🕒 Published 2 months ago (6:30 AM)
नई दिल्ली/गोड्डा: बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ दिए गए अपने तीखे बयान से सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि देश में जितने भी गृह युद्ध जैसी स्थितियां बन रही हैं, उसके लिए सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट और चीफ जस्टिस जिम्मेदार हैं। दुबे ने यह भी आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट धार्मिक युद्ध भड़काने में भूमिका निभा रहा है।
चार बार झारखंड के गोड्डा से सांसद रहे निशिकांत दुबे ने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमाओं को लांघ रहा है। उन्होंने कहा, “अदालत संसद द्वारा पारित कानूनों को रद्द कर रही है और यहां तक कि राष्ट्रपति को निर्देश भी दे रही है, जबकि न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं।”
“अगर हर बात में सुप्रीम कोर्ट ही तय करेगा, तो संसद को बंद कर देना चाहिए”
दुबे ने सवाल उठाया कि जब कानून बनाना संसद का अधिकार है और सुप्रीम कोर्ट केवल उसकी व्याख्या करता है, तो कोर्ट खुद कैसे कानून बना सकता है? उन्होंने कहा, “अगर हर काम के लिए सुप्रीम कोर्ट ही अंतिम प्राधिकारी है, तो संसद का क्या मतलब रह जाता है?”
वक्त (संशोधन) अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बीच आया बयान
उनका यह बयान उस वक्त आया जब सुप्रीम कोर्ट वक्त (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता की समीक्षा कर रहा है। अदालत ने इस अधिनियम के ‘वक्फ बाय यूजर’ जैसे प्रावधानों पर सवाल उठाए थे, जिसके बाद सरकार ने 5 मई तक अधिनियम के कुछ हिस्सों को लागू न करने की बात कही थी।
विपक्ष का पलटवार
सलमान खुर्शीद (कांग्रेस नेता):
“कोई भी व्यक्ति जो न्याय प्रणाली को समझता है, वो सुप्रीम कोर्ट पर ऐसी टिप्पणी नहीं करेगा। अंतिम फैसला सरकार का नहीं, बल्कि सुप्रीम कोर्ट का होता है।”
प्रियंका कक्कड़ (AAP प्रवक्ता):
“निशिकांत दुबे का बयान बेहद शर्मनाक है। सुप्रीम कोर्ट को चाहिए कि स्वतः संज्ञान लेकर उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही करे। भाजपा जजों को बदनाम कर रही है जब वे उनके खिलाफ फैसला देते हैं।”
जयराम रमेश (कांग्रेस सांसद):
“दुबे जैसे नेता सुप्रीम कोर्ट को कमजोर करने की साजिश कर रहे हैं। जब कोर्ट संविधान के मूल ढांचे की रक्षा करता है, तो सरकार उसे निशाना बनाती है। यह लोकतंत्र पर सीधा हमला है।”