नई दिल्ली। Delhi Classroom Scam: दिल्ली सरकार के शिक्षा क्षेत्र में सुधार के नाम पर किए गए एक बड़े प्रोजेक्ट में कथित भ्रष्टाचार का मामला इन दिनों फिर सुर्खियों में है। 2015 से 2019 के बीच दिल्ली सरकार द्वारा चलाए गए क्लासरूम निर्माण अभियान में हुई अनियमितताओं को लेकर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच चल रही है। इस मामले में लगभग 2000 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया गया है।
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क्या है क्लासरूम घोटाले का पूरा मामला?
अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने वर्ष 2015 से 2019 के बीच सरकारी स्कूलों में 12,748 नए क्लासरूम के निर्माण की योजना शुरू की थी। इस प्रोजेक्ट को लोक निर्माण विभाग (PWD) के माध्यम से क्रियान्वित किया गया। लेकिन बाद में कई शिकायतें सामने आईं जिनमें दावा किया गया कि इस प्रोजेक्ट में भारी भ्रष्टाचार हुआ है।
आरोप क्या हैं?
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2405 कक्षाओं की जरूरत के बावजूद, इसे बिना मंजूरी 12,748 तक बढ़ाया गया।
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क्लासरूम निर्माण की लागत 860 करोड़ की टेंडर वैल्यू के बावजूद 2000 करोड़ रुपये तक पहुंच गई।
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बिना नया टेंडर निकाले पुराने कॉन्ट्रैक्ट्स में ही अधिक काम जोड़ दिया गया।
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160 टॉयलेट्स बनाए जाने थे, लेकिन 37 करोड़ खर्च कर 1214 टॉयलेट बनाए गए और उन्हें क्लासरूम दिखाया गया।
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निर्माण की दरें 1200 रुपये/वर्गफुट से बढ़कर 2292 रुपये/वर्गफुट तक पहुंच गईं।
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एक क्लासरूम का खर्च लगभग 25 लाख पहुंच गया, जबकि दिल्ली में अन्यत्र यह 5 लाख तक होता है।
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ऐसे ठेकेदारों को काम सौंपा गया, जो कथित रूप से AAP से जुड़े हुए थे, और बिना उचित निविदा प्रक्रिया के करोड़ों का ठेका मिला।
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कुल मिलाकर प्रोजेक्ट की लागत 17 से 90 फीसदी तक बढ़ा दी गई, और समयसीमा की अनदेखी भी हुई।
कैसे हुआ मामले का खुलासा?
2018 में भाजपा नेताओं हरीश खुराना, कपिल मिश्रा और नीलकांत बख्शी ने RTI से मिली जानकारी के आधार पर शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने कहा कि स्कूलों में कक्षाओं के निर्माण में भारी अनियमितता हुई है। 2020 में CVC (केंद्रीय सतर्कता आयोग) ने इस मामले में एक रिपोर्ट दी, लेकिन AAP सरकार ने ढाई साल तक रिपोर्ट दबाए रखी। अगस्त 2022 में दिल्ली के उपराज्यपाल ने जांच के निर्देश दिए।
किन-किन पर लगे हैं आरोप?
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मनीष सिसोदिया (तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री)
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सत्येंद्र जैन (तत्कालीन PWD मंत्री)
गृह मंत्रालय ने मार्च 2024 में दोनों के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी दी। इसके बाद ACB ने 30 अप्रैल को FIR दर्ज की, और ED ने PMLEA (धनशोधन रोकथाम अधिनियम) के तहत जांच शुरू की।
ACB और ED की जांच में क्या हुआ खुलासा?
6 जून को सत्येंद्र जैन से 5 घंटे पूछताछ हुई। 20 जून को मनीष सिसोदिया से 37 सवाल पूछे गए।
ED ने दिल्ली-एनसीआर में 37 जगह छापे मारे और जो सबूत बरामद किए, वे बेहद चौंकाने वाले थे:
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PWD के अफसरों के नाम के रबर स्टैम्प और सरकारी विभागों की असली फाइलें निजी ठेकेदारों के पास मिलीं।
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322 बैंक पासबुक मिलीं, जो मजदूरों के नाम पर फर्जी खाते थे – इनसे फंड्स की हेराफेरी होती थी।
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फर्जी लेटरहेड, बोगस कंपनियों के चालान, और जाली बिल भी बरामद हुए।
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कई डमी फर्म पाई गईं जिनका कोई वास्तविक संचालन नहीं था, लेकिन उन्हें भारी भुगतान हुआ।
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डिजिटल साक्ष्य और कागजी दस्तावेज भी जब्त किए गए हैं, जिनकी जांच जारी है।
आगे क्या?
ED की जांच अभी जारी है और आने वाले दिनों में और बड़े खुलासे हो सकते हैं। यह मामला न केवल दिल्ली सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि शिक्षा जैसे संवेदनशील क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही की कितनी सख्त जरूरत है।
दिल्ली के क्लासरूम घोटाले की जांच अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचती नजर आ रही है। 2000 करोड़ के इस कथित भ्रष्टाचार के तार सत्ता, सिस्टम और निजी कंपनियों की मिलीभगत से जुड़े दिख रहे हैं। आने वाले समय में यह मामला और भी बड़े राजनीतिक और कानूनी बवंडर खड़ा कर सकता है।
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