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Bihar Free Electricity: बिहार में नीतीश सरकार का बड़ा फैसला, अब हर महीने 125 यूनिट तक मिलेगी मुफ्त बिजली

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में एक बड़ी घोषणा करते हुए कहा है कि 1 अगस्त 2025 से राज्य के सभी घरेलू उपभोक्ताओं को हर महीने 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली दी जाएगी. इस निर्णय से करीब 1.67 करोड़ परिवारों को लाभ मिलने का अनुमान है. हालांकि इस ऐलान ने बिहार की सियासत में एक नई बहस छेड़ दी है, क्योंकि कुछ ही दिन पहले इसी विषय पर सरकार की तरफ से खंडन किया गया था.

पहले इनकार, फिर नई घोषणा
12 जुलाई को बिहार सरकार के वित्त विभाग ने मीडिया में आ रही 100 यूनिट मुफ्त बिजली की खबरों को गलत करार दिया था. तब इसे भ्रामक बताया गया था. लेकिन अब खुद मुख्यमंत्री ने इसका ऐलान कर दिया है, और यह सीमा 125 यूनिट तक बढ़ा दी गई है. इससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या सरकार के भीतर तालमेल की कमी है या यह कदम सियासी मजबूरी का परिणाम है.

मुफ्त योजनाओं को लेकर पलटा रुख
नीतीश कुमार अतीत में मुफ्त योजनाओं को लेकर कई बार आलोचना कर चुके हैं. उनका मानना रहा है कि ऐसी योजनाएं आर्थिक दृष्टि से नुकसानदेह होती हैं. वह अक्सर 24 घंटे बिजली आपूर्ति की बात करते रहे हैं, लेकिन अब चुनावी साल में उन्होंने रुख बदल लिया है. इससे यह धारणा बन रही है कि विपक्ष के वादों का असर सरकार के निर्णयों पर पड़ रहा है.

तेजस्वी यादव का दबाव या जनलाभ की कोशिश?
महागठबंधन के प्रमुख नेता तेजस्वी यादव ने पहले ही 200 यूनिट मुफ्त बिजली का वादा किया था. नीतीश कुमार की घोषणा को कुछ लोग इस वादे की काट के तौर पर देख रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम ग्रामीण और मध्यम वर्ग के वोटरों को लुभाने के लिए उठाया गया है.

आर्थिक बोझ और प्रशासनिक चुनौतियां
125 यूनिट मुफ्त बिजली देने से राज्य सरकार पर सब्सिडी का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. इसके अलावा सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने और उनके रखरखाव की लागत भी चुनौती बन सकती है. इस योजना को लागू करने के लिए तकनीकी संसाधनों के साथ-साथ उपभोक्ताओं की सहमति भी जरूरी होगी.

जनता के लिए राहत, पर सियासत के लिए उथल-पुथल
इस घोषणा से खासकर शहरी उपभोक्ताओं को हर महीने करीब 700 रुपये तक की राहत मिलेगी. साथ ही, सरकार की ‘कुटीर ज्योति योजना’ के तहत गरीब परिवारों के लिए मुफ्त सौर संयंत्र और अन्य वर्गों के लिए सब्सिडी का प्रावधान किया गया है. योजना के तहत अगले तीन सालों में 10,000 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य है.

विश्वसनीयता पर उठे सवाल
नीतीश कुमार के इस यू-टर्न के बाद विपक्ष ने उन पर हमला बोलते हुए उनकी नीति और नीयत पर सवाल खड़े किए हैं. सोशल मीडिया पर भी लोग उनके पुराने बयानों को लेकर आलोचना कर रहे हैं. यह विवाद उनकी छवि को नुकसान पहुंचा सकता है.

नीतीश का दांव: मास्टरस्ट्रोक या मजबूरी?
चुनाव से पहले की गई यह घोषणा चुनावी चाल भी मानी जा सकती है, लेकिन इससे जुड़ी चुनौतियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. अगर यह योजना सफलतापूर्वक लागू हो जाती है तो यह बिहार के ऊर्जा क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव ला सकती है. मगर इसके पीछे सियासी दबाव की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता.

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