🕒 Published 4 weeks ago (6:35 PM)
नई दिल्ली। दिल्ली में बीते कुछ हफ्तों से अतिक्रमण हटाने को लेकर चल रहे अभियान के तहत डीडीए और एमसीडी ने कई झुग्गी-झोपड़ी बस्तियों पर बुलडोजर चला दिए हैं। अब इसी कड़ी में वसंतकुंज इलाके की जय हिंद झुग्गी बस्ती भी प्रशासन के रडार पर है। यहां के लोगों को आशंका है कि जल्द ही उनकी बस्ती भी तोड़ दी जाएगी।
बिजली काटने के बाद गहराया डर
8 जून 2025 को इस बस्ती की बिजली अचानक काट दी गई, जिससे यहां रह रहे लोगों में भय और बेचैनी का माहौल है। लोगों का कहना है कि मंगलवार सुबह कुछ अधिकारी आए और बिना कोई सूचना दिए बिजली का कनेक्शन हटा दिया गया। अब भीषण गर्मी में सैकड़ों परिवारों को बिना बिजली के रहना पड़ रहा है।
5 से 6 हजार लोग कर रहे हैं इंतजार में दिन-रात का सफर
स्थानीय लोगों के अनुसार, जय हिंद झुग्गी में करीब 1100 परिवार रहते हैं, जिनमें करीब 95 प्रतिशत मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। यह बस्ती महरौली विधानसभा के अंतर्गत आती है। अधिकांश लोग कूड़ा बीनने, घरों में काम करने और सफाई जैसी मजदूरी पर निर्भर हैं।
मंदिर और मस्जिद के मीटर से मिल रही थी बिजली
बस्ती में बिजली की आपूर्ति स्थानीय काली मां मंदिर और मदीना मस्जिद में लगे मीटरों से की जाती थी। वहां से सब-मीटर के जरिए हर झुग्गी तक बिजली पहुंचाई जाती थी। कुछ मीटर मस्जिद और मंदिर के बाहर हैं तो कुछ लोगों के घरों पर। एक निवासी अरुण ने बताया कि उनके घर में बिजली मस्जिद के मीटर से आती थी, लेकिन अब वह कनेक्शन भी काट दिया गया है।
गर्मी में बेहाल, खुली हवा में रात गुजारने को मजबूर
गर्म और उमस भरे मौसम में बिजली कटने से लोग बेहद परेशान हैं। बस्ती की गलियों में छोटे-छोटे घरों में लोग पंखा या कूलर न चल पाने के कारण बाहर खुले में सोने को मजबूर हैं। एक महिला निवासी कनदुरी बर्मन, जो पिछले 16 साल से यहां रह रही हैं, बताती हैं कि वह पश्चिम बंगाल के कूच बिहार की रहने वाली हैं और अब बस्ती उजड़ने के डर में दिन काट रही हैं।
पहचान पर उठे सवाल, रोहिंग्या और बांग्लादेशी बताने के आरोप
इस बस्ती पर पहले भी रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिकों के रहने के आरोप लग चुके हैं। पिछले साल पुलिस ने इलाके में अभियान चलाकर लोगों की पहचान की जांच की थी। अधिकतर लोगों ने अपने आधार कार्ड दिखाए, जिन पर कूच बिहार (बंगाल) का पता दर्ज है। एक व्यक्ति ने कहा कि उसके पास अपने पिता के नाम पर बंगाल में ज़मीन के दस्तावेज़ हैं, फिर भी उन्हें घुसपैठिया कहा जा रहा है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया भी सामने आई
राज्यसभा सांसद मनोज झा ने इस मुद्दे को सोशल मीडिया पर उठाया और सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि गरीबों की बिजली और पानी काटना अमानवीय है। हालांकि स्थानीय लोगों का कहना है कि फिलहाल केवल बिजली कटी है, पानी की आपूर्ति अब भी हो रही है।
भविष्य अनिश्चित, लोग डरे और बेसहारा
जय हिंद बस्ती में रहने वाले हजारों लोगों का भविष्य अधर में लटका है। वर्षों से यहां बसे ये लोग अब हर दिन इस डर में जी रहे हैं कि कहीं उनका आशियाना उजड़ न जाए। प्रशासन की ओर से अब तक कोई स्पष्ट सूचना नहीं दी गई है, जिससे बस्ती के हालात और भी तनावपूर्ण हो गए हैं।