बिहार के अपराध और राजनीति का खतरनाक गठजोड़, पटना में अस्पताल के अंदर मर्डर, याद आई बृजबिहारी प्रसाद की हत्या

By Hindustan Uday

🕒 Published 2 weeks ago (4:22 PM)

नई दिल्ली। बिहार की राजधानी पटना के एक प्रसिद्ध अस्पताल पारस हॉस्पिटल में हाल ही में हुई हत्या ने पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया है। गोलीबारी की यह घटना अस्पताल के कमरा नंबर 209 में हुई, जहां अपराधी बेहद फिल्मी अंदाज़ में दाखिल हुए। ब्रांडेड जूते, जींस और टी-शर्ट में आए ये युवक सीधे पिस्टल निकालते हैं, फायरिंग करते हैं और बिना किसी हड़बड़ी के बाहर निकल जाते हैं। मानो कोई रैम्प शो चल रहा हो – फर्क बस इतना है कि यहां मॉडल नहीं, कातिल चल रहे थे।
पीड़ित चंदन मिश्रा पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई गईं और हमलावर आराम से चलते हुए बाहर निकल गए। पुलिस के मुताबिक चंदन पर पहले से कई आपराधिक मुकदमे दर्ज थे, लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि राजधानी के पॉश इलाके में दिनदहाड़े अस्पताल में घुसकर हत्या कैसे हो जाती है?

शूटर्स का चैलेंज: CCTV में कैद चेहरा
शूटरों ने चेहरों को छुपाने की भी कोशिश नहीं की। CCTV फुटेज में एक शूटर और उसका साथी आराम से कैमरे में घूरते हुए अस्पताल में दाखिल होते दिखाई दे रहे हैं। इस वीडियो के वायरल होते ही साफ हो गया कि अपराधियों को किसी डर का कोई भय नहीं। अब सवाल है कि क्या शाम तक कोई ‘एनकाउंटर’ होगा या फिर यह भी बाकी मामलों की तरह फाइलों में दफन हो जाएगा?

क्या चंदन मिश्रा की हत्या गैंगवॉर का हिस्सा?
अंदरखाने खबर है कि इस मर्डर के पीछे शेरू गैंग का नाम सामने आ रहा है। चंदन मिश्रा खुद भी आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहा है। सवाल ये है कि क्या ये हत्या किसी पुरानी दुश्मनी का नतीजा है या फिर ये किसी बड़े गैंग युद्ध की शुरुआत?

बिहार की पुरानी यादें: बृजबिहारी प्रसाद और AK-47 कांड
इस हत्या ने बिहार को 1998 की उस दिल दहला देने वाली वारदात की याद दिला दी, जब IGIMS परिसर में स्वास्थ्य मंत्री बृजबिहारी प्रसाद की एके-47 से सरेआम हत्या कर दी गई थी। अपराधियों ने एक एम्बेसडर गाड़ी से उतरकर सीधे उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया था। तब भी कहा गया था कि यह हमला गैंग राइवलरी का हिस्सा था – खासकर छोटन शुक्ला की हत्या का बदला।

राजनीति से अपराध तक: बिहार की काली दास्तान
बिहार में राजनीति और अपराध का यह गठजोड़ नया नहीं है। 1994 में गोपालगंज के कलेक्टर जी कृष्णैया की हत्या हो या फिर भुटकुन शुक्ला की कहानी – सबने देखा कि कैसे अपराधी धीरे-धीरे सत्ता की सीढ़ियां चढ़ते गए। आनंद मोहन, अनंत सिंह, सूरजभान और राजन तिवारी जैसे नामों ने अपराध से राजनीति में ट्रांजिशन किया और बिहार के सुशासन की छवि को बार-बार कलंकित किया।

छोटन शुक्ला से लेकर मुन्ना शुक्ला तक: एक लंबी श्रृंखला
छोटन शुक्ला की हत्या के बाद उनके भाई भुटकुन शुक्ला और फिर मुन्ना शुक्ला ने बिहार की राजनीति में एक नया अध्याय लिखा – बदले और वर्चस्व की राजनीति का। बृजबिहारी प्रसाद की हत्या इसी राजनीति का परिणाम थी, जो अब चंदन मिश्रा की हत्या में भी झलक रही है।

बिहार की कानून व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में है। जब राजधानी के मुख्य अस्पताल में अपराधी बेखौफ घुसकर हत्या कर सकते हैं, तब राज्य के अन्य इलाकों की सुरक्षा व्यवस्था का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। बिहार एक बार फिर अपने उस अतीत की ओर लौटता दिख रहा है, जिसे भुलाने की कोशिश अब तक अधूरी रही है।

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