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भारत को ब्रह्मपुत्र के लिए चीन की जरूरत नहीं: असम CM हिमंत बिस्वा सरमा पुख्ता तथ्यों के साथ दिया जवाब

भारत ने जब से पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि निलंबित की है तब से चीन को मिर्ची लगी हुई है। चीन बार बार भारत को धमकी दे रहा है कि वह भी बह्मपुत्र नदी के प्रवाह को रोक सकता है। चीन को इस गीदड़ भभकी का करारा जवाब दिया है हमारे देश के राज्य असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने। अब देखो बिस्मा ने तथ्यों के साथ चीन को क्या जबाव दिया।

ब्रह्मपुत्र नदी भारत में आत्मनिर्भर

बिस्वा ने कहा कि चीन ऐसा करने में सक्षम ही नहीं है क्योंकि ब्रह्मपुत्र नदी भारत में आत्मनिर्भर है नदी को अपने जलप्रवाह के लिए चीन के पानी की जरूरत नहीं है हिमंत बिस्वा का कहना है कि ब्रह्मपुत्र एक ऐसी नदी जो भारत में बढ़ती है, घटती नहीं। चीन ब्रह्मपुत्र के कुल जल प्रवाह में केवल तिहाई हिस्से का ही योगदान देता है। वह भी ज्यादातर ग्लेशियरों के पिंघलने और सीमित बारिश से। बाकी 2 हिस्से का पानी का जलप्रवाह भारत में ही बनता है।

हिमंत बिस्वा ने तथ्यों के साथ बताया

हिमंत बिस्वा ने कहा कि पूर्वोत्तर के भारत के सभी राज्यों असम,अरुणाचल प्रदेश,मेघालय और नागालैंड और में मानसून की भारी बारिश से पानी का प्रवाह बनता है । इसके अलावा प्रमुख सहायक नदियाँ जिनमें  लोहित, सुबनसिरी, मानस,कामेंग, धनसिरी, कोपिली, जिया-भाराली सहित मेघालय की गारो, खासी, और जयंतियां की पहाड़ियों से निकलने अन्य सहायक नदियां जिनमें दिगारू, कृष्णाई, कुलसी ब्रह्मपुत्र के प्रवाह को सेंकेडों में हजारों घनमीटर तक बढ़ा देती हैं।

ब्रह्मपुत्र भारत में एंट्री

सीएम ने कहा कि ब्रह्मपुत्र नदी भारत में एंट्री के बाद विशाल और विस्तृत आकार ले लेती है। यह एक भारतीय, वर्षा-पोषित नदी प्रणाली है, न कि किसी एक स्रोत पर निर्भर। पाकिस्तान के समर्थन में उतरे चीन को वह सच्चाई जो उसे जाननी चाहिए अगर चीन कभी ब्रह्मपुत्र के जल को कम भी कर दे तो वह भारत के लिए बहुत अच्छा साबित हो सकता हैं क्योंकि हर साल असम में  ब्रह्मपुत्र नदी में जो बाढ़ आती है वह लाखों लोगों को बेघर करने के साथ भयंकर तबाही भी लेकर आती है।

पाकिस्तान घबरा रहा है
पाकिस्तान, जिसने 74 वर्षों तक सिंधु जल संधि से असमान लाभ उठाया, अब घबरा रहा है क्योंकि भारत अपने जल अधिकारों पर संप्रभु निर्णय ले रहा है।पाकिस्तान को यह याद रखना चाहिए कि ब्रह्मपुत्र एक ही स्रोत पर आधारित नहीं है। यह हमारे भूगोल, हमारे मानसून और हमारी सभ्यतागत शक्ति से पोषित है।
Sunita Singh

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