🕒 Published 1 month ago (6:45 PM)
केरल के तिरुवनंतपुरम इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर इमरजेंसी लैंडिंग के बाद फंसे ब्रिटिश रॉयल नेवी के F-35B स्टील्थ फाइटर जेट को लेकर बड़ी जानकारी सामने आई है। 14 जून को तकनीकी खराबी के चलते इमरजेंसी में उतारे गए इस अत्याधुनिक फाइटर जेट की अब तक मरम्मत नहीं हो सकी है। 19 दिन बाद भी जेट वहीं खड़ा है और अब उसे टुकड़ों में काटकर वापस ब्रिटेन भेजने की तैयारी की जा रही है।
क्या हुआ था 14 जून को?
ब्रिटिश रॉयल नेवी का यह F-35B जेट “प्रिंस ऑफ वेल्स कैरियर स्ट्राइक ग्रुप” का हिस्सा है, जो केरल के समुद्री क्षेत्र से करीब 100 नॉटिकल मील की दूरी पर ऑपरेशन कर रहा था। खराब मौसम और कम फ्यूल की वजह से इसे तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट पर इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी।
हाइड्रोलिक फेलियर बनी बड़ी वजह
सूत्रों के अनुसार, जब जेट एयरक्राफ्ट कैरियर पर लौटने की तैयारी में था, उस दौरान टेकऑफ से पहले की जांच में हाइड्रोलिक सिस्टम फेलियर सामने आया। यह खराबी इतनी गंभीर थी कि जेट की सुरक्षित उड़ान और लैंडिंग की क्षमता पर असर पड़ रहा था। इसी वजह से तीन टेक्निशियंस वाली एक छोटी टीम ने तुरंत जांच और मरम्मत की कोशिश की, लेकिन जटिल तकनीकी खराबी के चलते कोई समाधान नहीं निकल सका।
मरम्मत के लिए इंजीनियर नहीं पहुंचे
पिछले दो हफ्तों से जेट को दोबारा उड़ान भरने लायक बनाने की तमाम कोशिशें की गईं। लेकिन अब तक ब्रिटेन से कोई इंजीनियरिंग टीम भारत नहीं पहुंच सकी है। पहले अनुमान लगाया गया था कि करीब 30 इंजीनियरों की एक टीम मरम्मत के लिए तिरुवनंतपुरम पहुंचेगी, लेकिन वह अब तक नहीं आई है।
अब टुकड़ों में वापस जाएगा F-35
लगातार देरी और तकनीकी दिक्कतों को देखते हुए ब्रिटिश अधिकारी अब यह तय कर चुके हैं कि जेट को पूरी तरह ठीक करना फिलहाल संभव नहीं है। ऐसे में उसे वापस ब्रिटेन ले जाने का एकमात्र तरीका है – उसे टुकड़ों में तोड़कर सैन्य कार्गो विमान से भेजा जाए।
विमान की वापसी के लिए कोई तय तारीख नहीं है, लेकिन अब वैकल्पिक योजनाओं पर तेजी से काम चल रहा है। विमान को आंशिक रूप से डिसमेंटल करके उसे मिलिट्री ट्रांसपोर्ट में लोड किया जाएगा और ब्रिटेन भेजा जाएगा, जहां उसकी मरम्मत होगी।
क्यों है यह मामला खास?
F-35B फिफ्थ जनरेशन का स्टील्थ फाइटर जेट है जो अमेरिका के नेतृत्व में विकसित किया गया है। यह बेहद महंगा, संवेदनशील और एडवांस टेक्नोलॉजी से लैस है। किसी देश में इस तरह का विमान फंसना कूटनीतिक और रणनीतिक दोनों नजरिए से अहम माना जाता है। भारत के लिए भी यह पहली बार है जब किसी पश्चिमी देश का ऐसा लड़ाकू विमान इतनी लंबी अवधि तक भारतीय एयरस्पेस और एयरपोर्ट पर खड़ा रहा।