🕒 Published 4 weeks ago (5:19 PM)
नई दिल्ली – भारतीय सेना के Deputy Chief of Army Staff (Deputy COAS) लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर सिंह ने शुक्रवार को बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने एक नही तीन मोर्चों पर युद्ध लड़ा है । पाकिस्तान के साथ तो हमारा सीधा सामना था । हमारा पड़ोसी देश चीन पाकिस्तान को अप्रत्यक्ष रूप से सहायता कर रहा था जबकि तुर्की ने हमारे खिलाफ युद्ध में पाकिस्तान को ड्रोनों की आपूर्ति की ।
Deputy Chief of Army Staff जनरल सिंह ने नई दिल्ली में FICCI द्वारा आयोजित ‘New Age Military Technologies’ इवेंट में बोल रहे थे । उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को 81% सैन्य हार्डवेयर चीन से मिला हुआ है । आपरेशन सिंदूर में चीन ने भारत को हथियारों की टेस्टिंग लैब की तरह इस्तेमाल किया ।
पाकिस्तान को चीन-तुर्की की मदद
पाकिस्तान के पास तुर्की से आए Bayraktar ड्रोन थे।
चीन ने पाकिस्तान को ड्रोन, मिसाइल, रडार और रॉकेट सिस्टम मुहैया कराए।
DGMO लेवल की बातचीत के दौरान पाक को भारत के मूवमेंट की लाइव इंटेलिजेंस मिल रही थी।
ऑपरेशन सिंदूर: क्यों खास है ये मिशन?
7 मई को भारतीय सेना ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और पाकिस्तान के भीतर मौजूद 9 आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की। भारतीय वायुसेना और स्पेशल फोर्सेस ने मिलकर बड़ी कार्रवाई की । जिसमें 100 से ज्यादा आतंकवादी ढेर हुए थे । इसी के चलते 10 मई को शाम 5 बजे दोनों देशों के बीच संघर्षविराम पर सहमति बनी।
Iron Dome जैसी सुरक्षा प्रणाली विकसित करनी होगी : Deputy Chief of Army Staff
लेफ्टिनेंट जनरल राहुल सिंह ने कहा: “हमें आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम, काउंटर-ड्रोन तकनीक और Iron Dome जैसी सुरक्षा प्रणाली विकसित करनी होगी । अगली बार दुश्मन हमारे पॉपुलेशन सेंटर को भी टारगेट कर सकता है।” उन्होंने कहा कि भारत को पांचवीं पीढ़ी के युद्ध (Fifth Generation Warfare) के लिए तैयार रहना चाहिए जिसमें साइबर एक्सपर्ट, AI, ड्रोन और ह्यूमन इंटेलिजेंस निर्णायक भूमिका निभाएंगे।
भारतीय सेना सितंबर-अक्टूबर तक ड्रोन ऑपरेशन फ्रेमवर्क जारी करेगी।
लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने कहा: “हम अब भी कई तकनीकी उपकरणों, इंजन और सीक्रेट टेक्नोलॉजी के लिए बाहर पर निर्भर हैं। हमें इन क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनना होगा।”