🕒 Published 3 months ago (5:17 AM)
China on India Pakistan War: भारत और पाकिस्तान के बीच लगातार बिगड़ते हालात अब अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय बन चुके हैं। हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके बाद भारत की जवाबी कार्रवाई के बाद तनाव चरम पर पहुंच गया है। इस बीच चीन का बयान सामने आया है, जिसने न सिर्फ हालात को लेकर चिंता जताई है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कानून और संयम बरतने की भी बात कही है। अब सवाल है कि चीन इस पूरे मामले में किस भूमिका में नजर आ रहा है? आइए जानते हैं।
भारत-पाकिस्तान के बीच गहराते तनाव पर चीन ने आधिकारिक बयान जारी किया है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा है कि चीन मौजूदा घटनाक्रमों से चिंतित है और भारत-पाकिस्तान दोनों उसके पड़ोसी हैं। ऐसे में चीन चाहता है कि दोनों देश संयम बरतें और ऐसे किसी भी कदम से बचें जिससे हालात और बिगड़ सकते हैं।
लिन जियान ने कहा, “हमने भारत और पाकिस्तान के बीच चल रही स्थिति पर पहले भी चीन की स्थिति स्पष्ट की है। हम दोनों देशों से अपील करते हैं कि वे शांति और स्थिरता के व्यापक हित में कार्य करें, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करें, और बातचीत से समाधान की दिशा में आगे बढ़ें।” उन्होंने ये भी कहा कि चीन बाकी अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर तनाव को कम करने में रचनात्मक भूमिका निभाने को तैयार है।
दरअसल, यह बयान ऐसे वक्त पर आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव अपने चरम पर है। भारत ने हाल ही में पीओके और पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर बड़ी कार्रवाई करते हुए 9 ठिकाने तबाह किए थे, जिनमें आतंकी मसूद अजहर के परिवार के 10 सदस्य भी मारे गए। इसके जवाब में पाकिस्तान ने ड्रोन और मिसाइल हमलों के साथ एलओसी पर भारी गोलीबारी शुरू कर दी।
हालांकि भारतीय सेना पूरी तरह से मुस्तैद है और उसने पाकिस्तान के ज्यादातर हमलों को नाकाम कर दिया है। भारत की कार्रवाई से पाकिस्तान को भारी नुकसान हुआ है और अब वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आर्थिक मदद के लिए गिड़गिड़ा रहा है। पाकिस्तान ने खुद माना है कि भारत की कार्रवाई ने उसे बुरी तरह झकझोर दिया है।
चीन का यह बयान भले ही कूटनीतिक संतुलन साधने की कोशिश हो, लेकिन यह साफ है कि भारत और पाकिस्तान के बीच हालात अब बेहद संवेदनशील मोड़ पर पहुंच चुके हैं। ऐसे में अगला कदम किसका और कैसा होगा, इस पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हैं। फिलहाल जरूरत है शांति, संयम और समझदारी की, ताकि दक्षिण एशिया फिर से स्थिरता की राह पर लौट सके।