मुंबई: महाराष्ट्र में भाषा और संस्कृति को लेकर विवाद एक बार फिर गर्माता दिख रहा है। हाल ही में घाटकोपर की एक कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी में मराठी और गुजराती समुदायों के बीच खाने-पीने की आदतों को लेकर विवाद सामने आया है। आरोप है कि एक गुजराती परिवार ने मराठी परिवार को मांसाहारी भोजन करने पर “गंदा” कहकर अपमानित किया। इस घटना के बाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) सक्रिय हो गई है।
घटना संभव दर्शन कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी की है, जहां राम रिंगे नामक मराठी निवासी ने आरोप लगाया कि पड़ोसी ने उनके मांस और मछली खाने को लेकर उन्हें और उनके परिवार को “गंदा” कहा। रिंगे का कहना है कि उन पर मराठी होने के कारण यह टिप्पणी की गई। इसके बाद उन्होंने मनसे से संपर्क किया।
मनसे की कामगार सेना के उपाध्यक्ष राज परते अन्य कार्यकर्ताओं के साथ मौके पर पहुंचे और सोसाइटी के सदस्यों से बातचीत की। उन्होंने गुजराती और जैन समुदाय के निवासियों से इस व्यवहार को लेकर जवाब मांगा और चेतावनी दी कि भविष्य में मराठी लोगों के साथ किसी भी तरह का अपमानजनक व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हालांकि, जिस शाह नामक व्यक्ति पर आरोप है, वह अब तक सामने नहीं आया है।
सोसाइटी के अन्य निवासियों ने कहा कि वे किसी भी तरह का भेदभाव नहीं करते और मांसाहारी भोजन पर कोई पाबंदी नहीं है। उन्होंने मराठी समुदाय के साथ एकता की बात भी कही।
यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब हाल ही में एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे ने मराठी भाषा और संस्कृति के समर्थन में आंदोलन का आह्वान किया था, जिसे कुछ घटनाओं के बाद वापस लेने की अपील भी की गई थी।
वहीं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता भैयाजी जोशी के एक पुराने बयान ने भी इस बहस को हवा दी थी। उन्होंने कहा था कि मुंबई में मराठी सीखने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यहां विभिन्न भाषाएं बोली जाती हैं, विशेषकर घाटकोपर जैसे क्षेत्रों में जहां गुजराती भाषा प्रचलित है। इसी क्षेत्र में अब मराठी परिवार के साथ हुए दुर्व्यवहार ने विवाद को और गहरा कर दिया है।
इससे पहले कल्याण में भी मराठी परिवारों के खिलाफ हमले की घटनाएं हो चुकी हैं। इन सबके बीच, मुंबई में मराठी और अमराठी के बीच चल रही सांस्कृतिक बहस एक बार फिर उभरती नजर आ रही है।
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