Corona Update : कोरोना का नया वैरिएंट जेएन.1, क्या वैक्सीन लेने वाले लोग सुरक्षित हैं?

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By Rita Sharma

🕒 Published 2 weeks ago (8:14 AM)

नई दिल्ली। कोविड-19 संक्रमण एक बार फिर तेजी से फैल रहा है। देश में कोरोना के कुल मामलों की संख्या अब 4 हजार के करीब पहुँच चुकी है। किसी भी वक्त यह आंकड़ा 4 हजार को पार कर सकता है। वर्तमान में सबसे ज्यादा कोविड संक्रमित मरीज केरल में हैं, जहाँ कुल 1435 मरीज हैं। इसके बाद महाराष्ट्र में 506 और दिल्ली में 483 संक्रमित मरीजों की पुष्टि हुई है।

अगर मौत के आंकड़ों की बात करें, तो अब तक कोविड संक्रमण से कुल 32 मरीजों की मौत हो चुकी है। पिछले 24 घंटे के भीतर चार लोगों की मौत हुई है। मृतकों में एक दिल्ली, एक केरल, एक महाराष्ट्र और एक तमिलनाडु का मरीज शामिल है।

संक्रमण और मौत के बढ़ते मामलों ने सभी को चिंता में डाल दिया है। उत्तर प्रदेश के नोएडा में बीते 24 घंटे में एक नया केस सामने आया है, जिससे जिले में कुल संक्रमितों की संख्या 63 हो गई है। इनमें 31 महिलाएं और 32 पुरुष शामिल हैं।

इन आंकड़ों से साफ है कि कोरोना संक्रमण की रफ्तार एक बार फिर तेज हो गई है और सभी राज्यों को सतर्कता बरतने की जरूरत है।

इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के निदेशक डॉक्टर राजीव बहल ने इसी सप्ताह जानकारी दी कि भारत में कोरोना वायरस के चार नए वैरिएंट पाए गए हैं। हालांकि, इनमें से जेएन.1 (JN.1) नामक वैरिएंट सबसे ज़्यादा चर्चा में है, जो ओमिक्रॉन का एक सब-वैरिएंट है।

क्या है जेएन.1 वैरिएंट?
जेएन.1 कोई पूरी तरह नया वायरस नहीं है। यह ओमिक्रॉन परिवार का ही हिस्सा है और इसकी पहचान लगभग एक साल पहले हो चुकी थी।
दिल्ली AIIMS के सामुदायिक चिकित्सा विभाग के प्रोफेसर और कोवैक्सीन के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. संजय राय का कहना है कि जेएन.1 के बारे में वैज्ञानिकों को पहले से ही जानकारी है, और यह जरूरी नहीं कि यह अधिक गंभीर बीमारी फैलाए।

लक्षण क्या हैं?
जेएन.1 वैरिएंट के लक्षण भी काफी हद तक ओमिक्रॉन जैसे ही हैं:

हल्का बुखार

गले में खराश

खांसी

थकान

शरीर में दर्द

गंभीर मामलों की संख्या अब तक बहुत कम देखी गई है, लेकिन कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को अब भी सतर्क रहने की आवश्यकता है।

क्या 2022 तक लिए गए टीके अब भी असरदार हैं?
कोरोना की पहली तीन लहरों के दौरान भारत सरकार ने बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान चलाया था, जिसमें करोड़ों लोगों को कोवैक्सीन और कोविशील्ड जैसे टीके लगाए गए।

लेकिन अब सवाल है कि क्या पुराने टीके जेएन.1 जैसे नए वैरिएंट पर भी प्रभावी हैं?
विशेषज्ञों की मानें तो वैक्सीन गंभीर संक्रमण से अब भी काफी हद तक सुरक्षा प्रदान करती है, लेकिन वायरस के म्यूटेशन की वजह से संक्रमण को पूरी तरह रोकना मुश्किल हो सकता है।

डॉ. संजय राय कहते हैं कि टीकाकरण के बाद इम्यूनिटी लंबे समय तक बनी रहती है, जिससे गंभीर लक्षणों का खतरा कम हो जाता है। हालांकि, यह जरूरी है कि सरकार और वैज्ञानिक संस्थाएं वैक्सीन अपडेट्स पर नजर बनाए रखें।

वैश्विक स्थिति क्या है?
सिर्फ भारत ही नहीं, सिंगापुर और हांगकांग जैसे देशों में भी कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। सिंगापुर में तो अधिकतर नए मामलों में जेएन.1 वैरिएंट की पुष्टि हुई है।

सरकार और स्वास्थ्य विभाग की तैयारी
भारत में स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो चुका है। विशेषकर राज्यों में टेस्टिंग और निगरानी को बढ़ाया जा रहा है। अस्पतालों को अलर्ट पर रखा गया है और पॉजिटिव मरीजों के संपर्कों की ट्रैकिंग भी शुरू हो गई है।

भले ही कोरोना का जेएन.1 वैरिएंट बहुत घातक न हो, लेकिन लापरवाही खतरनाक हो सकती है। विशेषज्ञों के मुताबिक वैक्सीन अब भी काफी हद तक सुरक्षा देती है, खासकर गंभीर बीमारी से। लेकिन मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और टेस्टिंग जैसी सावधानियों की जरूरत बनी रहेगी।

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