बीजेपी विधायक रविंद्र नेगी का बड़ा एक्शन, नवरात्रि में मंदिरों के पास मीट की दुकानों को बंद करवाने का फैसला

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By Ankit Kumar

🕒 Published 4 months ago (5:54 AM)

देश की राजधानी दिल्ली में नवरात्रि के दौरान मीट की दुकानों को बंद करने की मांग को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायक रविंद्र नेगी ने नवरात्रि के मद्देनजर मंदिरों के आसपास स्थित मीट की दुकानों को बंद करने की अपील की है। उनका कहना है कि इस पावन पर्व के दौरान इन दुकानों के खुले रहने से श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं। उन्होंने इस मुद्दे को दिल्ली विधानसभा में उठाते हुए दिल्ली सरकार से पूरी राजधानी में मीट की दुकानों को बंद करने की मांग की है।

आप विधायक ने शराब की दुकानों पर उठाए सवाल

BJP विधायक रविंद्र नेगी की इस मांग पर आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक जुबैर अहमद ने प्रतिक्रिया देते हुए एक कदम आगे बढ़कर शराब की दुकानों को भी बंद करने की वकालत की है। उन्होंने कहा कि यदि नवरात्रि में धार्मिक भावनाओं की रक्षा के लिए मीट की दुकानें बंद की जा सकती हैं, तो शराब की दुकानों को भी बंद किया जाना चाहिए। जुबैर अहमद का तर्क है कि व्रत के दौरान लोग शराब से भी परहेज करते हैं, और इससे भी धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती हैं।

समर्थन और विरोध—दोनों पक्षों में प्रतिक्रियाएं

पटपड़गंज इलाके में जहां बीजेपी विधायक नेगी ने मंदिरों के पास स्थित मीट की दुकानों को बंद करवाया, वहीं इस फैसले पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। श्रद्धालुओं ने इस कदम का स्वागत किया, जबकि कुछ दुकानदारों और मुस्लिम समुदाय के लोगों ने इसे अनुचित बताया। उनका कहना है कि सरकार यदि मीट की दुकानों को बंद कराना चाहती है, तो इससे होने वाले आर्थिक नुकसान की भी भरपाई की जानी चाहिए।

 

पहले भी उठा था यह मुद्दा

गौरतलब है कि यह पहला मौका नहीं है जब रविंद्र नेगी ने इस तरह की मांग उठाई हो। इससे पहले भी उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें वह अपने विधानसभा क्षेत्र में मीट की दुकानों के संचालकों से हर मंगलवार को दुकानें बंद रखने की अपील कर रहे थे। उनका कहना था कि मंदिरों के पास मीट की दुकानें होने से श्रद्धालुओं को असुविधा होती है, और धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए दुकानदारों को इसे बंद रखना चाहिए। हालांकि, तब भी इस फैसले पर सवाल उठाए गए थे।

क्या इस मुद्दे पर कोई कानूनी प्रावधान है?

नवरात्रि के दौरान मीट की दुकानों को बंद कराने को लेकर कोई विशेष कानून नहीं है। हालांकि, देश के विभिन्न हिस्सों में स्थानीय प्रशासन और धार्मिक संगठनों द्वारा इसे लेकर अपील की जाती रही है। कई स्थानों पर दुकानदार स्वेच्छा से नवरात्रि के दौरान अपनी दुकानों को बंद रखते हैं, लेकिन कुछ स्थानों पर इसे लेकर विवाद भी देखने को मिलता है।

नवरात्रि बनाम धार्मिक स्वतंत्रता—क्या है आगे का रास्ता?

इस पूरे मामले ने धार्मिक परंपराओं और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाए रखने की बहस को फिर से जन्म दे दिया है। एक ओर श्रद्धालुओं की आस्था और धार्मिक भावनाओं का सम्मान आवश्यक है, तो दूसरी ओर व्यवसायियों के अधिकारों और उनके रोजगार पर भी विचार करना जरूरी है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है और क्या कोई बीच का रास्ता निकल सकता है।

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