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बिहार के गोपालगंज में साइबर ठगी का खुलासा, चाय बेचने वाले के घर से मिला 1 करोड़ से ज्यादा नकद

बिहार के गोपालगंज जिले में साइबर ठगी से जुड़े एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। जिले के थावे थाना क्षेत्र के कविलासपुर गांव में पुलिस ने छापेमारी कर भारी मात्रा में नकद रुपये, बैंकिंग दस्तावेज और डिजिटल उपकरण बरामद किए हैं। पुलिस ने यह कार्रवाई 17 अक्टूबर की रात की, जिसमें जब्त रकम की मात्रा और तरीके को देखकर खुद पुलिस अधिकारी भी हैरान रह गए।

देर रात हुई छापेमारी, एक करोड़ रुपये से ज्यादा कैश बरामद

साइबर अपराधों पर शिकंजा कसने के लिए पुलिस ने थावे थाना क्षेत्र के एक घर में छापेमारी की। यह घर एक ऐसे व्यक्ति का था जो कुछ साल पहले तक चाय की दुकान चलाता था, लेकिन अब वह कथित तौर पर साइबर ठगी का गिरोह चला रहा था। पुलिस को इस घर से 1 करोड़ 5 लाख 49 हजार 850 रुपये नकद मिले, जिसे बड़े-बड़े बैगों में रखा गया था। इतनी बड़ी मात्रा में कैश देखकर छापेमारी टीम के सदस्य भी अचंभित रह गए।

कई एटीएम कार्ड, पासबुक और चेकबुक भी मिले

कैश के अलावा पुलिस ने मौके से बड़ी संख्या में बैंकिंग दस्तावेज भी जब्त किए हैं। इनमें 85 एटीएम कार्ड, 75 बैंक पासबुक, 28 चेकबुक, आधार कार्ड, दो लैपटॉप, तीन मोबाइल फोन और एक कार शामिल है। इस कार्रवाई के दौरान तीन संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है। पुलिस इनसे लगातार पूछताछ कर रही है ताकि पूरे नेटवर्क का खुलासा हो सके।

चायवाला बना ठगों का सरगना

जांच में सामने आया है कि गिरोह का सरगना पहले एक सामान्य चाय बेचने वाला था। लेकिन कुछ समय में उसने अवैध तरीके से अकूत संपत्ति अर्जित कर ली। प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि यह गिरोह साइबर फ्रॉड के जरिए लोगों के खातों से पैसे निकालकर अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर करता था और फिर उसे नकद में बदलकर लेन-देन करता था।

पुलिस को शक है कि यह गिरोह न केवल बिहार बल्कि अन्य राज्यों में भी फैला हुआ है। साइबर सेल की टीम इस पूरे नेटवर्क की गहन जांच में जुटी हुई है और टेक्निकल एक्सपर्ट्स की मदद ली जा रही है।

ऑनलाइन धोखाधड़ी का तरीका

गिरोह का काम करने का तरीका काफी सुनियोजित था। यह लोग फर्जी कॉल करते थे और खुद को बैंक कर्मचारी या किसी बड़ी कंपनी का प्रतिनिधि बताकर लोगों से उनके बैंक अकाउंट, डेबिट कार्ड, ओटीपी और अन्य जरूरी जानकारी हासिल कर लेते थे। इसके बाद इन खातों से पैसे निकालकर उन्हें अलग-अलग फर्जी खातों में ट्रांसफर किया जाता था।

बरामद किए गए पासबुक और एटीएम कार्ड से यह भी स्पष्ट हो रहा है कि गिरोह ने कई लोगों के नाम पर बैंक खाते खुलवाए थे, जिनका इस्तेमाल ठगी की रकम को जमा करने और निकालने में होता था।

बरामद सबूतों से मिले अहम सुराग

पुलिस अधिकारियों के मुताबिक इस छापेमारी के दौरान जो दस्तावेज और डिजिटल उपकरण बरामद हुए हैं, वे इस गिरोह के पूरे नेटवर्क को उजागर करने में मददगार साबित हो सकते हैं। बरामद लैपटॉप और मोबाइल फोन की फॉरेंसिक जांच की जा रही है। शुरुआती जांच में कई ट्रांजैक्शन रिकॉर्ड और चैट्स सामने आए हैं जो इस अपराध के तरीके को समझने में मदद कर रहे हैं।

डीएसपी अवंतिका दिलीप कुमार की अगुवाई में हुई कार्रवाई

इस छापेमारी का नेतृत्व कर रहीं साइबर डीएसपी अवंतिका दिलीप कुमार ने बताया कि यह अब तक की सबसे बड़ी बरामदगियों में से एक है। उन्होंने कहा कि शुरुआती पूछताछ में जो जानकारी सामने आई है, उसके आधार पर अन्य जिलों में भी कार्रवाई की योजना बनाई जा रही है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जांच में यदि किसी बैंक कर्मी या अन्य व्यक्ति की संलिप्तता पाई जाती है तो उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

अन्य जिलों और राज्यों से जुड़े तार

पुलिस को संदेह है कि इस ठगी के तार बिहार के अलावा झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और दिल्ली जैसे राज्यों से भी जुड़े हो सकते हैं। इसीलिए इस जांच में दूसरे जिलों की पुलिस और साइबर क्राइम यूनिट की मदद ली जा रही है। गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ में कई नाम सामने आए हैं, जिनकी पहचान कर उन्हें गिरफ्तार करने की प्रक्रिया जारी है।

गिरोह के विस्तार की संभावना

पुलिस का मानना है कि यह एक बड़ा संगठित गिरोह है, जो लंबे समय से सक्रिय है। चाय बेचने वाला व्यक्ति इस गिरोह का मुखिया था, लेकिन उसके साथ दर्जनों लोग जुड़े हो सकते हैं जो अलग-अलग भूमिकाएं निभा रहे थे—जैसे फर्जी खाते खुलवाना, पीड़ितों से संपर्क करना, रकम का लेन-देन और उसे सफेद धन में बदलना।

पुलिस की सख्त चेतावनी

पुलिस ने आम लोगों से भी अपील की है कि वे किसी भी अनजान कॉल पर अपने बैंक या निजी जानकारी साझा न करें। बैंक कभी भी फोन पर ओटीपी या कार्ड नंबर नहीं मांगते। अगर कोई व्यक्ति इस तरह की ठगी का शिकार होता है, तो तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन या नजदीकी पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करें।

आने वाले दिनों में हो सकती हैं और गिरफ्तारियां

डीएसपी अवंतिका ने कहा कि यह सिर्फ शुरुआत है। पूछताछ में कई और नाम सामने आए हैं और जांच का दायरा तेजी से बढ़ाया जा रहा है। आने वाले दिनों में कई और गिरफ्तारियां हो सकती हैं। पुलिस ने बरामद बैंक खातों की ट्रांजैक्शन हिस्ट्री भी खंगालनी शुरू कर दी है ताकि रकम के फ्लो और इस्तेमाल के तरीकों को समझा जा सके।

बिहार में बढ़ते साइबर अपराधों पर यह कार्रवाई एक मजबूत संदेश है कि अब कानून व्यवस्था ऐसे मामलों को गंभीरता से लेकर कार्रवाई कर रही है। चाय बेचने वाला एक व्यक्ति कैसे करोड़ों की ठगी का जाल बिछा सकता है, यह घटना उसी का एक उदाहरण है। लेकिन यह भी साफ है कि पुलिस और साइबर क्राइम सेल ऐसे अपराधों को लेकर अब पूरी तरह सतर्क और सक्रिय है।

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