🕒 Published 4 months ago (5:49 AM)
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेश बघेल का नाम महादेव सट्टेबाजी ऐप घोटाले में सामने आया है। सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) ने इस मामले में दर्ज की गई एफआईआर में उन्हें आरोपी के रूप में सूचीबद्ध किया है। यह घोटाला 5000 करोड़ रुपये से अधिक का बताया जा रहा है और इसने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है।
सीबीआई की जांच में बड़ा खुलासा
सीबीआई ने दावा किया है कि भूपेश बघेल इस घोटाले के लाभार्थियों में से एक थे। एजेंसी ने उन्हें दर्ज एफआईआर में 19 नामजद आरोपियों में से छठवें स्थान पर सूचीबद्ध किया है। इससे पहले, छत्तीसगढ़ पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने भी इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी। यह मामला प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग केस से जुड़ा हुआ है।

सीबीआई की प्रक्रिया और छापेमारी
कानूनी प्रक्रिया के अनुसार, जब राज्य सरकार किसी मामले की जांच सीबीआई को सौंपती है, तो केंद्रीय एजेंसी राज्य पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर को अपने रिकॉर्ड में दर्ज करती है और जांच को आगे बढ़ाती है। इस साल 26 मार्च को, सीबीआई ने भूपेश बघेल के आवास सहित कुल 60 ठिकानों पर छापेमारी की और गहन तलाशी ली।
स्पेशल कोर्ट को सौंपी जाएगी अंतिम रिपोर्ट
सीबीआई द्वारा की जा रही जांच के बाद, एजेंसी अपने निष्कर्षों को अंतिम रिपोर्ट के रूप में विशेष अदालत को सौंपेगी। इसमें आरोपों की पुष्टि या खंडन किया जा सकता है। अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि आगे की जांच में क्या नए खुलासे होते हैं और न्यायिक प्रक्रिया किस दिशा में जाती है।
राजनीतिक हलकों में उथल-पुथल
इस मामले ने छत्तीसगढ़ की राजनीति में उथल-पुथल मचा दी है। विपक्ष ने जहां इस मामले को लेकर आक्रामक रुख अपनाया है, वहीं कांग्रेस ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध बताया है। भूपेश बघेल और उनके समर्थक इस आरोप को साजिश करार दे रहे हैं, जबकि जांच एजेंसियां अपने स्तर पर साक्ष्य जुटाने में लगी हुई हैं।
अब देखना यह होगा कि इस मामले में आगे क्या कदम उठाए जाते हैं और न्यायिक प्रक्रिया क्या रुख अख्तियार करती है।
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