🕒 Published 4 hours ago (1:39 PM)
राज्यसभा में मंगलवार को उस वक्त तीखा दृश्य देखने को मिला जब विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सदन के वेल में CISF जवानों की तैनाती पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने उपसभापति हरिवंश से कई सवाल पूछते हुए आरोप लगाया कि विपक्षी सांसदों को अपनी बात रखने से रोका जा रहा है और उनके लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन हो रहा है।
CISF की मौजूदगी पर जताई चिंता
खरगे ने कहा, “मैं हैरान हूं कि राज्यसभा के वेल में CISF के जवान तैनात हैं। वे उस समय वहां मौजूद रहते हैं जब सांसद लोकतांत्रिक तरीके से विरोध दर्ज करा रहे होते हैं। यह हमारे अधिकारों का सीधा उल्लंघन है।” उन्होंने इस तैनाती को अस्वीकार्य बताते हुए मांग की कि भविष्य में वेल में सुरक्षा बलों की तैनाती न की जाए। अपने पक्ष को मजबूत करते हुए खरगे ने दिवंगत भाजपा नेता सुषमा स्वराज और अरुण जेटली के पुराने बयानों का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं ने कभी कहा था कि संसद में विरोध करना लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा है और इसे रोका नहीं जाना चाहिए। खरगे ने पूछा, “अगर हमने पत्र के माध्यम से अपनी चिंता जताई तो आपको आपत्ति क्यों हुई? क्या हम आतंकवादी हैं?”
खरगे और उपसभापति में हुई जोरदार बहस
खरगे की ‘आतंकवादी’ वाली टिप्पणी पर उपसभापति हरिवंश ने तुरंत आपत्ति जताई और कहा कि ऐसी बातें सदन की कार्यवाही से हटा दी जाएंगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि सदन में केवल संसदीय सुरक्षा बल ही तैनात रहते हैं और यह व्यवस्था सुरक्षा कारणों से की गई है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि खरगे की चिट्ठी पहले मीडिया में पहुंची, जबकि यह चर्चा सदन के भीतर होनी चाहिए थी। बातचीत आगे बढ़ी तो खरगे ने सवाल उठाया, “आप संसद चलाने के नाम पर पुलिस और मिलिट्री को बुलाना चाहते हैं? हमारे पार्लियामेंट्री सुरक्षाकर्मी पर्याप्त हैं।” इस पर उपसभापति ने जवाब दिया कि सदन में भ्रम फैलाने वाली बातें न की जाएं। बहस के दौरान खरगे ने यह भी याद दिलाया कि पिछली बार कुछ सांसदों को राज्यसभा से बाहर निकाला गया था और पूछा, “क्या हम अज्ञानी हैं, जो इस तरह का व्यवहार हमारे साथ किया जा रहा है?”
निष्कर्ष
इस घटनाक्रम ने राज्यसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तनाव को एक बार फिर उजागर कर दिया है। जहां सरकार सुरक्षा के तर्क के साथ अपनी स्थिति स्पष्ट कर रही है, वहीं विपक्ष इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर हमला मान रहा है। सदन में आने वाले दिनों में यह मुद्दा और तूल पकड़ सकता है।