मधुबनी (बिहार): बिहार की सियासत में जाति और गठबंधन की राजनीति हमेशा से निर्णायक रही है, लेकिन कुछ सीटें ऐसी होती हैं जहां गठबंधन की दिशा ही परिणाम तय करती है। मधुबनी जिले की खजौली विधानसभा सीट भी ऐसी ही एक सीट है, जहां पिछले दो दशकों के चुनावी नतीजों पर गौर करें तो यह साफ दिखता है कि जिसके साथ जेडीयू खड़ी होती है, जीत उसी की होती है।
खास बात ये है कि जेडीयू खुद कभी इस सीट से विधायक नहीं बनी, लेकिन इसके समर्थन की दिशा ने हर बार जीत का पासा पलटा है।
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खजौली: जातीय समीकरणों की रणनीतिक सीट
खजौली विधानसभा सीट झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है। यहां की राजनीति पूरी तरह से जातिगत समीकरणों और गठबंधन की चालों पर आधारित है। इस क्षेत्र में यादव, ब्राह्मण, कोइरी, दलित और मुसलमान वोटरों की उल्लेखनीय उपस्थिति है, जिससे कोई भी पार्टी जाति समीकरणों को नजरअंदाज नहीं कर सकती।
जेडीयू के साथ होने पर किसे फायदा मिला?
- 2005 (दो चुनाव) और 2010 में: भाजपा ने लगातार तीन बार खजौली पर जीत हासिल की। उस दौरान जेडीयू और भाजपा एनडीए गठबंधन में थे।
- 2015 में: जब जेडीयू ने राजद से हाथ मिलाया, तो भाजपा को हार का सामना करना पड़ा और यह सीट राजद की झोली में गई।
- 2020 में: जेडीयू ने फिर से एनडीए का दामन थामा और भाजपा ने खजौली सीट पर वापसी करते हुए राजद के सीताराम यादव को 22,689 वोटों से शिकस्त दी।
खजौली की जनता सीधे तौर पर जेडीयू को तो नहीं चुनती, लेकिन जिस पार्टी के साथ जेडीयू होती है, जनता उसी को चुन लेती है। इस अनूठे ट्रेंड ने खजौली को बिहार की रणनीतिक सीटों में से एक बना दिया है।
इतिहास: सीट का आरक्षण और जीतने वाले दल
- 1952–1972: यह सीट सामान्य श्रेणी की रही।
- 1977–2005: अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित की गई।
- 2010 के बाद: परिसीमन के तहत फिर से सामान्य सीट घोषित।
अब तक खजौली पर 17 बार चुनाव हो चुके हैं:
- कांग्रेस – 6 बार
- भाजपा – 4 बार
- सीपीआई और राजद – 2-2 बार
- प्रजा समाजवादी पार्टी – 2 बार
- जनता पार्टी – 1 बार
खजौली का भूगोल और सामाजिक ताना-बाना
मिथिला क्षेत्र की उपजाऊ धरती पर बसा खजौली, हर साल कमला बलान और बछराज नदियों के कारण बाढ़ की मार झेलता है। यहाँ की कृषि पूरी तरह मानसून पर निर्भर है क्योंकि सिंचाई की पुख्ता व्यवस्था नहीं है। प्रमुख फसलें गेहूं और दाल हैं।
आबादी व मतदाता प्रोफाइल:
- कुल जनसंख्या: 5,29,577
- पुरुष: 2,74,769
- महिलाएं: 2,54,808
- कुल वोटर: 3,14,426
- पुरुष: 1,64,535
- महिला: 1,49,887
- थर्ड जेंडर: 4
2025 में किसकी होगी बाज़ी?
बिहार चुनाव 2025 में खजौली सीट एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार सीधा मुकाबला एनडीए बनाम इंडिया गठबंधन के बीच माना जा रहा है। अगर राजद को यह सीट वापस जीतनी है तो उसे सिर्फ गठबंधन ही नहीं, सटीक जातिगत रणनीति बनानी होगी।
उधर, भाजपा-जेडीयू गठबंधन अगर बरकरार रहा, तो 2020 जैसा नतीजा दोहराया जाना तय माना जा रहा है।
खजौली सिर्फ सीट नहीं, सियासी संकेत है
खजौली विधानसभा सीट सिर्फ मधुबनी या मिथिला की राजनीति की तस्वीर नहीं दिखाती, बल्कि ये पूरे बिहार में गठबंधन-आधारित रणनीति की अहमियत को भी उजागर करती है। 2025 में इस सीट का नतीजा भी यही बताएगा कि सिर्फ उम्मीदवार नहीं, साथ कौन है — वही सबसे बड़ा फैक्टर है।
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