जस्टिस यशवंत वर्मा के शपथ ग्रहण का बहिष्कार, इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने की घोषणा

By Pragati Tomer

🕒 Published 4 months ago (5:31 AM)

जस्टिस यशवंत वर्मा के शपथ ग्रहण का बहिष्कार: इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की कड़ी घोषणा

उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाई कोर्ट में इन दिनों जस्टिस यशवंत वर्मा के स्थानांतरण के मुद्दे को लेकर जबरदस्त हंगामा मचा हुआ है। शुक्रवार को वकीलों के एक बड़े प्रदर्शन के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने फैसला लिया कि वे जस्टिस यशवंत वर्मा के शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार करेंगे। यह विरोध अब लगातार चौथे दिन भी जारी रहा है और वकील इस फैसले को लेकर काफी आक्रोशित दिख रहे हैं। जस्टिस वर्मा के स्थानांतरण को लेकर उनके पक्ष में खड़े होने के बजाय इलाहाबाद हाई कोर्ट के वकील अब इस फैसले का विरोध करने पर अड़े हुए हैं।

इस लेख में हम आपको विस्तार से बताएंगे कि आखिर क्या कारण हैं जो इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन को जस्टिस यशवंत वर्मा के शपथ ग्रहण का बहिष्कार करने पर मजबूर कर रहे हैं। साथ ही, हम इस मुद्दे की गहराई में जाएंगे और देखेंगे कि यह विवाद किस दिशा में जा सकता है।

जस्टिस यशवंत वर्मा के शपथ ग्रहण का बहिष्कार क्यों?

जस्टिस यशवंत वर्मा का इलाहाबाद हाई कोर्ट में स्थानांतरण हुआ है और इस फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। वकीलों का कहना है कि जिस न्यायाधीश ने दिल्ली में ली गई इंटीग्रिटी की शपथ को तार-तार किया, वह कैसे फिर से इलाहाबाद हाई कोर्ट में शपथ ले सकता है? उनका कहना है कि जस्टिस वर्मा के ट्रांसफर ने भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में एक काला दिन लाकर खड़ा किया है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट के वकीलों का गुस्सा

इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने इस फैसले को लेकर कहा, “यह भारतीय न्यायपालिका के इतिहास का सबसे काला दिन है।” वकीलों का कहना है कि जस्टिस वर्मा के स्थानांतरण का यह निर्णय न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचा सकता है। ऐसे में उनका शपथ ग्रहण समारोह पूरी तरह से बहिष्कृत किया जाएगा।

हाई कोर्ट बार एसोसिएशन का फैसला

बार एसोसिएशन ने शुक्रवार को यह घोषणा की कि शनिवार से वादकारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए फोटो एफिडेविट सेंटर को फिर से खोला जाएगा। इसके साथ ही, शनिवार को एक बैठक का आयोजन किया जाएगा, जिसमें वरिष्ठ अधिवक्ताओं के साथ मिलकर कार्य बहिष्कार जारी रखने और आंदोलन की रणनीति पर चर्चा की जाएगी। यह बैठक रात 12 बजे तक चली, जिसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट के वकीलों ने इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी जाहिर की।

वकीलों का कार्य बहिष्कार

इस बहिष्कार के कारण हाई कोर्ट का कामकाज पूरी तरह से प्रभावित हो गया। वकीलों की गैर-मौजूदगी के कारण अदालत के कक्ष में मौजूद न्यायाधीशों को कुछ ही समय बाद वापस अपने चैंबरों में लौटना पड़ा। दूर-दराज से आए वादकारी भी निराश होकर लौटने को मजबूर हुए। इसके साथ ही, यह भी देखा गया कि इस विरोध में कई वकील सामूहिक रूप से हिस्सा ले रहे हैं, जो इस मुद्दे को लेकर काफी गंभीर हैं।

