बिहार में ₹7,10,00,00,00,000″ का महाघोटाला: CAG रिपोर्ट पर गरमाई सियासत, तेजस्वी-पवन खेड़ा ने नीतीश सरकार को घेरा

Photo of author

By Sunita Singh

🕒 Published 2 days ago (2:55 PM)

पटना: बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है । कांग्रेस नेता पवन खेड़ा और बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाली सरकार पर लगभग 71 हजार करोड़ के महाघोटाले का गंभीर आरोप लगाया है Bihar Me Mahaghotala । यह दावा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट पर आधारित है, जिसमें कई विभागों द्वारा फंड की उपयोगिता रिपोर्ट (यूसी) जमा न करने की बात कही गई है।

पटना की सड़कों पर लगे घोटाले के पोस्टर

गुरुवार को पटना की सड़कों पर बड़े-बड़े पोस्टरों के जरिए इस मुद्दे को जनता के सामने लाया गया। इन पोस्टरों पर लिखा था –

“CAG की रिपोर्ट से बवाल

Bihar Me Mahaghotala ₹7,10,00,00,00,000″

इस पोस्टर को देखकर तो यह साफ लग रहा है कि विपक्ष इसे 2025 के विधानसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी में जुटा है ।

CAG रिपोर्ट के आधार पर गंभीर आरोप

पवन खेड़ा ने कहा कि वर्ष 2023-24 की CAG रिपोर्ट बताती है कि राज्य के विभिन्न विभागों ने ₹70,877 करोड़ की योजनाओं की उपयोगिता रिपोर्ट अब तक नहीं सौंपी है। यह राशि बिहार के वार्षिक बजट का करीब एक-तिहाई हिस्सा है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यही स्थिति रही, तो अगली रिपोर्ट में यह आंकड़ा ₹1.40 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है।

तेजस्वी यादव का नीतिश सरकार पर हमला

इससे पहले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया । उन्होंने आरोप लगाया कि नीतीश सरकार जनता के पैसों का सही उपयोग नहीं कर रही और वित्तीय अनियमितताओं में लिप्त है। तेजस्वी ने विधानसभा सत्र में भी यह मामला उठाया था और NDA सरकार को भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार ठहराया।

सरकार का पक्ष

सरकार इस पूरे मामले को प्रक्रियात्मक देरी बता रही है और इसे घोटाले की बजाय तकनीकी व प्रशासनिक चूक मान रही है। हालांकि, विपक्ष इसे एक सीधा भ्रष्टाचार का मामला बताकर जनता के बीच ले जाने की रणनीति बना रहा है।

विभागवार लंबित राशि का विवरण (CAG रिपोर्ट अनुसार):

विभाग लंबित राशि (₹ करोड़ में)

पंचायती राज विभाग 28,154

शिक्षा विभाग 12,623

शहरी विकास विभाग 11,065

ग्रामीण विकास विभाग 7,800

कृषि विभाग 2,107

पवन खेड़ा का कहना है कि यह पैसा स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचे जैसी योजनाओं के लिए आवंटित किया गया था, मगर हिसाब गायब है। अगर आरोपों की पुष्टि होती है, तो यह मामला बिहार की राजनीति को हिला सकता है और 2025 विधानसभा चुनाव में सत्ता परिवर्तन की भूमिका बना सकता है।

Leave a Comment