 71% शराब आपूर्ति को नियंत्रित किया, जिससे बाजार में एकाधिकार की स्थिति पैदा हो गई।अनुमोदन की कमी:
नई नीति के तहत कई शराब की दुकानों को बिना एमसीडी (MCD) या डीडीए (DDA) से मंजूरी प्राप्त किए संचालित किया गया, जो कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन है। निरीक्षण टीमों ने भी कई दुकानों को गलत ढंग से व्यावसायिक क्षेत्रों में घोषित किया।
विपक्ष का हंगामा और कार्रवाई
सीएजी रिपोर्ट पेश होते ही विपक्ष ने केजरीवाल सरकार पर तीखे हमले शुरू कर दिए। दिल्ली विधानसभा में जब यह रिपोर्ट पेश की गई, तब विपक्षी दलों के विधायकों ने एलजी के अभिभाषण के दौरान जोरदार हंगामा किया। इसके चलते विधानसभा अध्यक्ष ने 22 विधायकों को सदन से सस्पेंड कर दिया।
दिल्ली शराब घोटाला और आम आदमी पार्टी की सफाई
जहां एक ओर विपक्ष ने इस रिपोर्ट को लेकर केजरीवाल सरकार की आलोचना की है, वहीं AAP ने इसे राजनीति से प्रेरित बताया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह साजिश उनके सरकार को बदनाम करने के लिए रची गई है। उनका कहना है कि उनकी सरकार ने शराब नीति के तहत जो भी निर्णय लिए, वे पूरी तरह से पारदर्शी और कानूनी थे।
CAG की रिपोर्ट पर आगे की कार्रवाई
सीएजी की रिपोर्ट के बाद अब दिल्ली शराब घोटाला पर आगे की जांच की मांग जोर पकड़ रही है। विपक्ष का कहना है कि इस मामले में दिल्ली सरकार के कई वरिष्ठ अधिकारियों और नेताओं की भूमिका की जांच होनी चाहिए। वहीं, इस रिपोर्ट के आधार पर कानूनी कार्रवाई की संभावनाओं पर भी विचार किया जा रहा है।
जनता पर असर
दिल्ली शराब घोटाला और सीएजी रिपोर्ट से जनता भी चिंतित है। सरकारी नीतियों के कारण हुए वित्तीय नुकसान का सीधा असर आम लोगों पर भी पड़ सकता है। सरकार को अगर इस घाटे की भरपाई करनी होती है, तो इसका असर दिल्ली के विकास कार्यों और अन्य योजनाओं पर भी पड़ सकता है।
क्या होंगे राजनीतिक परिणाम?
दिल्ली शराब घोटाला अब केवल वित्तीय अनियमितता का मामला नहीं रह गया है। इस मामले के राजनीतिक परिणाम भी दूरगामी हो सकते हैं। जहां विपक्ष इसे दिल्ली सरकार के खिलाफ एक बड़ा मुद्दा बना रहा है, वहीं आम आदमी पार्टी इस घोटाले से जुड़े आरोपों को नकार रही है।
निष्कर्ष
दिल्ली शराब घोटाला एक बड़ा विवाद बन चुका है, जिसमें सीएजी रिपोर्ट ने कई अहम खुलासे किए हैं। इस रिपोर्ट के बाद AAP सरकार के खिलाफ विपक्ष का आक्रोश और तेज हो सकता है। सरकार पर लगे आरोपों का राजनीतिक असर भी हो सकता है, खासकर जब दिल्ली में अगले चुनाव नजदीक आ रहे हैं। अब देखना होगा कि इस मामले की आगे क्या दिशा होती है और क्या इसे लेकर कोई कानूनी कार्रवाई होती है।
दिल्ली शराब घोटाला के कारण जहां एक तरफ सरकार की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं, वहीं दूसरी ओर यह मामला राजनीतिक रूप से भी अत्यधिक संवेदनशील होता जा रहा है। जनता की नजरें अब इस घोटाले पर टिकी हैं, और यह देखना बाकी है कि सरकार इस मामले से कैसे निपटेगी।
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