जस्टिस यशवंत वर्मा के शपथ ग्रहण का बहिष्कार

जस्टिस वर्मा के स्थानांतरण की अधिसूचना पर विवाद

जस्टिस यशवंत वर्मा के स्थानांतरण की अधिसूचना पर वकीलों में भारी आक्रोश है। वकीलों का कहना है कि यह स्थानांतरण न्यायपालिका की स्वतंत्रता को खतरे में डाल सकता है। कानून मंत्रालय द्वारा जारी की गई इस अधिसूचना को लेकर वकीलों का गुस्सा उबाल मार रहा है। वकील यह मानते हैं कि यह स्थानांतरण भारतीय न्यायपालिका की प्रतिष्ठा पर सवाल उठाने वाला कदम है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट के वकीलों की प्रमुख मांगें

वकीलों ने अपनी सभा में कई प्रमुख मांगों को उठाया। पहली और सबसे महत्वपूर्ण मांग थी जस्टिस यशवंत वर्मा के स्थानांतरण को रद्द किया जाए। इसके अलावा, वकीलों ने जजों के परिवारों द्वारा वकालत करने पर भी रोक लगाने की मांग की है। इसके साथ ही, हाई कोर्ट में केस लिस्टिंग की समस्याओं का समाधान करने की भी मांग की गई है। वकील चाहते हैं कि पहले दाखिल मुकदमों की सुनवाई को प्राथमिकता दी जाए।

आंदोलन की रणनीति

बार एसोसिएशन की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया कि आगे के आंदोलन की रणनीति तय करने के लिए एक बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में कई वरिष्ठ अधिवक्ता और पदाधिकारी मौजूद रहे। इस बैठक में चर्चा की गई कि वकील किस प्रकार से इस आंदोलन को और तेज़ करें, ताकि जस्टिस वर्मा के स्थानांतरण के फैसले को रद्द किया जा सके।

जस्टिस यशवंत वर्मा के शपथ ग्रहण का बहिष्कार: क्या होगा आगे?

अब सवाल यह है कि जस्टिस यशवंत वर्मा के शपथ ग्रहण का बहिष्कार क्या न्यायपालिका के लिए किसी बड़े बदलाव का संकेत है? क्या वकील इस आंदोलन को सफल बना पाएंगे या फिर उन्हें अपने विरोध में और अधिक समर्थन जुटाने की जरूरत पड़ेगी? ये सवाल अब इलाहाबाद हाई कोर्ट के वकीलों के लिए सबसे महत्वपूर्ण बन गए हैं।

इस पूरे घटनाक्रम से यह भी साफ होता है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और प्रतिष्ठा को लेकर वकील कितने गंभीर हैं। यह विरोध केवल एक स्थानांतरण के खिलाफ नहीं बल्कि एक ऐसे सिस्टम के खिलाफ है जिसे वकील और न्यायधीश मिलकर बनाए रखते हैं। अब देखना यह है कि जस्टिस यशवंत वर्मा के शपथ ग्रहण का बहिष्कार भारतीय न्यायपालिका के लिए किस दिशा में जाता है।

निष्कर्ष

इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन का यह कदम, जस्टिस यशवंत वर्मा के शपथ ग्रहण का बहिष्कार, भारतीय न्यायपालिका की साख को लेकर एक गंभीर सवाल खड़ा करता है। वकील इस मामले में अपने विरोध को जारी रखने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। अगर जस्टिस वर्मा के स्थानांतरण को रद्द नहीं किया जाता, तो यह आंदोलन और भी तेज़ हो सकता है। अब यह देखना होगा कि क्या न्यायपालिका इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम उठाएगी या फिर यह विवाद ऐसे ही जारी रहेगा।

जस्टिस यशवंत वर्मा के शपथ ग्रहण का बहिष्कार पर चर्चा करते हुए यह लेख एक विस्तृत नजरिया प्रस्तुत करता है, और इस मुद्दे को लेकर वकीलों की भावनाओं और संघर्ष को उजागर करता है।

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