राष्ट्रपति मुर्मू ने संविधान दिवस पर 9 भाषाओं में संविधान के अनुवाद का किया उद्घाटन

constitution day celebration

नई दिल्ली:
संविधान दिवस के अवसर पर हर साल आयोजित संविधान दिवस समारोह इस बार संसद भवन परिसर के ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल में आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम सुबह 11:00 बजे शुरू हुआ और इसमें देश के शीर्ष संवैधानिक पदाधिकारी, जनप्रतिनिधि और केंद्रीय मंत्री शामिल हुए। इस वर्ष के संविधान दिवस समारोह की अध्यक्षता राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने की। कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति सी. पी. राधाकृष्णन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय मंत्री और सांसद भी उपस्थित रहे।

राष्ट्रपति का विशेष संबोधन


इस संविधान दिवस समारोह की शुरुआत उपराष्ट्रपति और लोकसभा अध्यक्ष के संबोधन से हुई। इसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देशवासियों को संबोधित किया। राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में संविधान की महत्ता, इसकी मूल भावना और लोकतंत्र के प्रति इसके योगदान पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि संविधान केवल एक कागज़ी दस्तावेज़ नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों का मार्गदर्शक है।

नौ भाषाओं में संविधान का लोकार्पण


इस वर्ष के संविधान दिवस समारोह का विशेष आकर्षण था भारत के संविधान के नौ भाषाओं—मलयालम, मराठी, नेपाली, पंजाबी, बोडो, कश्मीरी, तेलुगु, ओड़िया और असमिया—में डिजिटल संस्करण का लोकार्पण। संसद कार्य मंत्रालय के अनुसार, यह कदम संविधान की पहुंच को और व्यापक बनाने और विभिन्न भाषाई समूहों में इसके महत्व को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

संस्कृति मंत्रालय की स्मरणिका का विमोचन


इसके अलावा, संस्कृति मंत्रालय द्वारा तैयार स्मरणिका ‘भारत की संविधान से कला और कैलीग्राफी’ (हिंदी संस्करण) का भी विमोचन किया गया। राष्ट्रपति ने समारोह के अंत में संविधान की प्रस्तावना का वाचन कर संविधान दिवस समारोह को आधिकारिक रूप से समाप्त किया। इस तरह, यह संविधान दिवस समारोह न केवल संविधान की महत्ता को रेखांकित करता है बल्कि देशवासियों को इसके मूल सिद्धांतों से जोड़ने का एक अवसर भी प्रदान करता है।

10 सालों की परंपरा


भारत में संविधान को स्वीकार किए जाने के उपलक्ष्य में 2015 से हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस समारोह मनाया जाता है। 26 नवंबर 1949 को संविधान को मंजूरी दी गई थी, और इसके कुछ प्रावधान तुरंत लागू हुए थे, जबकि शेष प्रावधान 26 जनवरी 1950 को भारत के गणतंत्र बनने पर लागू हुए। इस प्रकार, संविधान दिवस समारोह हर वर्ष देश में लोकतंत्र और संवैधानिक मूल्यों को पुनः स्मरण कराने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।

राष्ट्रीय समारोह का आयोजन


संसदीय कार्य मंत्रालय ने बताया कि इस वर्ष का संविधान दिवस समारोह पुराने संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में ‘राष्ट्रीय समारोह’ के रूप में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में सभी केंद्रीय मंत्रालय, उनके अधीनस्थ कार्यालय, राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सरकारें तथा स्थानीय निकाय विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से संविधान की महत्ता को रेखांकित कर रहे हैं।

संविधान दिवस समारोह और डिजिटल पहल


केंद्रीय कानून मंत्रालय के विधायी विभाग द्वारा तैयार नौ भाषाओं में डिजिटल संस्करण लॉन्च करने की पहल ने इस संविधान दिवस समारोह को और भी विशेष बना दिया। डिजिटल संविधान का उद्देश्य नागरिकों के लिए संविधान को आसानी से उपलब्ध कराना और इसे ऑनलाइन माध्यम से पढ़ने और समझने की सुविधा प्रदान करना है। यह पहल संविधान की सार्वभौमिक पहुंच और लोकतंत्र के प्रति जागरूकता बढ़ाने की दिशा में एक कदम है।

देशभर में आयोजन


देश भर में सभी केंद्रीय और राज्य सरकारें, उनके अधीनस्थ कार्यालय, स्थानीय निकाय और शैक्षणिक संस्थान संविधान दिवस समारोह के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। इनमें संविधान पर चर्चा, ज्ञानवर्धक सत्र, बच्चों और युवाओं के लिए क्विज़ प्रतियोगिताएं और सार्वजनिक वाचन शामिल हैं। इस तरह, संविधान दिवस समारोह सिर्फ संसद तक सीमित नहीं रहता, बल्कि देश के हर हिस्से में नागरिकों तक संविधान के मूल्यों और महत्व को पहुंचाता है।

संविधान की महत्ता पर जोर


राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा कि संविधान हमारे देश की आत्मा है। संविधान दिवस समारोह का आयोजन हमें यह याद दिलाने का अवसर देता है कि हमें संविधान की रक्षा और इसकी मूल भावना के अनुरूप जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए। संविधान के द्वारा प्रदत्त अधिकार और कर्तव्य हर नागरिक के लिए मार्गदर्शक हैं।

समारोह का समापन


कार्यक्रम के अंत में राष्ट्रपति ने संविधान की प्रस्तावना का वाचन किया। इस वाचन ने संविधान दिवस समारोह को औपचारिक रूप से समाप्त किया और यह सुनिश्चित किया कि सभी उपस्थित नागरिक संविधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पुनः याद करें।

इस प्रकार, यह संविधान दिवस समारोह न केवल संविधान की 74वीं वर्षगांठ को यादगार बनाता है, बल्कि देश में लोकतंत्र, न्याय और समानता के मूल्यों को मजबूत करने में भी अहम भूमिका निभाता है। समारोह में आयोजित नौ भाषाओं में संविधान का डिजिटल लोकार्पण और संस्कृति मंत्रालय की स्मरणिका का विमोचन इसे और भी विशिष्ट बनाता है।

संविधान दिवस समारोह देश के प्रत्येक नागरिक को संविधान की महत्ता और इसके मूल्यों को समझने का अवसर देता है। यह लोकतंत्र के प्रति जागरूकता बढ़ाने, संविधान की सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करने और नागरिकों को उनके अधिकार एवं कर्तव्यों की याद दिलाने का सबसे प्रभावी माध्यम है।

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