🕒 Published 4 months ago (1:16 AM)
चंडीगढ़। हरियाणा सरकार के हालिया आदेश ने हरियाणा कौशल रोजगार निगम लिमिटेड (HKRNL) के माध्यम से नियुक्त संविदा कर्मचारियों की नौकरी को संकट में डाल दिया है। मुख्य सचिव कार्यालय द्वारा 3 अप्रैल 2025 को जारी आदेश के अनुसार, वे संविदा कर्मचारी जो हरियाणा अनुबंधित कर्मचारी (सेवा की सुरक्षा) अधिनियम, 2024 के दायरे में नहीं आते हैं, उन्हें हटाया जा सकता है।
सरकार का नया आदेश — “पहले आओ, पहले जाओ” सिद्धांत लागू
आदेश में यह स्पष्ट किया गया है कि विभागों, बोर्डों और निगमों में यदि सभी रिक्त पदों पर नए भर्ती हुए ग्रुप-C कर्मचारियों का समायोजन हो जाता है, तो शेष संविदा कर्मचारियों को हटाया जाएगा। हटाने की प्रक्रिया “पहले आओ, पहले जाओ” के आधार पर की जाएगी — यानी जो कर्मचारी लंबे समय से कार्यरत हैं, उन्हें पहले कार्यमुक्त किया जाएगा।
किन कर्मचारियों को नहीं हटाया जाएगा?
हालांकि, जो कर्मचारी 15 अगस्त 2019 से पहले आउटसोर्सिंग नीति या HKRNL के तहत नियुक्त हुए हैं, उन्हें हटाया नहीं जाएगा। ऐसे कर्मचारियों के मामले में संबंधित विभाग सेवा की सुरक्षा अधिनियम, 2024 के तहत कार्रवाई करेगा।
विपक्ष और कर्मचारी संगठन नाराज़
सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला ने सवाल उठाए हैं। वहीं, सर्व कर्मचारी संघ ने इस आदेश को “अवैध और अन्यायपूर्ण” बताते हुए तत्काल वापसी की मांग की है। संघ के अध्यक्ष सुभाष लांबा ने कहा कि सरकार एक ओर युवाओं को रोजगार देने की बात कर रही है, और दूसरी ओर हजारों संविदा कर्मचारियों को बेरोजगारी की कगार पर ला रही है।
क्या चाहती है सरकार?
सरकार का उद्देश्य है कि हाल ही में CET परीक्षा के जरिए चयनित ग्रुप-C के उम्मीदवारों को नियुक्ति दी जाए, जिससे चयन प्रक्रिया पारदर्शी और मेरिट आधारित रहे।
लेकिन इस आदेश से हजारों मौजूदा संविदा कर्मचारियों की नौकरी पर तलवार लटक गई है और राज्य में विरोध की लहर तेज हो रही है। कर्मचारियों की मांग है कि इस फैसले को तुरंत रद्द किया जाए और सभी को सेवा की सुरक्षा दी जाए।