🕒 Published 4 weeks ago (4:01 PM)
नई दिल्ली, बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर चल रही कानूनी लड़ाई पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अहम टिप्पणी की । शीर्ष अदालत ने साफ कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मतदाता सूची पुनरीक्षण का काम जारी रहेगा । Bihar Voter List Revision। कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को इस प्रक्रिया को जारी रखने की अनुमति दी है । लेकिन साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस कार्य के लिए चुनाव के पहले का समय ही क्यों चुना गया ।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा? Bihar Voter List Revision
न्यायाधीश सुधांशु धूलिया और जॉयमाल्या बागची की दो सदस्यीय पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि निर्वाचन आयोग की मतदाता सूची की जांच एक संवैधानिक और लोकतांत्रिक कार्य है । इसपर रोक लगाना न्यायसंगत नहीं होगा। साथ ही कोर्ट ने कहा कि इस प्रक्रिया में आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों को स्वीकार किया जाए । लेकिन इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से तीन सवाल भी किए हैं ।
- पहला क्या चुनाव आयोग को मतदाता सूची संशोधित करने का अधिकार है?
- दूसरा मतदाता सूची के रिवीजन की प्रक्रिया क्या है?
- इस प्रक्रिया की समय क्या है और क्या यह न्यायोचित है?
अगली सुनवाई 28 जुलाई को
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी चिंता जताई कि नागरिकता सिद्ध करने के लिए आवश्यक 11 सरकारी दस्तावेजों की सूची में आधार कार्ड को शामिल क्यों नहीं किया गया है । कोर्ट ने संकेत दिया कि इस मसले पर भी गंभीरता से विचार करना आवश्यक है । इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से जवाब दाखिल करने को कहा है । इस मामले में अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी।
मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कुल 10 से अधिक याचिकाएं दायर की गई हैं । जिन पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की है ।
- एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) – एक गैर-सरकारी संगठन
- तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा
- राकांपा की सुप्रिया सुले
- कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल
- समाजवादी पार्टी के हरिंदर सिंह मलिक
- भाकपा के डी राजा
- झारखंड मुक्ति मोर्चा के सरफराज अहमद
- राजद सांसद मनोज झा
- शिवसेना (उद्धव गुट) के अरविंद सावंत
- भाकपा (माले) के दीपांकर भट्टाचार्य
निर्वाचन आयोग को राहत
सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल इस प्रक्रिया पर कोई रोक नहीं लगाई है और निर्वाचन आयोग को राहत दी है। हालांकि, 28 जुलाई को होने वाली अगली सुनवाई इस मामले की दिशा तय कर सकती है। कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मतदाता सूची का पुनरीक्षण एक संवैधानिक जिम्मेदारी है, जिसे रोका नहीं जा सकता।
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