Home » Blogs » सुप्रीम कोर्ट में जूता फेंकने की घटना पर सीजेआई की मां का कड़ा बयान: संविधान पर हमला बताया

सुप्रीम कोर्ट में जूता फेंकने की घटना पर सीजेआई की मां का कड़ा बयान: संविधान पर हमला बताया

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई के दौरान हुई एक असामान्य और चौंकाने वाली घटना ने देशभर में हलचल मचा दी। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के सहयोगी और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जज, मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई की बेंच के सामने एक वकील द्वारा जूता उछालने की कोशिश की गई। अब इस घटना को लेकर सीजेआई गवई की मां कमलाताई गवई ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

महाराष्ट्र के अमरावती में मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने इस घटना को संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ सीधा हमला करार दिया। कमलाताई ने कहा कि ऐसे कृत्य देश में अराजकता को बढ़ावा देते हैं और लोकतांत्रिक संस्थानों की गरिमा को ठेस पहुंचाते हैं।

कमलाताई गवई ने क्या कहा?

कमलाताई गवई ने कहा,

“हर नागरिक को असहमति जताने का अधिकार है, लेकिन हिंसक या असंवैधानिक तरीके से नहीं। सुप्रीम कोर्ट जैसी संस्था में इस तरह की हरकतें गंभीर चिंता का विषय हैं।”

उन्होंने कहा कि यह घटना केवल एक व्यक्ति की ओर से नहीं, बल्कि एक खतरनाक मानसिकता और जहरीली विचारधारा का प्रतीक है जिसे समय रहते पहचानना और रोकना जरूरी है।

‘यह राष्ट्र के सम्मान पर हमला है’

कमलाताई ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा:

“यह किसी एक व्यक्ति पर किया गया हमला नहीं, बल्कि हमारे संविधान और देश के सम्मान पर चोट है। ऐसी घटनाएं दुनिया के सामने हमारे लोकतंत्र की गलत छवि पेश करती हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग देश की संवैधानिक संस्थाओं के खिलाफ काम करते हैं, उन्हें कड़ी कानूनी कार्रवाई का सामना करना चाहिए।

‘बाबासाहेब अंबेडकर के विचारों का अपमान’

कमलाताई गवई ने भारत रत्न डॉ. बी.आर. अंबेडकर के आदर्शों का जिक्र करते हुए कहा कि संविधान हमें “जीओ और जीने दो” का मार्ग दिखाता है। उनका कहना था कि किसी को भी यह हक नहीं है कि वह अपने गुस्से या असहमति को इस तरह हिंसक रूप में प्रकट करे।

“बाबासाहेब ने हमें ऐसा संविधान दिया है जो हर मत और विचार को सम्मान देता है। लेकिन अगर कोई इस लोकतंत्र में हिंसा या अशांति फैलाने की कोशिश करता है, तो वह संविधान का अपमान करता है।”

पृष्ठभूमि: कौन था आरोपी वकील?

यह घटना उस समय हुई जब सीजेआई बी आर गवई की अध्यक्षता में एक केस की सुनवाई हो रही थी। तभी कोर्टरूम में मौजूद एक व्यक्ति ने चप्पल फेंकने का प्रयास किया, जिसे तुरंत सुरक्षाकर्मियों ने बाहर निकाल दिया। बाद में उसकी पहचान राकेश किशोर के रूप में हुई, जो खुद को वकील बताता है।
राकेश ने कोर्ट से बाहर निकलते समय चिल्लाकर कहा, “सनातन का अपमान नहीं सहेंगे”, और वह कथित रूप से खजुराहो विष्णु मूर्ति से जुड़े एक मामले में दिए गए पूर्व टिप्पणियों को लेकर नाराज़ था।

हालिया घटनाओं से जुड़ा है कमलाताई का बयान

कमलाताई गवई ने कुछ दिन पहले ही आरएसएस के शताब्दी समारोह में शामिल होने का निमंत्रण अस्वीकार कर दिया था, जिसके पीछे दलित संगठनों की आपत्ति को उन्होंने गंभीरता से लिया था। अब इस बयान से उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि लोकतंत्र और संविधान की रक्षा उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है।

अगर खबर पसंद आई हो तो इसे शेयर ज़रूर करें!
0Shares
Scroll to Top