🕒 Published 2 weeks ago (8:49 AM)
नई दिल्ली। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने एक चौंकाने वाली कार्रवाई करते हुए 26 मई को दिल्ली से CRPF के असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर (ASI) मोतीराम जाट को गिरफ्तार किया। मोतीराम पर भारत की संवेदनशील सूचनाएं पाकिस्तान तक पहुँचाने के गंभीर आरोप हैं। गिरफ्तारी के बाद उसे अदालत में पेश कर 6 जून तक की रिमांड पर भेजा गया है।
पिछले दो वर्षों से भेज रहा था जानकारियां
NIA की शुरुआती जांच में सामने आया है कि मोतीराम 2023 से ही पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी जानकारियां साझा कर रहा था। जांच में ये भी पता चला है कि यह जानकारी उन्हें कुछ ऐसे पाकिस्तानी एजेंट्स को दी जा रही थी जो खुद को एक पाक मीडिया चैनल का पत्रकार बता रहे थे।
हर जानकारी की तय थी कीमत
सूत्रों के मुताबिक, हर खुफिया सूचना के लिए एक निश्चित राशि तय की गई थी। आम जानकारियों के लिए 3,500 रुपये और विशेष सूचनाओं के लिए 12,000 रुपये तक दिए जाते थे। यह पैसा हर महीने की 4 तारीख को मोतीराम और उसकी पत्नी के बैंक खातों में ट्रांसफर होता था।
अमित शाह की यात्रा तक की दी जानकारी
मोतीराम ने केंद्रीय गृह मंत्री से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों के दौरों की जानकारी भी पाकिस्तान तक पहुंचाई। हर बार सटीक और समय पर जानकारी देने के बदले उसे इनाम के तौर पर राशि भेजी जाती थी। ये पैसा अलग-अलग माध्यमों से ट्रांसफर किया जाता रहा।
हमले से पहले ट्रांसफर, अब बढ़ी संदिग्धता
मोतीराम की तैनाती CRPF की 116वीं बटालियन में थी और वो पहले पहलगाम में ड्यूटी पर था। हैरानी की बात यह है कि 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले से महज 5 दिन पहले उसका ट्रांसफर किया गया था। इस वजह से अब उसकी भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं और पहलगाम हमले से उसके संबंधों की भी जांच हो रही है।
ISI की नजर में पहले से था जवान
जांच एजेंसियों के अनुसार, मोतीराम पहले से ही ISI के रडार पर था। उन्हें पैसों का लालच देकर जाल में फंसाया गया और धीरे-धीरे महत्वपूर्ण सूचनाएं हासिल की गईं। NIA अब उसके मोबाइल फोन की गहन जांच कर रही है और उसके करीबी लोगों से भी पूछताछ जारी है।
शक के घेरे में अन्य नाम भी
इस पूरे मामले में सिर्फ मोतीराम ही नहीं, बल्कि अन्य लोगों की भी भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि क्या कोई और भी इस जासूसी नेटवर्क में शामिल था।