🕒 Published 2 months ago (2:40 PM)
नई दिल्ली 15 अप्रैल 2025: मंगलवार को कांग्रेस और आरजेडी के बीच हुई अहम राजनीतिक बैठक उस मोड़ पर पहुंच गई जहां बातचीत तो हुई, लेकिन सहमति नहीं बन सकी। तेजस्वी यादव दिल्ली पहुंचे थे उम्मीदों के साथ, लेकिन राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात के बावजूद बात नहीं बनी। कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि वह अब गठबंधन राजनीति में ‘त्याग’ की भूमिका नहीं निभाने वाली।
राहुल गांधी जो मंगलवार को अहमदाबाद में होने वाले कार्यक्रम के लिए निकलने वाले थे, तेजस्वी की दिल्ली आमद की जानकारी मिलते ही रुक गए और सीधे खरगे के आवास पहुंच गए। कांग्रेस इस बैठक को लेकर काफी रणनीतिक थी, लेकिन तेजस्वी जिस एजेंडे के साथ आए थे, कांग्रेस उससे सहमत नहीं दिखी।
मुलाकात में कांग्रेस ने ओबीसी राजनीति को केंद्र में रखते हुए साफ संकेत दिए कि पार्टी अब सिर्फ सांकेतिक साझेदार नहीं, बल्कि निर्णायक भूमिका चाहती है। राहुल गांधी ने अपनी रणनीति के तहत बिहार से लेकर कर्नाटक तक ओबीसी राजनीति को धार देने की बात दोहराई। कांग्रेस अब दलित-मुस्लिम-OBC समीकरण के सहारे 2024 के बाद 2029 की जमीन तैयार कर रही है।
बैठक के दौरान पप्पू यादव को पहली पंक्ति में बैठाकर कांग्रेस ने यह संदेश दे दिया कि वह बिहार में नए चेहरे और नए समीकरण पर दांव लगाने को तैयार है। पार्टी ने कन्हैया कुमार और पप्पू यादव को आगे कर आरजेडी को साफ संकेत दे दिया है कि गठबंधन की शर्तें अब कांग्रेस तय करेगी। इसी क्रम में दलित अध्यक्ष की नियुक्ति और सीमांचल में मजबूत उपस्थिति के लिए काम भी शुरू हो चुका है।
राहुल गांधी ने तेजस्वी की जातीय जनगणना की मांग को नकारते हुए उसे ‘फर्जी फार्मूला’ करार दिया। कांग्रेस की प्राथमिकता अब यह है कि वह सम्मानजनक सीटों के साथ-साथ अपने पसंदीदा नेताओं को मैदान में उतारे। यही बात आरजेडी को अखर रही है क्योंकि कांग्रेस की मजबूती से उसका ‘माई समीकरण’ प्रभावित हो सकता है।
आरजेडी अब नए सिरे से रणनीति तैयार कर रही है। पार्टी बीएसपी से लेकर छोटे दलों जैसे वीआईपी, जेएमएम और पारस गुट से संपर्क में है ताकि विकल्प खुले रहें। तेजस्वी यादव पर दबाव है क्योंकि उन्हें विधानसभा चुनाव में बड़ा दांव लगाना है—मुख्यमंत्री की कुर्सी। लेकिन कांग्रेस को नाराज कर यह सफर आसान नहीं होगा।
कांग्रेस अब गठबंधन को अपनी शर्तों पर खड़ा करना चाहती है। पप्पू यादव और कन्हैया कुमार को आगे कर वह आरजेडी पर दबाव बढ़ा रही है कि वो 143 से ज्यादा सीटों की मांग छोड़ कर साझा रणनीति बनाए। तेजस्वी जल्द ही लालू प्रसाद यादव से सलाह-मशविरा कर 17 अप्रैल को होने वाली महागठबंधन की अगली बैठक में शामिल होंगे।
फिलहाल गेंद आरजेडी के पाले में है—कांग्रेस का संदेश साफ है, ‘अगर साथ चाहिए तो हमारी शर्तें मानो।’