CDSCO Guidelines For Medicines: 17 एक्सपायर्ड दवाएं जो बन सकती हैं जहर! CDSCO ने कहा- डस्टबिन नहीं, सीधे टॉयलेट में बहाएं, जानिए क्यों

By Hindustan Uday

🕒 Published 4 weeks ago (1:12 PM)

नई दिल्ली। कई बार लोग ज़रूरत से ज़्यादा दवाएं खरीद लेते हैं, जो फिर सालों तक अलमारी या फर्स्ट एड बॉक्स में पड़ी रह जाती हैं. इनका इस्तेमाल नहीं हो पाता और ये एक्सपायर हो जाती हैं. आमतौर पर लोग इन्हें कूड़ेदान में फेंक देते हैं, लेकिन भारत की दवा नियामक संस्था सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) ने अब ऐसी 17 दवाओं की एक लिस्ट जारी की है, जिन्हें कभी भी डस्टबिन में नहीं डालना चाहिए — बल्कि सीधे टॉयलेट में फ्लश कर देना चाहिए.

कौन-सी हैं ये खतरनाक दवाएं?
CDSCO द्वारा जारी इस सूची में कई तेज़ असर वाली पेनकिलर और एंटी-एंजायटी दवाएं शामिल हैं, जिनमें प्रमुख हैं:

फेंटेनिल

ट्रामाडोल

मॉर्फिन सल्फेट

बुप्रेनॉर्फिन

मिथाइलफेनिडेट

टापेन्टाडोल

ऑक्सीकोडोन

डायजेपाम
ये सभी ऐसी दवाएं हैं जो नशे की लत पैदा कर सकती हैं और गलत हाथों में पड़ जाएं तो जानलेवा हो सकती हैं. इसीलिए CDSCO ने सख्त निर्देश दिए हैं कि ये दवाएं यदि एक्सपायर हो चुकी हैं या बिना उपयोग के पड़ी हैं, तो इन्हें टॉयलेट में फ्लश कर देना सबसे सुरक्षित तरीका है.

अन्य दवाओं के लिए क्या करें?
CDSCO ने स्पष्ट किया है कि इन 17 दवाओं को छोड़कर बाकी सभी सामान्य दवाओं को फ्लश करना पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकता है. इनका निपटान वैज्ञानिक और पर्यावरण के अनुकूल तरीके से करना चाहिए. इसके लिए ड्रग टेक बैक प्रोग्राम जैसे मॉडल को अपनाने की सलाह दी गई है, जिसमें राज्य औषधि नियंत्रण विभाग या नजदीकी केमिस्ट मदद कर सकते हैं.

पानी में घुल रही हैं दवाएं, बढ़ रहा खतरा
AIIMS की एक रिपोर्ट बताती है कि दिल्ली-एनसीआर में कई लोग दवाओं को सीधे डस्टबिन में फेंक देते हैं, जिससे ये कचरे और जल स्रोतों तक पहुंच जाती हैं. विशेषकर यमुना नदी में एंटीबायोटिक्स और अन्य शक्तिशाली दवाओं के अंश पाए गए हैं, जो मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट बैक्टीरिया का कारण बन रहे हैं. इतना ही नहीं, गाजीपुर लैंडफिल और उसके आसपास के क्षेत्रों में भी सतही जल में दवाओं की मौजूदगी दर्ज की गई है.

मानव स्वास्थ्य और प्रकृति पर खतरा
यह प्रदूषण न केवल मछलियों और अन्य जलीय जीवों को प्रभावित करता है, बल्कि लंबे समय में मानव स्वास्थ्य के लिए भी खतरा बन सकता है. इसलिए CDSCO अब नियमों को सख्त कर रहा है, ताकि दवाओं का सही निपटान हो सके और पर्यावरण के साथ-साथ लोगों की जान भी सुरक्षित रहे.

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