अमेरिका के टैरिफ पर भड़का चीन – बोला, ‘तुम युद्ध चाहते हो तो युद्ध मिलेगा

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By Ankit Kumar

अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक संबंध पिछले कुछ वर्षों में लगातार तनावपूर्ण रहे हैं। हाल ही में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए घोषणा की कि जो देश अमेरिका पर जितना टैरिफ लगाएगा, अमेरिका भी उस पर उतना ही टैरिफ लगाएगा। इस फैसले के बाद अंतरराष्ट्रीय व्यापार जगत में खलबली मच गई, खासकर चीन ने इसे अपने खिलाफ सीधी चुनौती के रूप में देखा। चीन के विदेश मंत्रालय ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “अगर अमेरिका युद्ध चाहता है, फिर चाहे वह टैरिफ युद्ध हो, व्यापार युद्ध हो या किसी भी प्रकार का युद्ध, तो हम तैयार हैं और अंत तक लड़ेंगे।”

अमेरिका का टैरिफ निर्णय और उसके पीछे के कारण

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यह नीति “टैरिफ बराबरी” पर आधारित है, जिसमें कहा गया है कि यदि कोई देश अमेरिका पर टैरिफ बढ़ाता है, तो अमेरिका भी उसी अनुपात में प्रतिक्रिया देगा। इस नीति के पीछे कई प्रमुख कारण हैं:

1. अमेरिकी उद्योगों की सुरक्षा: ट्रंप प्रशासन का मानना है कि चीन जैसे देश अनुचित व्यापार नीतियों के माध्यम से अमेरिकी उत्पादों पर अनुचित टैरिफ लगाते हैं, जिससे अमेरिकी उद्योगों को नुकसान होता है।

    2. व्यापार घाटा कम करना: अमेरिका का चीन के साथ व्यापार घाटा अत्यधिक बढ़ा हुआ है, और टैरिफ लगाने से इस अंतर को कम करने की योजना बनाई गई है।

      3. फेंटानिल विवाद: अमेरिका चीन पर यह आरोप लगाता रहा है कि चीन से आने वाली अवैध ड्रग्स, विशेष रूप से फेंटानिल, अमेरिका में नशीली दवाओं की लत को बढ़ावा दे रही है। अमेरिका का कहना है कि चीन इस संकट को हल करने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहा।

        चीन की प्रतिक्रिया

        चीन ने अमेरिका के इस फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और इसे ब्लैकमेलिंग करार दिया। चीन के विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर साझा किए गए एक बयान में कहा कि टैरिफ बढ़ाने के फैसले को किसी भी तरह से स्वीकार नहीं किया जाएगा।

        1. अमेरिका पर दबाव डालने का आरोप: चीन का कहना है कि अमेरिका फेंटानिल संकट को एक बहाना बनाकर चीन के व्यापारिक हितों को नुकसान पहुंचा रहा है।

          2. द्विपक्षीय संबंधों को नुकसान: चीन के अनुसार, इस तरह की नीतियां न केवल दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों को कमजोर करेंगी, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करेंगी।

            3. युद्ध के लिए तैयार: चीन ने स्पष्ट कर दिया कि अगर अमेरिका टैरिफ युद्ध को और आगे बढ़ाता है, तो वह भी जवाबी कार्रवाई के लिए पूरी तरह से तैयार है।

              अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध का प्रभाव

              1. वैश्विक बाजार पर असर

              अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध से वैश्विक बाजारों पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। शेयर बाजारों में अस्थिरता बढ़ी है और निवेशकों की चिंता बढ़ गई है। अमेरिकी और चीनी कंपनियां, जो अंतरराष्ट्रीय बाजारों पर निर्भर हैं, वे इस तनाव से बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं।

              2. वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बाधा

              अमेरिका और चीन दोनों ही वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के महत्वपूर्ण हिस्से हैं। टैरिफ बढ़ने से उत्पादन लागत बढ़ेगी, जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी। अमेरिकी कंपनियां, जो चीन से कच्चा माल और अन्य उत्पाद खरीदती हैं, उनकी उत्पादन लागत में वृद्धि होगी।

              3. उपभोक्ताओं पर प्रभाव

              टैरिफ बढ़ने का सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ता है। अमेरिका में चीन से आयातित वस्तुओं की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे अमेरिकी उपभोक्ताओं की जेब पर भार पड़ेगा।

              4. दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान

              इस व्यापार युद्ध से अमेरिका और चीन, दोनों की अर्थव्यवस्थाओं को झटका लग सकता है। चीन के लिए अमेरिका एक बड़ा निर्यात बाजार है, और अमेरिका के लिए चीन एक महत्वपूर्ण आयात स्रोत है। टैरिफ के कारण दोनों देशों में व्यापार कम हो सकता है, जिससे आर्थिक विकास धीमा हो सकता है।

              भविष्य की संभावनाएं

              1. संभावित वार्ता और समझौता

              हालांकि व्यापार युद्ध तीव्र हो गया है, लेकिन कूटनीतिक वार्ता और समझौतों के माध्यम से इसे हल करने की संभावनाएं बनी हुई हैं। यदि दोनों देश किसी समझौते पर पहुंचते हैं, तो यह वैश्विक व्यापार के लिए राहत भरा कदम हो सकता है।

              2. नए व्यापारिक गठबंधन

              यदि अमेरिका और चीन के बीच टकराव जारी रहता है, तो दोनों देश नए व्यापारिक साझेदारों की तलाश कर सकते हैं। अमेरिका अन्य देशों के साथ व्यापारिक समझौते करने की कोशिश कर सकता है, और चीन भी यूरोप और अन्य एशियाई देशों की ओर रुख कर सकता है।

              3. वैश्विक व्यापारिक व्यवस्था में बदलाव

              इस व्यापार युद्ध के कारण वैश्विक व्यापारिक व्यवस्था में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। अन्य देश भी अपनी व्यापारिक नीतियों पर पुनर्विचार कर सकते हैं, जिससे नए नियम और नीतियां विकसित हो सकती हैं।

              अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ युद्ध सिर्फ दो देशों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। अमेरिका के टैरिफ बढ़ाने के फैसले से चीन और अन्य देशों में असंतोष बढ़ रहा है। चीन ने अपनी प्रतिक्रिया में स्पष्ट कर दिया है कि वह इस टैरिफ युद्ध का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। इस व्यापार युद्ध का असर न केवल वैश्विक बाजार पर पड़ेगा, बल्कि आम उपभोक्ताओं और व्यापारिक जगत को भी झेलना पड़ेगा। भविष्य में क्या होगा, यह अमेरिका और चीन के कूटनीतिक निर्णयों पर निर्भर करेगा, लेकिन यह स्पष्ट है कि यह व्यापार युद्ध जल्दी समाप्त होने वाला नहीं है।

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