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Bihar Chunav 2025: चिराग, मुकेश सहनी, प्रशांत किशोर और आईपी गुप्ता ने बढ़ाई NDA और इंडिया गठबंधन की चिंता

Bihar Chunav 2025: बिहार में विधानसभा चुनावों की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है और राजनीतिक सरगर्मी चरम पर है। चुनाव में अब महज पांच महीने शेष हैं और इस बीच कुछ चेहरे ऐसे हैं जो एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों के लिए चुनौती बनकर उभरे हैं। ये चार चेहरे हैं – चिराग पासवान, मुकेश सहनी, प्रशांत किशोर और आईपी गुप्ता। ये नेता अपने-अपने अंदाज़ में बिहार की सियासत में समीकरण बिगाड़ने की ताकत रखते हैं और इनकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है।

चिराग पासवान – एनडीए में रहकर भी दबाव की राजनीति

लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान एक बार फिर अपने सियासी तेवरों को लेकर चर्चा में हैं। वे कभी 60 सीटों की मांग करते हैं, तो कभी खुद को बिहार की सेवा के लिए समर्पित बताते हैं। उनकी पार्टी ने उन्हें विधानसभा चुनाव लड़ने का प्रस्ताव पारित किया है। हाल ही में उनके समर्थकों ने उनकी ताजपोशी के पोस्टर भी लगाए। 2020 में चिराग ने एनडीए से अलग होकर अकेले चुनाव लड़ा था और भले ही सिर्फ एक सीट जीते, लेकिन जेडीयू को भारी नुकसान पहुंचाया। इस बार वे एनडीए का हिस्सा हैं और हालिया लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने पांच में से पांच सीटें जीतकर 100 प्रतिशत सफलता हासिल की है। यही सफलता अब विधानसभा में भी सीटों की दावेदारी के रूप में नजर आ रही है।

मुकेश सहनी – हर गठबंधन की चाहत

विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी बिहार की राजनीति में “हॉट केक” बन चुके हैं। वे न केवल महागठबंधन के साथ हैं, बल्कि एनडीए भी उन्हें फिर से अपने खेमे में लाने की कोशिश कर रहा है। सहनी लगातार 60 सीटों की मांग कर रहे हैं और खुद के लिए उपमुख्यमंत्री पद की भी दावेदारी जता चुके हैं। उनका राजनीतिक प्रभाव खासकर मल्लाह और निषाद समुदाय पर है, जिसकी संख्या राज्य में महत्वपूर्ण मानी जाती है। ऐसे में दोनों गठबंधन उन्हें किसी भी हाल में खोना नहीं चाहते।

प्रशांत किशोर – ‘जन सुराज’ से मचा रहे हैं हलचल

चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने 2 अक्टूबर 2024 को ‘जन सुराज पार्टी’ की नींव रखी थी। पार्टी भले ही नई हो, लेकिन बहुत कम समय में उसने राज्य की राजनीति में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है। दिसंबर 2024 में चार विधानसभा सीटों के उपचुनाव में पार्टी ने हिस्सा लिया और 10 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया। तिरहुत क्षेत्र में एमएलसी चुनाव में पार्टी का प्रत्याशी एनडीए और इंडिया गठबंधन को पीछे छोड़ दूसरे नंबर पर रहा। अब प्रशांत किशोर के साथ आरसीपी सिंह जैसे अनुभवी नेता भी आ गए हैं। भीड़ जुटाने की उनकी क्षमता ने बड़े दलों को भी चौंका दिया है।

आईपी गुप्ता – पान समाज की आवाज बनकर उभरे

आईपी गुप्ता, जो कभी कांग्रेस में थे, अब अपनी नई पार्टी भारतीय इन्कलाब पार्टी (बीआईपी) के साथ मैदान में उतर चुके हैं। वे पान समाज से आते हैं और अनुसूचित जाति के दर्जे की बहाली के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनकी मांग है कि पान समाज को फिर से एसटी का दर्जा मिले, जिसे अदालत के फैसले से वापस ले लिया गया था। उन्होंने 7 अप्रैल 2025 को कांग्रेस से अलग होकर नई पार्टी बनाई और गांधी मैदान में उनकी पहली सभा में उमड़ी भीड़ ने सबको चौंका दिया। वे पहली बार चुनाव लड़ने जा रहे हैं और एनडीए और महागठबंधन दोनों उन्हें अपने पाले में करने की कोशिश कर रहे हैं।

ओवैसी भी मैदान में, सीमांचल पर नजर

असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को भी बिहार की सियासत में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। 2020 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने सीमांचल की 20 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और पांच पर जीत दर्ज की थी। भले ही बाद में चार विधायक आरजेडी में चले गए, लेकिन ओवैसी की पार्टी का वोट प्रतिशत 0.5 से बढ़कर 1.25 फीसदी हो गया। अब वे फिर से पूरी तैयारी के साथ चुनावी रण में उतरने को तैयार हैं।

गठबंधनों में सीटों की खींचतान

एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों में सीट बंटवारे को लेकर खींचतान जारी है। भाजपा और जेडीयू जैसे बड़े दल शांत नजर आ रहे हैं, लेकिन सहयोगी दल लगातार अधिक सीटों की मांग कर रहे हैं। एनडीए में फिलहाल पांच दल – भाजपा, जेडीयू, लोजपा-आर, हम और आरएलएम हैं, जबकि महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस, तीन वाम दलों के साथ वीआईपी और आरएलजेपी को जोड़ा गया है। यानी दोनों खेमों में सात-सात पार्टियां हैं।

बिहार चुनाव 2025 में सिर्फ दो बड़े गठबंधनों की ही नहीं, बल्कि नए उभरते चेहरों की भी अहम भूमिका होगी। चिराग पासवान, मुकेश सहनी, प्रशांत किशोर और आईपी गुप्ता जैसे नेता बिहार की सियासत की दिशा और दशा तय करने की स्थिति में हैं। इनकी सक्रियता ने एनडीए और इंडिया दोनों की चिंता बढ़ा दी है, और आने वाले दिनों में ये चेहरे चुनावी समीकरण को पूरी तरह से बदल सकते हैं।

Pradeep dabas

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