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पटना। बिहार में चुनाव आयोग द्वारा शुरू किए गए विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के बाद से राजनीति गरमा गई है। SIR के तहत मतदाता सूची की व्यापक समीक्षा की जा रही है, जिससे लगभग 65 लाख नाम हटाए जाने की आशंका है। इस फैसले के खिलाफ RJD नेता तेजस्वी यादव ने विरोध दर्ज कराते हुए चुनाव बहिष्कार की धमकी दी है।
INDIA ब्लॉक को मिला साझा मुद्दा
INDIA गठबंधन की बिखरी ताकत को फिर से एकजुट करने में SIR मुद्दा एक मजबूत धुरी बनता दिख रहा है। पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी ने इसे NRC जैसा बताया, तो राहुल गांधी ने इसे “वोटबंदी” करार देते हुए चुनाव आयोग और भाजपा पर मिलीभगत का आरोप लगाया।
संसद के बाहर होगी बड़ी रणनीतिक बैठक
7 अगस्त को राहुल गांधी के दिल्ली आवास पर INDIA ब्लॉक के नेता जुटेंगे। इसके बाद 8 अगस्त को चुनाव आयोग के खिलाफ संयुक्त विरोध मार्च आयोजित किया जाएगा। 14 महीने बाद विपक्ष के इतने बड़े नेता पहली बार आमने-सामने बैठक करेंगे।
विपक्ष ने बताया “गहन विलोपन”, छिड़ी नई बहस
विपक्षी दलों का आरोप है कि यह केवल पुनरीक्षण नहीं बल्कि “विशेष गहन विलोपन” है, जिसका उद्देश्य विपक्षी मतदाताओं को हटाना है। आम आदमी पार्टी संसद में विरोध का हिस्सा बनी रहेगी, हालांकि ब्लॉक से अलग है।
बंगाल, असम और तमिलनाडु तक फैल रहा असर
ममता बनर्जी जहां SIR को बंगाली अस्मिता से जोड़ रही हैं, वहीं असम में CM हिमंत बिस्व सरमा ने इसे बांग्लादेशियों के खिलाफ कार्रवाई का औजार बताया। तमिलनाडु में पी. चिदंबरम ने 6.5 लाख प्रवासी मतदाताओं को अवैध करार दिया।
क्या SIR बनेगा BJP के खिलाफ नया मोर्चा?
अब SIR को लेकर सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। विपक्ष इसे लोकतंत्र और मताधिकार के खिलाफ साजिश बता रहा है। इससे स्पष्ट है कि बिहार से शुरू हुआ यह मुद्दा, 2026 के कई राज्यों के चुनावों में भी गूंजेगा।