नई दिल्ली: चीन ने हाल ही में सोने के बाजार में बड़ा बदलाव किया है। 1 नवंबर से चीन ने गोल्ड पर दी जाने वाली टैक्स छूट समाप्त कर दी है। इस फैसले के तहत अब ज्वैलर्स को शंघाई गोल्ड एक्सचेंज से खरीदे गए सोने पर वैल्यू-एडेड टैक्स (VAT) में कोई छूट नहीं मिलेगी। चाहे सोना सीधे बेचा जाए या प्रोसेसिंग के बाद, सभी पर टैक्स लागू होगा।
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चीन का उद्देश्य और आर्थिक स्थिति
चीन के इस कदम का उद्देश्य अपनी अर्थव्यवस्था का समर्थन करना और राजस्व में वृद्धि करना है। देश रियल एस्टेट संकट और आर्थिक धीमी गति से जूझ रहा है, जिसके चलते सरकार ने यह नीति लागू की है। इसके परिणामस्वरूप उपभोक्ताओं को सोना खरीदने में अधिक खर्च करना पड़ेगा।
सोना अभी भी निवेशकों के लिए सुरक्षित
सोना लंबे समय से निवेशकों के लिए सुरक्षित और भरोसेमंद विकल्प रहा है। हाल ही में वैश्विक स्तर पर सोने की मांग बढ़ी थी और कीमतें उच्च स्तर पर पहुंच गई थीं। चीन में टैक्स छूट हटने से वहां सोने की मांग में कमी आ सकती है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि सोना अब भी निवेश के लिए सुरक्षित विकल्प बना रहेगा।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत
अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने का मूल्य फिलहाल लगभग 4,000 डॉलर प्रति औंस के आसपास कारोबार कर रहा है। आज दोपहर तक सोने का मूल्य 4013.40 डॉलर प्रति औंस था। शुक्रवार को यह 4038.20 डॉलर पर बंद हुआ। वहीं चांदी की कीमत में हल्की गिरावट दर्ज की गई है और यह अब 48.250 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रही है।
भविष्य में सोने की कीमत पर अनुमान
विशेषज्ञों का अनुमान है कि आने वाले एक साल में सोने का मूल्य 5,000 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकता है। इसके पीछे कई कारण हैं, जैसे कि सेंट्रल बैंकों की लगातार खरीदारी, अमेरिका में ब्याज दरों में संभावित कटौती और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं। इन सभी कारकों की वजह से सोने की मांग मजबूत बनी हुई है।
चीन की नीति का स्थानीय और वैश्विक प्रभाव
चीन में टैक्स छूट खत्म होने से स्थानीय ज्वैलर्स को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। सोने की खरीद महंगी होने के कारण ग्राहकों की संख्या पर असर पड़ सकता है। भारत जैसे देशों में भी इसका प्रभाव पड़ने की संभावना है, क्योंकि चीन से सोने का आयात वैश्विक कीमतों को प्रभावित करता है।
भारत में सोने की मांग पर असर
भारत में सोने की मांग त्योहारों और शादी के सीजन में हमेशा उच्च रहती है। वैश्विक कीमतों में बदलाव का असर भारतीय उपभोक्ताओं पर भी दिख सकता है। ज्वैलर्स और निवेशक अब अपने निवेश और खरीद के फैसले में और सतर्क रह सकते हैं।
वैश्विक बाजार में अस्थिरता
विशेषज्ञों का कहना है कि चीन की इस नीति से दुनिया के सोने के बाजार में अस्थिरता आ सकती है। हालांकि, लंबे समय में सोने की सुरक्षा और मूल्य स्थिरता इसे निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण एसेट बनाए रखती है। निवेशकों को सोने में निवेश करते समय वैश्विक बाजार की स्थिति पर ध्यान देना चाहिए।
लंबी अवधि में सोने की स्थिति
चीन की नई नीति से उत्पन्न अस्थिरता कुछ समय के लिए हो सकती है, लेकिन लंबी अवधि में सोना निवेश के लिए भरोसेमंद विकल्प बना रहेगा। ज्वैलर्स को अपने मूल्य निर्धारण और ग्राहक प्रबंधन की रणनीति बदलनी पड़ सकती है। निवेशकों को संभावित उतार-चढ़ाव के लिए तैयार रहना होगा।
सोने की सुरक्षा और भविष्य
सोना हमेशा से आर्थिक सुरक्षा और मुद्रास्फीति के खिलाफ एक मजबूत विकल्प रहा है। चीन की नई टैक्स नीति से अंतरराष्ट्रीय बाजार में हलचल आ सकती है, लेकिन सोने की लंबी अवधि की मांग और मूल्य स्थिरता बनी रहेगी। भारत समेत अन्य देशों के निवेशक और ज्वैलर्स अब इस नीति के प्रभाव को समझते हुए निर्णय लेंगे।
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