कनाडा सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए भारत के कुख्यात लॉरेंस बिश्नोई गैंग को आतंकवादी संगठन करार दिया है। यह गैंग न केवल भारत में बल्कि कनाडा में भी सक्रिय है और अपराधों को अंजाम देता रहा है।
कनाडा के पब्लिक सिक्योरिटी मंत्री गैरी आनंदसंगरी ने कहा कि देश में हिंसा और आतंक के लिए कोई जगह नहीं है। खासकर तब, जब ऐसी गतिविधियां किसी खास समुदाय को डराने के लिए की जाती हों। इसी वजह से इस गैंग को कनाडा के क्रिमिनल कोड के तहत प्रतिबंधित कर दिया गया है।
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फैसले के क्या-क्या हो सकते हैं असर
कनाडा में गैंग की संपत्ति, वाहन और बैंक खाते जब्त या फ्रीज किए जा सकते हैं।
गैंग को आर्थिक मदद देना, यात्रा कराना या भर्ती से जुड़ी कोई भी गतिविधि अब अपराध मानी जाएगी।
कोई भी व्यक्ति अगर सीधे या परोक्ष रूप से गैंग को संपत्ति उपलब्ध कराता है, तो उस पर भी कार्रवाई होगी।
इस गैंग से जुड़े लोगों के लिए कनाडा में प्रवेश करना मुश्किल हो जाएगा। इमिग्रेशन अधिकारी वीज़ा या एंट्री से जुड़े फैसले लेते समय इस प्रतिबंध को ध्यान में रखेंगे।
कनाडा में गैंग की मौजूदगी
सरकार के मुताबिक, लॉरेंस बिश्नोई गैंग एक अंतरराष्ट्रीय अपराध संगठन है, जो प्रवासी समुदाय वाले इलाकों में खासा सक्रिय है। यह गिरोह हत्या, गोलीबारी, आगजनी, धमकी और जबरन वसूली जैसे अपराधों के जरिए लोगों में दहशत फैलाता है। इनके निशाने पर अक्सर समाज के प्रमुख लोग, व्यवसायी और सांस्कृतिक हस्तियां रहती हैं।
प्रतिबंध की मांग कैसे उठी?
11 अगस्त को पहल: कनाडा की कंजरवेटिव पार्टी के सांसद और पब्लिक सेफ्टी शैडो मिनिस्टर फ्रैंक कैपुटो ने मंत्री आनंदसंगरी को पत्र लिखकर गैंग पर प्रतिबंध लगाने की औपचारिक मांग की थी।
कैपुटो ने बताया था कि यह गैंग न सिर्फ अपराध करता है बल्कि राजनीतिक, धार्मिक और वैचारिक कारणों से भी हिंसा करता है।
इसके बाद ब्रिटिश कोलंबिया, अल्बर्टा, ब्रैम्पटन और सरे के कई बड़े नेताओं ने भी इस मांग का समर्थन किया।
लगातार दबाव और सिफारिशों के बाद कनाडा सरकार ने आखिरकार लॉरेंस गैंग को आतंकी संगठन घोषित कर दिया।
यह फैसला कनाडा और भारत दोनों के लिए अहम माना जा रहा है, क्योंकि इससे प्रवासी समुदाय में सुरक्षा का भरोसा बढ़ेगा और गैंग की अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों पर कड़ा प्रहार होगा।
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