बजट सत्र 2025: 11 बजे से शुरू होगी सदनों की कार्यवाही – LIVE अपडेट
नई दिल्ली: बजट सत्र 2025 का आज दूसरा चरण शुरू होने जा रहा है, जिसमें दोनों सदनों की कार्यवाही सुबह 11 बजे से शुरू होगी। संसद का यह सत्र खासतौर पर महत्वपूर्ण है क्योंकि इस बार के बजट सत्र 2025 में सरकार कई अहम मुद्दों पर चर्चा करेगी और विपक्ष भी अपनी रणनीति के साथ सदन में मौजूद रहेगा। सरकार की नीतियों और योजनाओं पर चर्चा के साथ-साथ विपक्षी दल सरकार को घेरने के लिए तैयार हैं।
इस बजट सत्र 2025 के दौरान कई महत्वपूर्ण बिलों पर चर्चा होगी, जिनमें प्रमुख रूप से शिक्षा, रोजगार, और आर्थिक नीतियों से जुड़े बिल शामिल हैं। इसके अलावा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत 3-भाषा नीति को लेकर भी चर्चा होने की संभावना है, जिस पर राज्यसभा में पहले ही हंगामा हो चुका है। कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने केंद्र सरकार से राज्यों की भावनाओं को समझने की अपील की है। उन्होंने कहा कि केंद्र को राज्य सरकारों के साथ तालमेल बनाकर काम करना चाहिए, ताकि नीतियों का सही ढंग से क्रियान्वयन हो सके।
विपक्ष का हमला और सरकार की तैयारी
बजट सत्र 2025 में सरकार की कई प्रमुख योजनाओं पर चर्चा होने की उम्मीद है, जिसमें ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे अभियानों पर जोर दिया जाएगा। लेकिन विपक्ष सरकार की इन योजनाओं पर सवाल उठाने की पूरी तैयारी कर चुका है। कांग्रेस सांसद मनिकम टैगोर ने लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव दायर कर चीन के साथ व्यापार घाटे और भारत के विनिर्माण क्षेत्र में चल रहे संकट पर ध्यान केंद्रित किया है।
टैगोर का कहना है कि बजट सत्र 2025 में सरकार को यह बताना चाहिए कि ‘मेक इन इंडिया’ के तहत अब तक कितनी प्रगति हुई है और विनिर्माण क्षेत्र में आई गिरावट के कारण क्या हैं। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि अडाणी-निर्भर भारत की ओर सरकार काम कर रही है, जहां मुट्ठी भर कॉर्पोरेट घरानों को ही लाभ मिल रहा है, जबकि अन्य छोटे और मध्यम उद्योग प्रभावित हो रहे हैं।
3-भाषा नीति और एनईपी पर चर्चा
राज्यसभा में प्रमोद तिवारी ने 3-भाषा नीति पर अपनी राय रखते हुए कहा कि यह एक संवेदनशील मुद्दा है, और बजट सत्र 2025 में इस पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि राज्यों की भावनाओं का सम्मान करते हुए नीतियों को लागू किया जाए। उनका कहना था कि केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर समन्वय से ही शिक्षा नीति का सफल क्रियान्वयन हो सकता है।
चीन के साथ व्यापार घाटे पर विपक्ष का सवाल
बजट सत्र 2025 में विपक्ष का जोर चीन के साथ व्यापार घाटे पर भी रहेगा। कांग्रेस नेता टैगोर ने इस मुद्दे पर सरकार की नीतियों की आलोचना की और कहा कि पिछले 10 सालों में चीन के साथ व्यापार घाटा तीन गुना बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि सरकार आत्मनिर्भर भारत की बात करती है, लेकिन भारतीय बाजारों में चीनी उत्पादों की भरमार हो गई है, जो घरेलू उद्योगों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
विनिर्माण क्षेत्र में संकट और ‘मेक इन इंडिया’
मनिकम टैगोर ने ‘मेक इन इंडिया’ योजना की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार केवल असेंबली लाइनों पर ध्यान दे रही है, जबकि वास्तविक उत्पादन कार्य बेहद सीमित हो गया है। उन्होंने बजट सत्र 2025 में यह मुद्दा उठाया कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में विनिर्माण का हिस्सा घटकर 12.8% हो गया है, जो 2014 में 15% था।
टैगोर ने पीएलआई (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) योजना पर भी सवाल उठाए, जिसमें अब तक सिर्फ 11,000 करोड़ रुपये ही वितरित किए गए हैं, जबकि 1.97 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। उन्होंने सरकार से स्पष्टता की मांग की कि वह इस गिरावट को कैसे उलटने की योजना बना रही है और भारत को आत्मनिर्भर कैसे बनाएगी।
क्या खास होगा बजट सत्र 2025 में?
इस बार का बजट सत्र 2025 बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि कई अहम विधेयक पारित होने की उम्मीद है। इसके अलावा, विपक्ष और सरकार के बीच तीखी बहस भी होने की संभावना है, जिसमें विशेष रूप से आर्थिक नीतियों और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर जोर दिया जाएगा। विपक्ष चीन के साथ बढ़ते व्यापार घाटे और रोजगार संकट पर सरकार को घेरने की पूरी तैयारी में है।
सरकार की ओर से शिक्षा नीति, आर्थिक सुधार और विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि के लिए नई योजनाओं पर चर्चा होगी। इसके अलावा, सरकार ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्यों को कैसे प्राप्त करेगी, इस पर भी ध्यान केंद्रित होगा।
निष्कर्ष
बजट सत्र 2025 में विपक्ष और सरकार के बीच कड़ी टक्कर की उम्मीद है। जहां विपक्ष आर्थिक नीतियों और व्यापार घाटे पर सरकार से सवाल पूछेगा, वहीं सरकार अपने सुधारात्मक उपायों और योजनाओं को पेश करेगी। यह सत्र केवल विधेयकों को पारित करने का मंच नहीं होगा, बल्कि सरकार और विपक्ष के बीच राजनीतिक बहस का केंद्र भी बनेगा।
बजट सत्र 2025 के इस महत्वपूर्ण सत्र को लेकर देशभर के लोग भी उत्सुक हैं कि क्या इस सत्र से आर्थिक सुधार, रोजगार वृद्धि और शिक्षा नीति में नए बदलाव आएंगे।
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