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ट्रंप-जिनपिंग बैठक से पहले चीन ने दिखाया सैन्य शक्ति

दक्षिण कोरिया में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात से पहले चीन ने एक महत्वपूर्ण सैन्य प्रदर्शन किया है। ताइवान के पास H-6K परमाणु-सक्षम बमवर्षक विमानों के साथ अभ्यास के जरिए चीन ने अमेरिका को स्पष्ट संदेश दिया है। चीनी सरकारी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, ईस्टर्न थिएटर कमांड के तहत लड़ाकू और बमवर्षक विमानों ने हाल में एयर ब्लॉकेड और सटीक हमले जैसे ऑपरेशंस की तैयारी की।

ताइवान के पास हुआ अभ्यास

रिपोर्ट में कहा गया कि कई J-10 फाइटर जेट्स ने लड़ाकू फॉर्मेशन में उड़ान भरी और H-6K बमवर्षकों ने ताइवान के आस-पास के जल और हवाई क्षेत्र में अभ्यास किया। हालांकि चीन ने अभ्यास की सटीक तारीख या स्थान नहीं बताया। H-6K चीन का रणनीतिक बमवर्षक है, जो परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम माना जाता है। यह चीन की लॉन्ग-रेंज स्ट्राइक क्षमता का प्रतीक भी है। चीनी सैन्य चैनल द्वारा रविवार देर रात जारी किए गए वीडियो में बम गिराने के फुटेज दिखाए गए, जिनमें दावा किया गया कि ताइवान का तट साफ दिखाई दे रहा था, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि वीडियो में असल में ताइवान का हिस्सा दिखा या नहीं।

ताइवान की प्रतिक्रिया

ताइवान रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को अपने दैनिक बुलेटिन में बताया कि पिछले 24 घंटे में केवल चार चीनी सैन्य विमान उसके एयर डिफेंस जोन के पास देखे गए। इनमें तीन फाइटर जेट्स ताइवान स्ट्रेट में और एक सपोर्ट एयरक्राफ्ट दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र में था। ताइवान ने कहा कि हाल में कोई असामान्य गतिविधि नहीं देखी गई, लेकिन सभी हालात पर नजर रखी जा रही है।

साथ ही, शनिवार को चीन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चीन और ताइवान को शांतिपूर्ण एकीकरण के लिए काम करना चाहिए। यह बयान द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ताइवान को चीन को सौंपे जाने के 80 साल पूरे होने के मौके पर आया। वहीं, ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-टे ने कहा कि शांति महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके लिए सिर्फ़ समझौते पर्याप्त नहीं हैं। उन्होंने ताइवान के रक्षा बजट बढ़ाने की नीति का भी बचाव किया।

अमेरिका-चीन बैठक के एजेंडा

इस हफ्ते दक्षिण कोरिया में होने वाले एशिया रीजनल समिट के दौरान ट्रंप और जिनपिंग की बैठक होनी है। इस मुलाकात में मुख्य रूप से ट्रेड डील और इंडो-पैसिफिक सुरक्षा पर चर्चा की जाएगी। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि ताइवान को इस बातचीत से चिंतित होने की जरूरत नहीं है।

अमेरिका का ताइवान समर्थन

अमेरिका ताइवान का सबसे बड़ा अनौपचारिक सहयोगी है। अमेरिकी कानून के तहत अमेरिका को ताइवान को रक्षा उपकरण उपलब्ध कराने की बाध्यता है, भले ही औपचारिक राजनयिक संबंध न हों। ऐसे में चीन का यह सैन्य प्रदर्शन अमेरिका के लिए रणनीतिक चुनौती और ताइवान के लिए चेतावनी दोनों माना जा रहा है।

दक्षिण-पूर्व एशिया में बढ़ती सैन्य सक्रियता

चीन की यह कार्रवाई इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में उसकी बढ़ती सैन्य सक्रियता को भी दर्शाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की लॉन्ग-रेंज स्ट्राइक क्षमता और ताइवान के आसपास सैन्य अभ्यास अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए तनाव बढ़ा सकता है।

शांति और रणनीतिक संतुलन की चुनौती

ताइवान और चीन के बीच तनाव और अमेरिका की भागीदारी क्षेत्र में शांति और रणनीतिक संतुलन के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है। इस मुलाकात के परिणाम न केवल द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित करेंगे, बल्कि पूरे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा और व्यापारिक स्थिरता पर भी असर डाल सकते हैं।

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